सोच-समझकर दें बयान... : वोटर टर्नआउट में हेरफेर वाले आरोप पर खरगे को EC की नसीहत

चुनाव आयोग ने कहा, "खरगे लोकसभा चुनाव के बीच वोटिंग पर्सेंटेज डेटा को लेकर भ्रम फैला रहे हैं. ऐसे बयानों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मतदाताओं की भागीदारी पर भी नेगेटिव असर पड़ सकता है."

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 7 मई को INDIA अलायंस के नेताओं को चिट्ठी लिखी थी.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024)के पहले, दूसरे और तीसरे फेज की वोटिंग हो चुकी है. तीनों फेज में पिछले चुनाव के मुकाबले कम वोटिंग (Voting Turnout Data) हुई. जबकि चुनाव आयोग (Elections Commission) ने वोटिंग डेटा भी देर से जारी किए. इसे लेकर कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) ने INDIA अलायंस के नेताओं को चिट्ठी लिखी थी. अब चुनाव आयोग ने इसपर आपत्ति जताते हुए खरगे को सोच-समझकर बोलने की नसीहत दी है. चुनाव आयोग ने खरगे से कहा कि उनका बयान निष्पक्ष लोकसभा चुनाव में बाधा डाल सकता है. लिहाजा उन्हें ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देने चाहिए. 

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को मल्लिकार्जुन खरगे को फटकार लगाई. आयोग ने कहा कि ऐसे बयानों से निष्पक्ष चुनाव में बाधा आती है. चुनाव आयोग ने कहा, "खरगे लोकसभा चुनाव के बीच वोटिंग पर्सेंटेज डेटा को लेकर भ्रम फैला रहे हैं. ऐसे बयानों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में मतदाताओं की भागीदारी पर भी नेगेटिव असर पड़ सकता है."

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खरगे ने वोटिंग डेटा पर उठाए थे सवाल
दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को वोटिंग के आंकड़े जारी करने को लेकर विपक्षी दलों के INDIA अलायंस को चिट्ठी लिखी थी. खरगे ने सीधे तौर पर वोटिंग डेटा पर सवाल खड़े किए थे. मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्षी गठबंधन के नेताओं को लिखी चिट्ठी में दावा किया कि पहले फेज का वोटिंग पर्सेंटेज करीब 5.5% और दूसरे फेज का करीब 5.74% बढ़ा. खरगे ने INDIA अलायंस के नेताओं से अपील की थी कि वो सभी एकजुट होकर वोटिंग डेटा पर सवाल उठाए, क्योंकि उनका मकसद संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना है.

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चुनाव आयोग ने दी ये दलीलें
चुनाव आयोग ने मल्लिकार्जुन खरगे की चिट्ठी पर संज्ञान लेते हुए उनकी बातों को सिरे से खारिज कर दिया है. आयोग ने कहा कि ऐसे बयानों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति लोगों का भरोसा कम होता है. मतदाताओं में भ्रम की स्थिति पैदा होती है. आयोग ने कहा कि मतदान के दौरान वोटिंग डेटा बताने से वोटरों में भ्रम की स्थिति हो सकती है. वैसे भी आयोग के ऐप पर सारा डेटा अपलोड होता रहता है. आम जनता को वोटिंग पर्सेंटेज का लाइव अपडेट भी दिया जाता है. लिहाजा ऐसे बयान देने से बचना चाहिए.

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चुनाव आयोग ने कहा कि फाइनल वोटिंग डेटा हमेशा वोटिंग के दिन से ज्यादा ही रहता है. 2019 के चुनाव के बाद से हम मेट्रिक्स पर इसे अपडेट कर रहे हैं. हमारे डेटा कलेक्ट करने के तरीके में कोई भी गड़बड़ी नहीं है.

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