लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर अब गिनती के दिन बचे हैं. ऐसे में बीजेपी (BJP) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ताकत बढ़ाने में जुटी है. बिहार (Bihar Seat Sharing) में बीजेपी ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के चीफ चिराग पासवान (Chirag Paswan) और उनके चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paran) के साथ डील क्रैक कर ली है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, BJP चिराग पासवान को LJP के कोटे की सभी 5 सीटें देने को तैयार हो गई है. इसमें हाजीपुर सीट भी शामिल है, जिससे चिराग लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. जबकि पशुपति पारस को गवर्नर बनाया जा सकता है.
सूत्रों के मुताबिक, चिराग पासवान के चचेरे भाई प्रिंस को बिहार में मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया गया है. इस डील के बाद चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के गुट को मिला दिया जाएगा. जिसके बाद चिराग पासवान को LJP का पुराना चुनाव चिह्न भी वापस मिल सकता है.
जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद सीटों को लेकर बनी सहमति
BJP कई दिनों से चिराग पासवान को मनाने में जुटी थी. चिराग पासवान ने बुधवार को BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद सीटों को लेकर डील फाइनल होने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे दिया गया है और उचित समय आने पर इसकी सूचना दे दी जाएगी.
2021 में दो फाड़ हुई थी लोक जनशक्ति पार्टी
दरअसल, रामविलास पासवान के निधन के बाद साल 2021 में उनकी लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में टूट गई थी. इसका एक धड़ा 'राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी' उनके भाई पशुपति कुमार पारस के साथ है, जबकि दूसरा धड़ा उनके बेटे चिराग पासवान के पास है. लोक जनशक्ति पार्टी को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA में साझेदारी के तहत 6 सीटें मिली थीं. इन सभी 6 सीटों पर LJP की जीत हुई थी. पार्टी में टूट के बाद पशुपति कुमार पारस के साथ LJP के 5 सांसद हैं. वहीं, जमुई सीट से सांसद चिराग पासवान हैं.
हालांकि, चिराग पासवान इसके बाद भी अपने धड़े LJP(R) को राम विलास पासवान की मूल पार्टी बताते हैं. उनके पास इसके लिए कई तर्क हैं. पिछले साल हुए नगालैंड विधानसभा चुनाव में पहली बार LJP(राम विलास) को 2 सीटों पर जीत मिली थी और वो 8 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी.
चिराग पासवान ने साल 2020 के बिहार विधानसभा में लोक जनशक्ति पार्टी को बिना किसी गठबंधन के चुनाव मैदान में उतारा था. उन चुनावों में पार्टी को केवल एक जीत मिली थी.
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