एसआईआर की भेंट चढ़ी लोकसभा की कार्यवाही, जानें मानसून सत्र में कितना हुआ कामकाज

लोकसभा की कार्यवाही गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. मानसून सत्र 21 जुलाई को शुरू हुआ था. इस दौरान सरकार ने 14 विधेयक पेश किए. इनमें से 12 पारित किए गए.

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  • लोकसभा का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ. इसे गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया.
  • बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान पर विपक्ष के हंगामे के कारण कई विधेयकों पर चर्चा नहीं हो सकी.
  • लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष के व्यवधान और सदन की मर्यादा भंग करने पर निराशा व्यक्त जताई है.
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नई दिल्ली:

संसद के निचले सदन लोकसभा की कार्यवाही गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. इस सत्र में 12 विधेयकों को बिना चर्चा के या संक्षिप्त चर्चा के साथ पारित कर दिया गया. वहीं तीन विधेयकों को चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है. मानसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी. यह सत्र काफी  हंगामेदार रहा. संसद के दोनों सदनों में यह सत्र बिहार में चल रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) पर चर्चा की मांग को लेकर जोरदार हंगामा होता रहा. 

किस बात से निराश हैं लोकसभा अध्यक्ष

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मानसून सत्र में कार्यवाही में गतिरोध बनाए रखने पर विपक्षी दलों के प्रति निराशा जताई. उन्होंने कहा कि नियोजित तरीके से सदन के कामकाज में व्यवधान पैदा किया गया जो लोकतंत्र और सदन की मर्यादा के अनुरूप नहीं है.

अठारहवीं लोकसभा के पांचवें सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी. इसमें 14 सरकारी विधेयक पेश किए गए और 12 विधेयक पारित किए गए. इन विधयेकों में अनुसूचित जनजातियों के विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्समायोजन से संबंधित गोवा विधेयक 2025, मर्चेंट शिपिंग विधेयक 2025, मणिपुर वस्तु एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2025, मणिपुर विनियोग (संख्या 2) विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक 2025 और राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल हैं.

इनके अलावा आयकर विधेयक 2025, कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2025, खनिज और खनिज विकास (विनियमन और संशोधन) विधेयक 2025, भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025 और ऑनलाइन खेल संवर्धन और विनियमन विधेयक, 2025 भी हंगामे के बीच लोकसभा में पारित किए गए.

लोकसभा के मानसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी. इस सत्र में 14 सरकारी विधेयक पेश किए गए और 12 विधेयक पारित किए गए.

लोकसभा ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार किए जाने और लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहने पर पद से हटाए जाने के प्रावधान वाले संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025', ‘संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2025' और ‘जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025' को संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजने का निर्णय लिया.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के काफी हंगामे के बीच इन्हें बुधवार को पेश किया था. इस दौरान सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच नोकझोंक की स्थिति भी बनी.

संसद में एसआईआर पर चर्चा हुई या नहीं

सत्र की शुरुआत से ही बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सदन में लगातार नारेबाजी की जिससे कामकाज प्रभावित हुआ.विपक्ष के शोर-शराबे के कारण कुछ विधेयक संक्षिप्त चर्चा के साथ और कुछ बिना चर्चा के ही पारित कर दिए गए.

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सदन में 28 और 29 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा बिना किसी व्यवधान के पूरी हुई. इसका जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया. इसके अलावा 18 अगस्त को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों पर भी लोकसभा में एक विशेष चर्चा की शुरुआत हुई, लेकिन इस पर केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद निशिकांत दुबे ही अपने विचार रख सके और हंगामे के कारण यह आगे नहीं बढ़ सकी.

मानसून सत्र में कितने तारांकित प्रश्न लिए गए 

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि इस सत्र के लिए 419 तारांकित प्रश्न शामिल किए गए थे किंतु लगातार नियोजित व्यवधान के कारण 55 प्रश्नों का ही मौखिक उत्तर दिया गया. उन्होंने कहा,''हम सबने प्रारंभ में तय किया था कि 120 घंटे चर्चा करेंगे. कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) में भी इस पर सहमति बनी थी, लेकिन (विपक्ष के) लगातार गतिरोध और नियोजित व्यवधान के कारण हम केवल 37 घंटे ही चर्चा कर पाए.''

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बिरला ने विपक्ष के प्रदर्शन के तरीके पर निराशा प्रकट करते हुए कहा,''जनप्रतिनिधि के रूप में हमारे आचरण, हमारी कार्यप्रणाली को पूरा देश देखता है. जनता हमें बहुत उम्मीदों के साथ चुनकर यहां भेजती है ताकि उनकी समस्याओं और व्यापक जनहित के मुद्दों, विधेयकों पर हम व्यापक चर्चा कर सकें.''

उन्होंने कहा,''लेकिन पिछले कुछ दिन से मैं देख रहा हूं कि सार्थक परंपरा के अनुरूप चर्चा नहीं हो रही है. जिस तरह सदन के अंदर और संसद परिसर में नारेबाजी हो रही है, जिस तरह तख्तियां लेकर सदस्य आते हैं. वह परंपरा नहीं है. जिस तरह की भाषा का सदन में इस्तेमाल किया गया, वह सदन की मर्यादा के अनुरूप नहीं है.''

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लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम बजाए जाने के दौरान सदन में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य मंत्री.

सदन में बहस की परंपरा

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा,''हमें स्वस्थ परंपरा का पालन करना चाहिए, गरिमापूर्ण चर्चा करनी चाहिए. सहमति और असहमति स्वाभाविक प्रक्रिया है लेकिन सदन की गरिमा,मर्यादा और शालीनता को बनाए रखने का सामूहिक प्रयास होना चाहिए.''

उन्होंने कहा,''हमें प्रयास करना चाहिए कि अच्छी परपंराएं और परिपाटियों को लागू करें. इस पर हमें सामूहिक चिंतन करना चाहिए और सभी राजनीतिक दलों को आत्ममंथन करना चाहिए कि हम अपने आचरण को लेकर आदर्श स्थापित करें.''

राष्ट्रगीत वंदे मातरम की धुन बजने के बाद सदन की बैठक को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्री उपस्थित थे.सदन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल आदि उपस्थित थे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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