राजस्थान (Rajasthan) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए लगभग सभी सीटों पर उम्मीदवारों की स्थिति स्पष्ट हो गई है, जहां इस बार लगभग आधा दर्जन सीटों पर मुकाबला कड़ा या रोचक रहने की संभावना है. राज्य में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं, जिन पर इस महीने दो चरणों में मतदान होगा. कांग्रेस ने 22 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं जबकि नागौर और सीकर सीट गठबंधन के तहत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और माकपा के लिए छोड़ी है. पार्टी ने बांसवाड़ा सीट पर अभी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. वहीं केंद्र व राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भाजपा ने सभी 25 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं.
राजनीतिक समीकरणों के लिहाज से इस बार चूरू, कोटा-बूंदी, सीकर, नागौर, बांसवाड़ा और बाड़मेर सीटों पर मुकाबला रोचक या कड़ा रहने की उम्मीद है. बाड़मेर में निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी के लोकसभा चुनाव के समर में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
कांग्रेस ने चूरू (राहुल कस्वां), कोटा-बूंदी (प्रह्लाद गुंजल) और बाड़मेर (उम्मेदाराम) में दूसरी पार्टी से आए नेताओं को टिकट दिया है. वहीं भाजपा ने बांसवाड़ा में कांग्रेस से आए महेंद्रजीत सिंह मालवीय को मैदान में उतारा है.
गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को चुनाव तैयारियों की समीक्षा की और नागौर एवं चूरू समेत पांच विधानसभा क्षेत्रों का फीडबैक लिया. उन्होंने सीकर में रोड शो भी किया. इस रोड शो को शेखावाटी इलाके में पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत माना जा रहा है जिसमें सीकर, झुंझुनू, चूरू और नागौर शामिल है.
शाह सोमवार को जोधपुर में जोधपुर, पाली, जालोर-सिरोही और बाड़मेर संसदीय क्षेत्र के पार्टी नेताओं की बैठकें ले रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र रूप से सभी 25 लोकसभा सीटें जीतीं. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 24 सीटें जीतीं और उसकी सहयोगी आरएलपी ने एक सीट नागौर जीती. इस बार भाजपा फिर अकेले चुनाव लड़ रही है तो हनुमान बेनीवाल की आरएलपी ने इस बार नागौर की उसी सीट पर कांग्रेस से हाथ मिला लिया है.
दो लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं
कांग्रेस पिछले दो लोकसभा चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई है, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव के समय वह राज्य में सत्ता में थी.
पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और चूरू से भाजपा सांसद राहुल कस्वां के बीच अंदरूनी कलह का फायदा उठाते हुए कांग्रेस ने कस्वां को कांग्रेस में शामिल करा लिया. कस्वां ने बाद में सांसद पद से इस्तीफा दे दिया. कांग्रेस ने कस्वां को चूरू से अपना उम्मीदवार बनाया है जहां भाजपा ने एक नए चेहरे और पैरालंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया पर दांव खेला है.
उत्तरी राजस्थान की चूरू सीट जाट बहुल इलाका है और दोनों पार्टियों के उम्मीदवार जाट समुदाय से हैं. चूरू लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से पांच पर कांग्रेस के विधायक हैं. भाजपा के पास दो और बसपा के पास एक सीट है.
लोकसभा क्षेत्र में मजबूत स्थिति के बावजूद, कांग्रेस ने अपनी पार्टी के किसी नेता को टिकट देने के बजाय भाजपा छोड़कर आए कस्वां पर भरोसा किया.
दो बार सांसद रहे कस्वां की जीतों में मोदी लहर को भी एक बड़ा कारक माना जाता है. यह अलग बात है कि इस बार कस्वां के लिए हालात और पार्टी अलग है.
ओम बिरला के मुकाबले में प्रह्लाद गुंजल
इसी तरह कोटा-बूंदी संसदीय सीट पर भाजपा के ओम बिरला को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने हाड़ौती क्षेत्र में भाजपा के ही एक प्रभावशाली नेता प्रह्लाद गुंजल को अपने पाले में कर लिया है. उसने कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक गुंजल को उम्मीदवार बनाया है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले गुंजल द्वारा ओम बिरला को कड़ी टक्कर देने की उम्मीद है. बिरला दो बार सांसद रह चुके हैं और लोकसभा अध्यक्ष हैं.
राज्य की सीकर सीट पर माकपा के पूर्व विधायक अमराराम कांग्रेस के साथ गठबंधन के उम्मीदवार है. उनके सामने भाजपा के दो बार के सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का विधानसभा क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ भी सीकर लोकसभा सीट में आता है. राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि माकपा और कांग्रेस गठबंधन से भाजपा को इस सीट पर चुनौती मिलेगी.
मिर्धा और बेनीवाल पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी
प्रदेश की जाट बहुल नागौर सीट पर भी मुकाबला रोचक एवं कड़ा रहने की संभावना है. यहां भाजपा ने पूर्व कांग्रेस सांसद ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के संयोजक हनुमान बेनीवाल कांग्रेस के साथ गठबंधन के तहत लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
मिर्धा और बेनीवाल पुराने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं. बेनीवाल ने 2019 में भाजपा के साथ गठबंधन के तहत तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार ज्योति मिर्धा को हराकर ही यह सीट जीती थी. मिर्धा 2023 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गईं और नागौर सीट पर चुनाव लड़ा लेकिन अपने चाचा और कांग्रेस उम्मीदवार हरेंद्र मिर्धा से हार गईं.
बाड़मेर में रवींद्र सिंह भाटी ने रोचक किया मुकाबला
एक और सीट जिस पर इस बार मुकाबला रोचक रहने की उम्मीद है वह पश्चिमी राजस्थान की बाड़मेर सीट है. इस सीट पर भाजपा की ओर से एक बार फिर केंद्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने आरएलपी छोड़कर पार्टी में शामिल हुए उम्मेदाराम को टिकट दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार हालांकि पहली बार विधायक बने युवा रवींद्र भाटी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
भाजपा के बागी भाटी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में बाड़मेर की शिव विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीते. उन्हें स्थानीय मतदाताओं विशेषकर युवाओं में खासा लोकप्रिय माना जाता है. भाटी छात्रों के अधिकारों को लेकर काफी मुख्य रहे हैं और उनकी सभाओं में अच्छी भीड़ उमड़ती देखी गई है.
बांसवाड़ा में कांग्रेस के पूर्व मंत्री को भाजपा का टिकट
आदिवासी बहुल दक्षिणी राजस्थान में बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री और प्रभावशाली आदिवासी नेता महेंद्रजीत सिंह मालवीया को मैदान में उतारा है.
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस मालविया का मुकाबला करने के लिए भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के साथ गठबंधन करना चाह रही है और उसने अभी तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. बीएपी के विधायक राजकुमार रोत ने शनिवार को स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन पत्र दाखिल किया. बीएपी उन्हें पहले ही इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है.
इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इस सीट पर कांग्रेस और बीएपी के गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा जाएगा. राज्य में बीएपी के तीन विधायक हैं.
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में लोकसभा चुनाव दो चरणों में 19 और 26 अप्रैल को होंगे. पहले चरण में 19 अप्रैल को 12 सीटों गंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अलवर भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा और नागौर में मतदान होगा.
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