Explainer : अखिलेश-राहुल की जोड़ी हिट या 2017 जैसा होगा हाल? मोदी की 4 'जातियों' का PDA कैसे करेगा सामना

अखिलेश की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन का मुकाबला उस NDA से है, जिसके नेता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. पीएम मोदी ने यूपी को साधने के लिए अपनी चार जातियों दलित, किसान, गरीब, युवा वाला फॉर्मूला बहुत पहले ही उछाल दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 7 mins
राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मिलकर प्रचार किया था.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर उत्तर प्रदेश में आखिरकार समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और कांग्रेस (Congress) के बीच गठबंधन हो गया है. यूपी में 80 सीटों को लेकर हुई डील के तहत कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. सपा 63 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. सपा अपने कोटे से कुछ छोटे दलों को भी सीटें दे सकती है. अखिलेश यादव ने चुनाव में NDA को हराने के लिए PDA का फॉर्मूला दिया था. PDA यानी पिछड़ा वर्ग, दलित और अल्पसंख्यक. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने लोकसभा उम्मीदवारों की लिस्ट में ‘PDA' पर दांव लगाया है. सपा की उम्मीदवारों की लिस्ट में OBC, दलित और मुस्लिम प्रत्याशी शामिल है. वहीं, पीएम मोदी (PM Narendra Modi) कई मौकों पर चार जातियों की बात कर चुके हैं. जातिगत राजनीति को लेकर पीएम मोदी ने कहा था कि उनके लिए 4 जातियां अहम हैं-नारी शक्ति, युवा शक्ति, किसान और गरीब परिवार. ऐसे में सवाल ये है कि यूपी में कांग्रेस का साथ पाने के बाद अखिलेश यादव का PDA पीएम मोदी की 4 जातियों के आगे कितना टिक पाएगा?

अखिलेश ने जब पहली बार PDA का जिक्र किया तो पार्टी के अपर कास्ट नेताओं ने आशंका जताई कि उससे ऊंची जातियों में गलत मैसेज जा सकता है. इसके बाद अखिलेश यादव ने PDA के A से अगड़े, आदिवासी और आधी आबादी (महिलाओं) का जिक्र भी किया. दूसरी ओर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ का चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी ने अपनी स्पीच में चार जातियों का जिक्र किया और बड़ा दांव खेल दिया था.

क्या BJP ज्योतिरादित्य को देगी सिंधिया परिवार का गढ़, गहलोत के गृह जिले से किसे मिलेगा मौका?

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में OBC जातियों की आबादी करीब 43.1% है. 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक यूपी में मुस्लिमों की आबादी करीब 19% है. दलितों की आबादी करीब 23% है. ऐसे में सवाल उठता है कि PDA को साधने के लिए अखिलेश यादव क्या कर रहे हैं?

PDA को साथ लाने के लिए क्या कर रहे अखिलेश?
समाजवादी लोहिया वाहिनी ने पिछले साल 9 अगस्त से 22 नवंबर तक राज्य के 29 जिलों में PDA यात्रा निकाली. अखिलेश यादव भी साइकिल से इस यात्रा में शामिल हुए. कार्यकर्ताओं ने इस दौरान करीब 6 हजार किलोमीटर का एरिया कवर किया. इसके अलावा सपा ने PDA पखवाड़ा, चौपाल, जन पंचायतें भी आयोजित कीं. इन कार्यक्रमों का मकसद अल्पसंख्यकों, दलितों और ओबीसी को एकजुट करना था.

Advertisement

पीएम मोदी और बीजेपी 4 जातियों के लिए क्या कर रहे?
दूसरी ओर, पीएम मोदी भी अपनी बताई 4 जातियों के लिए काम करने पर फोकस कर रहे हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में पीएम मोदी इसकी रूपरेखा भी बताई. मोदी ने कहा, “अगर हमारी योजनाएं गरीब, युवा, किसान और महिलाओं तक सही तरीक़े से पहुंच जाएंगी तो, इससे हमें वोट बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी. इसके लिए जिन राज्यों में भारत विकसित यात्राएं निकल रही हैं उन पर फ़ोकस किया जाए.”

Advertisement

Exclusive : लोकसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान विदिशा से हो सकते हैं BJP उम्मीदवार

पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को कहा, “चार जातियों पर काम करें. गरीब, किसान, युवा और महिला. ज्यादा खेल कूद प्रतियोगिता कराएं ताकि उनसे और तार जुड़ें. सारे कार्य अब मिशन मोड में करें. सोशल मीडिया कैम्पेन में आक्रामक रहें.” 

सपा-कांग्रेस का गठबंधन NDA का कैसे करेगा सामना? 
अखिलेश की समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन का मुकाबला उस NDA से है, जिसके नेता खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. पीएम मोदी ने यूपी को साधने के लिए अपनी चार जातियों दलित, किसान, गरीब, युवा वाला फॉर्मूला बहुत पहले ही उछाल दिया है.

Advertisement

2019 के चुनाव में NDA में BJP को 49.6% वोट
2019 के चुनाव में NDA में BJP को 49.6 फीसदी वोट मिले थे, जबकि अपना दल को 1.2% मिले. यानी NDA को 50.8% वोट हासिल हुए. दूसरी तरफ महागठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी को 18% वोट मिले थे, BSP को 19.3% और राष्ट्रीय लोकदल को 1.7% वोट मिले. यानी समूचे गठबंधन को 39% हासिल हुए. वहीं, UPA में कांग्रेस को 6.3% वोट हासिल हुए.
 

Advertisement
अब बदले हालात में गठबंधनों का चरित्र बदल गया है. पिछले चुनाव के आधार पर मौजूदा गठबंधन का वोट जोड़ें, तो NDA में BJP, अपना दल और संभावित तौर पर NDA में शामिल होने जा रही RLD के वोट जोड़कर 52.5% हो जाते हैं. जबकि दूसरी तरफ INDIA ब्लॉक में शामिल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के वोट जोडकर 24.3% होते हैं. यानी NDA पिछले चुनावों के आधार पर INDIA ब्लॉक की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा मजबूत दिखती है.

Exclusive : नीतीश कुमार के क्या थे RJD से मतभेद? तेजस्वी ने बताया आखिर उन्होंने क्यों बदला पाला

2019 के चुनाव में UP में किसको कितने वोट?
BJP- 49.6%
अपना दल- 1.2%
NDA-  50,8%
सपा- 18%
BSP- 19.3%
RLD- 1.7%
महागठबंधन- 39%
कांग्रेस- 6.3%
UPA- 6.3%

पिछले चुनावों का समीकरण तो विपक्ष के लिए अच्छी तस्वीर पेश नहीं करता. बावजूद इसके अखिलेश यादव अपने PDA यानी ‘पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक' की हांक लगाकर बड़े वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी ओर, राहुल गांधी भी तकरीबन हर मंच से 73% आबादी (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) के हित और हक की बात कर रहे हैं.

BJP का पलड़ा भारी
एक बड़ी आबादी को साधने की राहुल गांधी और अखिलेश याद के प्रयासों के बावजूद माहौल बीजेपी के पक्ष में ज्यादा दिखता है. क्योंकि बीजेपी के पास अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण से बना माहौल है. दूसरी ओर, पीएम मोदी की राष्ट्रीय छवि बीजेपी को फायदा पहुंचाती है. वहीं, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि हिंदुत्व के रक्षक नेता की है, जिसका लाभ भी मिलना तय है. यहां NDA ने छोटे दलों को साधकर अपनी ताकत मजबूत कर ली है.

यूपी में लड़खड़ाता INDIA अलायंस
इसके पलट विपक्ष अपने घर में मचे भगगड़ से त्रस्त है. वहां हफ्ते भर में चार-चार झटके लगे. चौधरी चरण सिंह को मोदी सरकार ने 'भारत रत्न' दे दिया, तो उनके पोते और RLD चीफ जयंत चौधरी ने अखिलेश से गठबंधन तोड़ने का पूरा मन बना लिया. हालांकि, अभी BJP-RLD या सपा तीनों में से किसी ने ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं किया है.

Inside Story : सोनिया-प्रियंका ने फूंकी 'INDIA' में जान, UP में अखिलेश से कैसे फिक्स की 'डील'

दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी को स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी झटका दिया है. अखिलेश यादव के साथ मनमुटाव के बाद स्वामी ने RSSP नाम से अलग पार्टी बना ली है. वैसे राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) साहेब सिंह धनगर की है. स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसे री-लॉन्च किया है. 

इसके अलावा पल्लवी पटेल भी जया बच्चन को राज्यसभा में भेजे जाने से घनघोर नाराज हैं. और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते विभाकर शास्त्री कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए हैं.

सबसे बड़ी दिक्कत कांग्रेस के साथ
इन सबमें सबसे बड़ी दिक्कत कांग्रेस के साथ है. चुनाव दर चुनाव उसकी हार की खाई और चौड़ी होती जा रही है. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यूपी की 67 सीटों पर चुनाव लड़ा. इसमें से सिर्फ एक सीट (रायबरेली) जीती थी. 3 सीटों पर कांग्रेस दूसरे नंबर, 58 सीटों पर तीसरे नंबर, 4 सीटों पर चौथे नंबर और एक सीट पर पांचवें नंबर पर रही. जबकि, समाजवादी पार्टी ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ा और 5 सीटें जीती. 31 सीटों पर सपा दूसरे नंबर पर और एक सीट पर तीसरे नंबर पर रही. लिहाजा, सिर्फ कांग्रेस और अखिलेश का गठबंधन ही इन दोनों पार्टियों के खुश होने का सबब नहीं हो सकता.


कांग्रेस-सपा गठबंधन : अखिलेश यादव ने रायबरेली और अमेठी सहित कांग्रेस को दी 17 सीटें, देखें पूरी लिस्ट

Featured Video Of The Day
Baghpat Girls Fight Viral Video: चोटी पकड़कर घसीटा, स्कूली लड़कियों की मारपीट की वजह आपको चौंका देगी
Topics mentioned in this article