NDTV Battleground : तमिलनाडु में BJP-AIADMK गठबंधन टूटने का नुकसान किसे? कौन करेगा भरपाई?

NDTV Battleground: लोकसभा चुनाव 2024 में NDA के घटक दल 400 सीटें जीतने का नारा दे रहे हैं. इस नारे को अमलीजामा पहनाने के लिए BJP गठबंधन का विस्तार करने में जुटी है. BJP, NDA को दक्षिण भारत तक ले जाना चाहती है. इसी सिलसिले में BJP ने आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू से गठबंधन किया है. इसके साथ ही पार्टी तेलंगाना और केरल में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी हुई है."

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नई दिल्ली/चेन्नई:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने NDA के लिए 400 सीटों का टारगेट रखा है. BJP की अगुवाई वाले गठबंधन के लिए इस लक्ष्य को पूरा करने में दक्षिण भारत के 5 राज्य अहम है. तमिलनाडु (Tamil Nadu) में BJP-का AIADMK के साथ हाल ही में गठबंधन टूटा है. भगवा पार्टी ने PMK यानी पट्टाली मक्कल काची पार्टी के साथ गठबंधन किया है. यह एक छोटी क्षेत्रीय पार्टी है, जिसके विधानसभा में 5 विधायक हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि तमिलनाडु में BJP-AIADMK का गठबंधन टूटने का नुकसान किसे होगा? क्या DMK इसका फायदा उठा पाएगी या BJP को इसकी भरपाई करनी होगी? लोकसभा चुनाव को लेकर NDTV की खास पेशकश NDTV Battleground में इन्हीं सवालों के जवाब जानते हैं.

दरअसल, तमिलनाडु में गठबंधन को खटाई में डालने का काम किसी और ने नहीं, बल्कि खुद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने किया. वो न सिर्फ AIADMK के नेतृत्व के आलोचक थे, बल्कि उन्होंने सीएन अन्नादुरै के आइकन को निशाना बनाने का एक भी मौका नहीं छोड़ा. अन्नादुरै को द्रविड़ पार्टियों का जनक माना जाता है. AIADMK के कार्यकर्ताओं के मन में दोनों के प्रति सम्मान है. अब BJP-AIADMK के अलग होने और BJP-PMK के साथ आने से समीकरण बदल चुके हैं.

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लोकनीति के नेशनल कंविनर और इलेक्शन डेटा एनालिस्ट संदीप शास्त्री ने कहा, "मैं तमिलनाडु को कई कारणों से चुनाव में अहम मानता हूं. यहां दो गठबंधनों का मुकाबला है. पहला गठबंधन DMK-कांग्रेस का और दूसरा BJP-PMK का. बेशक PMK एक छोटी पार्टी है, लेकिन उसे साथ लेने से फायदा BJP का ही है. BJP का वोट शेयर बढ़ सकता है." 

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संदीप शास्त्री कहते हैं, "तमिलनाडु में BJP इस बार तीसरी फोर्स न सही, लेकिन एक अलग फोर्स जरूर बन रही है. राज्य के पॉलिटिक्स के डायनैमिक्स में इसबार हम जरूर कुछ बदलाव देखने जा रहे हैं. इस चुनाव में बीजेपी थर्ड अलायंस के तौर पर आ रही है, लेकिन चुनाव बाद हम इसे DMK को मुख्य चुनौती देने वाली पार्टी के तौर पर देखेंगे."

इलेक्शन एनालिस्ट मनीषा प्रियम ने कहा, "2019 के चुनाव में पुलवामा अटैक को लेकर एक लहर थी. अब 2024 के चुनाव में कलर ऑफ स्टेट पॉलिटिक्स अहमियत रखता है. खासतौर पर जब हम तमिलनाडु की बात करते हैं, जहां लोग जानना चाहते हैं कि BJP के पास उनके लिए क्या है."

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संदीप शास्त्री कहते हैं, "अगर दो पार्टियां आपस में वोट बांटती हैं, तो DMK को फायदा होगा. फिलहाल ये होता नहीं दिख रहा है. BJP के लिए तो यही बहुत है कि उसका वोटिंग प्रतिशत थोड़ा बढ़ जाए. लेकिन AIDMK और पलानीस्वामी के लिए तो सीटें जीतना ज़रूरी हैं, वरना उनके नेतृत्व को ख़तरा पैदा हो जाएगा."

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तमिलनाडु के लोगों की आकांक्षाएं और जमीनी हकीकत में कितना फर्क है? इसके जवाब में पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, "मुझे लगता है की पीएम मोदी इस फर्क को अच्छे से समझते हैं. अगर आप 2019 में हुई रैलियों को याद करें, तो पीएम मोदी की टॉप 3 रैलियां यूपी, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में हुईं. जहां पार्टी को लगा कि सीटें कम हो सकती हैं. तमिलनाडु में भी बीजेपी इसी रणनीति पर चल रही है."


वहीं, सत्ताधारी DMK के प्रवक्ता मनुराज सुंदरम ने कहा, "मीडिया जगत और आम लोगों के बीच प्रधानमंत्री को काफी तवज्जो मिलती है... हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री अक्सर तमिलनाडु आते रहते हैं." सुंदरम ने कहा-"हालांकि, इसमें दो महत्वपूर्ण बातें हैं. पहला- अब दिल्ली पर अविश्वास करने की प्रवृत्ति है. साथ ही परिसीमन प्रक्रिया को लेकर काफी आशंकाएं हैं. इससे उत्तर की तुलना में दक्षिणी राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व अनिवार्य रूप से कम हो जाएगा. दूसरा- तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है, जिसमें एक प्रकार की राजनीति का वर्चस्व रहा है. द्रविड़ या समाजवादी राजनीति की पहचान हमारी मजबूत भावना है." सुंदरम ने कहा, "चुनाव में जो इन मुद्दों को उठाएगा और समाधान बताएगा, जनता उसका साथ देगी."

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लोकसभा चुनाव 2024 में NDA के घटक दल 400 सीटें जीतने का नारा दे रहे हैं. इस नारे को अमलीजामा पहनाने के लिए BJP गठबंधन का विस्तार करने में जुटी है. BJP, NDA को दक्षिण भारत तक ले जाना चाहती है. इसी सिलसिले में BJP ने आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू से गठबंधन किया है. इसके साथ ही पार्टी तेलंगाना और केरल में अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी हुई है. 

पीएम मोदी ने संभाला मिशन साउथ
खुद पीएम मोदी मिशन साउथ को पूरा करने में लगे हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी 50 बार तमिलनाडु का दौरा कर चुके हैं. इस साल जनवरी से अभी तक पीएम मोदी ने दक्षिण भारतीय राज्यों के 20 से अधिक दौरे किए हैं.

अभी दक्षिण भारत में बीजेपी की क्या है स्थिति?
केरल में पिछले 3 लोकसभा चुनाव की बात करें, तो यहां NDA को एक भी सीट नहीं मिली. तमिलनाडु में सहयोगी पार्टी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के अलग होने के बाद BJP अलग-थलग पड़ गई है. तेलंगाना में 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने 4 सीटें जीती थीं, लेकिन 2023 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद यहां कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है.

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