लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के दूसरे चरण में शुक्रवार को 13 राज्यों की 88 सीटों पर वोटिंग हुई. लोकतंत्र के इस महापर्व में दो चरणों में अब तक कुल 35 फीसदी यानी 190 सीटों पर उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है. हालांकि इन दो फेज में वोटरों के मतदान को लेकर ठंडे रुख ने सभी की चिंता बढ़ा दी है. वोटिंग ट्रेंड में कमी से कम मार्जिन वाली सीटों पर भी असर पड़ता है.
दूसरे चरण में भी पिछली बार के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहा. हालांकि कुछ ऐसे भी लोकसभा क्षेत्र रहे जहां मामूली रूप से वोटर टर्नआउट बढ़ा भी है. आज हम आपको दूसरे फेज की ऐसी 10 सीटों के बारे में बताएंगे, जहां सबसे ज्यादा और सबसे कम मतदान हुआ.
मंड्या लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा और मथुरा में सबसे कम मतदान
2019 के मुकाबले अगर वोटर टर्नआउट की बात करें तो इस बार दूसरे चरण में कर्नाटक की मंड्या लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा 81.3 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, वहीं उत्तर प्रदेश की मथुरा सीट पर सबसे कम 49.3 फीसदी वोटिंग हुई. 2019 के लोकसभा चुनाव में मंड्या में 80.59 और मथुरा में 61.8 प्रतिशत मतदान हुआ था.
दूसरे चरण में सबसे ज्यादा वोटिंग वाली 10 लोकसभा सीटें मंड्या, नगांव (नौगांव), त्रिपुरा ईस्ट, बाहरी मणिपुर, दरांग-उदलगुरी, हासन, तुमकुर, वडाकारा, कोलार और कन्नूर हैं. हालांकि मंड्या को छोड़कर इन सभी सीटों पर 2019 में मतदान प्रतिशत इस बार से ज्यादा थे.
इन सीटों पर वोटिंग प्रतिशत में बढ़त
वहीं कुछ ऐसी भी सीटें हैं जहां 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले 2024 में वोटिंग टर्नआउट में बढ़त देखी गई है. इनमें से टॉप-5 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में चित्रदुर्ग, वर्धा, कंकेर, बेंगलुरु ग्रामीण और मंड्या सीट है.
वोटिंग प्रतिशत में गिरावट की बात करें तो पांच ऐसे निर्वाचन क्षेत्र हैं जहां 2019 के मुकाबले 2024 में 10 प्रतिशत से भी ज्यादा मतदान में गिरावट देखी गई है. इन लोकसभा सीटों में पथानामथिट्टा, मथुरा, खजुराहो, रीवा और एर्नाकुलम शामिल है, जहां 10 से 13 फीसदी तक वोटर टर्नआउट कम रहा है.
तमाम उपायों के बाद भी मतदान प्रतिशत कम
पहले चरण में वोटिंग प्रतिशत घटने के बाद निर्वाचन आयोग ने दूसरे चरण को लेकर तमाम व्यवस्थाएं कीं, वहीं राजनीतिक दलों ने भी वोट देने को लेकर लोगों को जागरूक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, फिर भी परिणाम 'ढाक के तीन पात' ही रहे. कम होते इस वोटिंग प्रतिशत ने सभी राजनीतिक दलों का गणित बिगाड़ दिया है.
भीषण गर्मी मतदान प्रतिशत में कमी की वजह!
पूरे उत्तर भारत में इन दिनों गर्मी का कहर है, ऐसे में जानकारों का कहना है कि ये भी वोटिंग ट्रेंड में कमी की एक वजह हो सकती है. इन क्षेत्रों में इन दिनों हीटवेव चल रही है और मतदान के दिन तापमान ज्यादा था. कई बूथों पर छाया, टेंट या पानी के समुचित इंतजाम नहीं होने की वजह से मतदाता मतदान केंद्रों पर लाइन में लगने की बजाय घरों में आराम करने को तरजीह दी. वहीं नेताओं में विश्वास की कमी की वजह से भी मतदाताओं में अब वोट देने को लेकर उत्साह कम होता दिख रहा है.
पलायन भी वोटिंग प्रतिशत कम होने को एक वजह
वहीं पलायन को भी वोटिंग प्रतिशत कम होने को एक वजह बताया जा रहा है. बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान से बड़ी संख्या में लोग काम की तलाश में दूसरे राज्यों में रहते हैं, ऐसे में वो वोट देने नहीं आ पाते. ऐसे में जब प्रतिशत निकालते हैं तो उसमें मतदाताओं की संख्या और मतदान काफी कम दिखता है.