लोकसभा चुनाव 2024: एक ऐसा सांसद जो केवल तीन दिन ही गया संसद, चुनाव क्षेत्र में गुजारे इतने दिन

साल 2019 के चुनाव में उत्तर प्रदेश की घोसी संसदीय सीट से बसपा के अतुल राय चुने गए थे. लेकिन सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने केवल तीन दिन ही संसद की कार्यवाही में हिस्सा लिया. आइए जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया. और अपने क्षेत्र में कितने दिन गए.

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अतुल राय ने चुनाव में भाजपा के हरिनारायण राजभर को हराया था.
नई दिल्ली:

इस समय लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) की धूम मची हुई है. हर छोटा-बड़ा नेता चुनाव प्रचार में मशगूल है. यह 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहा है. इससे पहले की 17वीं लोकसभा में एक रिकॉर्ड बना. यह था 17वीं लोकसभा के सभी 15 सत्रों में केवल तीन दिन संसद जाने का. यह रिकॉर्ड दर्ज हुआ उत्तर प्रदेश के घोसी लोकसभा सीट (Ghoshi Parliamentary seat) से बसपा (BSP) सांसद अतुल राय (Atul Rai)के नाम. इसके अलावा एक और कारनामा उनके नाम दर्ज है. वह यह है कि चुनाव जीतने के बाद एक दिन के लिए भी अपने क्षेत्र में न जाने का.

अतुल राय पर आरोप क्या लगे थे

अतुल राय मूलरूप से उत्तर प्रदेश के ही गाजीपुर जिले के वीरपुर गांव के रहने वाले हैं.अतुल राय के खिलाफ एक मई 2019 को वाराणसी के लंका थाने में यूपी कॉलेज की एक पूर्व छात्रा ने दुष्कर्म और अन्य आरोपों में केस दर्ज कराया था. युवती ने राय पर वाराणसी स्थित अपने घर पर बलात्कार का आरोप लगाया था. यह मुकदमा दर्ज होने से पहले अतुल राय ने 25 अप्रैल को 2019 बसपा उम्मीदवार के रूप में घोसी लोकसभा क्षेत्र से पर्चा दाखिल किया था.इस चुनाव को बसपा और समाजवादी पार्टी ने मिलकर लड़ा था. राय ने भाजपा के हरिनारायण राजभर को मात दी थी.  राजभर 2014 के चुनाव में इस सीट पर सांसद चुने गए थे. 

चुनाव में जीत मिलने के बाद अतुल राय ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट तक की दौड़ लगाई, लेकिन उन्हें कहीं भी सफलता नहीं मिली. इसके बाद वो 22 जून 2019 को वाराणसी की अदालत में हाजिर हो गए.इस बीच राय पर आरोप लगाने वाले युवती ने अपने एक मित्र के साथ सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह की कोशिश की. बुरी तरह झुलसने हुई हालत में दोनों को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दाखिल कराया गया था. अस्पताल में 9 दिनों के बाद दोनों की मौत हो गई थी.इस मामले में अतुल राय को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया है. 

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बलात्कार के आरोप से बरी, चलता रहेगा यह मामला

वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अगस्त 2022 में बलात्कार मामले में बरी कर दिया था. इसके बाद भी वो आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप में जेल में बंद रहे.लेकिन इस साल 30 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने स्वास्थय कारणों ने अतुल राय अंतरिम जमानत दे दी थी.अदालत ने यह शर्त भी लगाई थी कि वो जमानत के दौरान किसी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होंगे. 

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सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में अतुल राय को संसद की कार्यवाही में भाग लेने के लिए जमानत दी थी. इसके बाद चुनाव जीतने के छह महीने बाद वो संसद गए और 31 जनवरी को संसद सदस्य के रूप में शपथ ली.लोकसभा की बेबसाइट के मुताबिक यह 17वीं लोकसभा का तीसरा सत्र था. वहीं हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वो छह और आठ फरवरी को लोकसभा के 15वें और अंतिम सत्र की कार्यवाही में शामिल हुए.

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कम्युनिस्ट राजनीति का गढ रहा है घोसी

आइए अब बात करते हुए लोकसभा क्षेत्र के बारे में. घोसी लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से चार मधुबन, घोसी, मोहम्मदाबाद, सदर विधानसभा क्षेत्र आते हैं. वहीं रसड़ा विधानसभा क्षेत्र बलिया जिले में पड़ता है.साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में घोसी की दो विधानसभा सीटों पर सपा, एक-एक पर भाजपा, सुभासपा और बसपा ने जीत दर्ज की थी. मधुबन सीट भाजपा ने जीती थी. वहीं घोसी और मुहम्मदाबाद-गोहना सीट पर सपा ने जीत दर्ज की थी. मऊ सदर सीट सुभासपा के खाते में गई थी. रसड़ा सीट बसपा ने जीत ली थी. बसपा उस चुनाव में केवल एक सीट ही जीत पाई थी.  

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इस लोकसभा क्षेत्र में वैसे तो सभी जाति-धर्म के लोग निवास करते हैं, लेकिन अब तक हुए लोकसभा के 17 चुनावों में केवल राय, चौहान और राजभर सरनेम वाले ही जीत दर्ज करते रहे हैं. इस सीट पर कांग्रेस को पांच बार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा)को पांच बार जीत मिली है. वहीं भाजपा केवल एक बार ही यह सीट जीत पाई है. जबकि बसपा के खाते में यह सीट तीन बार गई है. इनके अलावा यह सीट एक बार समाजवादी पार्टी, एक बार समता पार्टी और एक बार एक निर्दलीय उम्मीदवार ने जीती है.

2024 के चुनाव में कैसा है मुकाबला

साल 2024 के चुनाव में भाजपा ने यह सीट सुभासपा को दी है. पार्टी ने इस सीट पर अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को उम्मीदवार बनाया है.इंडिया गठबंधन में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई हैं. सपा ने राजीव राय को टिकट दिया है. वहीं बसपा ने बालकृष्ण चौहान को उम्मीदवार बनाया है. 

मऊ को बुनकरों और करघे का शहर माना जाता है. ऐसे में बुनकर और उनकी समस्याएं ही इस इलाके की बड़ी समस्या मानी जाती हैं. बुनकरो को उम्मीद है कि बंद पड़ी कताई मिल के फिर चालू हो जाने से उनकी समस्याओं का समाधान कुछ हद तक होगा.

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