जातिगत जनगणना की मांग ने INDIA गठबंधन में डाली 'दरार', राजनीतिक प्रस्ताव पर नहीं बनी सहमति

मुंबई की मीटिंग जनता दल यूनाइटेड (JDU), समाजवादी पार्टी (SP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने जाति जनगणना की मांग पर जोर दिया था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने समेत कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया.

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विपक्षी गठबंधन INDIA मुंबई मीटिंग में कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों का नाम फाइनल हुआ.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Elections 2024) को लेकर रणनीति बनाने के लिए विपक्षी गठबंधन INDIA की तीसरी बैठक मुंबई में हुई. इस दौरान  विपक्षी दलों के बीच पहला बड़ा मतभेद उभर कर सामने आया. सूत्रों ने NDTV को बताया कि मुंबई बैठक में एक इलेक्शन रेजोल्यूशन अपनाया गया, लेकिन जाति जनगणना की मांग को शामिल करने लेकर सहमति नहीं बन पाई, जिसके बाद पर पॉलिटिकल रेसोल्यूशन को ड्रॉप करना पड़ा.

सूत्रों ने कहा कि मुंबई की मीटिंग जनता दल यूनाइटेड (JDU), समाजवादी पार्टी (SP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने जाति जनगणना की मांग पर जोर दिया था, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने समेत कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया.

दिलचस्प बात यह है कि जुलाई में गठबंधन की दूसरी बैठक के बाद 'सामूहिक संकल्प' (संयुक्त प्रस्ताव) में विशेष रूप से जाति जनगणना के कार्यान्वयन की बात कही गई थी.

विपक्षी गठबंधन के दलों ने एक स्वर में पारित अपने प्रस्ताव में कहा था, "हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पैदा की जा रही नफरत और हिंसा को हराने के लिए एक साथ आए हैं. महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और कश्मीरी पंडितों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकेंगे. सभी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हैं. पहले कदम के रूप में हम चाहते हैं कि जाति जनगणना लागू हो." 

बिहार में नीतीश कुमार सरकार जरूरतमंदों और वंचितों की मदद के कदम के रूप में जाति आधारित सर्वेक्षण करा रही है.
पटना हाईकोर्ट में जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था. सर्वेक्षण पर रोक लगाने के लगभग तीन महीने बाद अदालत का आदेश आया था.

नीतीश कुमार ने पिछले सप्ताह दावा किया था कि जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय राज्य में बीजेपी सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने सर्वसम्मति से लिया था.

इससे पहले केंद्र सरकार ने 29 अगस्त को बिहार में जातिगत सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया और कुछ घंटे बाद इसे वापस ले लिया. पहले हलफनामे के पैरा 5 में लिखा था कि सेंसस एक्ट 1948 के तहत केंद्र के अलावा किसी और सरकार को जनगणना या इससे मिलती-जुलती प्रकिया को अंजाम देने का अधिकार नहीं है.

बाद में केंद्र ने इस हिस्से को हटाते हुए नया हलफनामा दायर किया. इसमें कहा- ‘पैरा 5 अनजाने में शामिल हो गया था. नया हलफनामा संवैधानिक और कानूनी स्थिति साफ करने के लिए दायर किया है. केंद्र सरकार भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार SC/ST/SEBC और OBC के स्तर को उठाने के लिए सभी कदम उठा रही है.'

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केंद्र सरकार ने 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए हललप्रस्तुत एक हलफनामे में भी संशोधन किया था और एक पैराग्राफ हटा दिया था जिसमें कहा गया था कि "कोई अन्य निकाय जनगणना या इसके समान कोई कार्रवाई करने का हकदार नहीं है". हलफनामा जमा करने के कुछ घंटे बाद सरकार ने कहा था कि यह पैराग्राफ अनजाने में अंदर आ गया है.

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