क्या 'राम काज' से NDA का होगा 400 पार? अयोध्या समेत 5 VIP सीटों का गुणा-गणित समझिए

2019 में बीजेपी ने पांचवें चरण की 14 सीटों में से 13 सीटें जीती थीं. उसके सामने चुनौती है इस स्ट्राइक रेट को बरक़रार रखने या फिर रायबरेली भी जीतकर 100% सीटों पर जीत दर्ज करने की.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha election 2024) को लिए 4 चरण के मतदान हो चुके हैं. पांचवे चरण के लिए 20 मई को वोट डाले जाएंगे. तमाम मुद्दों के बीच इस बार के चुनाव में राम मंदिर (Ram Mandir) का मुद्दा भी मजबूती से उठाया जा रहा है.  राम मंदिर आस्था और श्रद्धा से जुड़ा है. दशकों इस मुद्दे पर सियासत हुई है. सवाल यह है कि जो उमंग और उत्साह मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान दिखी क्या उसका रिफलेक्शन चुनाव में दिखेगा. क्या अयोध्या और उसके आस-पास की सीटों के वोटर्स राम मंदिर से प्रभावित होंगे. राम मंदिर के आसपास की सीटों पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है.

अयोध्या के आसपास की 5 सीटों पर किसकी कितनी पकड़
फ़ैज़ाबाद, रायबरेली, अमेठी, लखनऊ , कैसरगंज, ऐसी सीटें हैं जहां 20 मई को पांचवे चरण में वोट डाले जाएंगे. आइए जानते हैं कि  इन सीटों पर राम मंदिर के बनने के बाद चुनाव परिणाम पर क्या प्रभाव पड़ सकता है. फ़ैज़ाबाद सीट पर अभी लल्लू सिंह बीजेपी के सांसद हैं.  वहीं रायबरेली से सोनिया गांधी पिछले चुनाव में जीत कर सांसद पहुंची थी. इस चुनाव में राहुल गांधी मैदान में हैं. अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी ने पिछले चुनाव में राहुल गांधी को हराया था. लखनऊ से राजनाथ सिंह पिछले 2 चुनाव से जीत रहे हैं. कैसरगंज सीट पर बृजभूषण शरण सिंह सांसद हैं. बीजेपी ने उनके बेटे को चुनाव मैदान में उतारा है. 

2019 में बीजेपी ने पांचवें चरण की 14 सीटों में से 13 सीटें जीती थीं. उसके सामने चुनौती है इस स्ट्राइक रेट को बरक़रार रखने या फिर रायबरेली भी जीतकर 100% करने की.

राम मंदिर के निर्माण से वोट बढने की संभावना कम: वरिष्ठ पत्रकार अदिति फडणीस
इन हॉट सीटों को लेकर एनडीटीवी के साथ बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अदिति फडणीस ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के बाद बीजेपी में कोई अतिरिक्त वोट बढ़ने की संभावना कम है. जो पहले वोट पहले से बीजेपी को वोट देते रहे हैं. वो अधिक मजबूती के साथ बीजेपी के साथ रहेंगे. सभी सीटों पर यही देखने को मिल सकता है. लेकिन नए वोटर्स की इस नाम पर जुड़ने की संभावना बहुत कम है. 

Advertisement

बीजेपी को राम मंदिर निर्माण का होगा लाभ: राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक विश्लेषक संजय सिंह ने कहा कि अमेठी सीट से राहुल गांधी के नहीं लड़ने का असर कार्यकर्ताओं पर पड़ा है. राहुल गांधी के नहीं लड़ने का असर अमेठी पर जरूर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण का असर इन सीटों पर जरूर दिखेगा. क्योंकि लोगों को इसका लंबे समय से इंतजार था. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंदिर नहीं बनने का लोगों में आक्रोश रहा था. लेकिन इस बार इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. 

Advertisement

रायबरेली सीट पर कांग्रेस की कमजोर होती पकड़
अयोध्या से करीब ढाई घंटे की दूरी पर है रायबरेली सीट. यहां से इस बार राहुल लड़ रहे हैं .इस सीट को गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या राहुल के लिए यहां मुकाबला एक तरफ़ा है. क्या राम मंदिर निर्माण के बाद स्थितियां बदली हैं. क्या यहां बीजेपी टक्कर में है. सवाल इसलिए अहम है क्योंकि 2009 से 2019 तक तीन चुनाव के दौरान कांग्रेस के वोट प्रतिशत में लगातार कमी आई है. 72 से घट कर ये 56 फीसदी पर आ गया है. पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस के वोट में 16 प्रतिशत की कमी आयी है. 

Advertisement
2009 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार सोनिया गांधी को 72 प्रतिशत वोट मिले थे. 2014 में यह कम होकर 64 प्रतिशत रह गया. 2019 के चुनाव में सोनिया गांधी को 56 प्रतिशत वोट मिले थे. तमाम आंकड़ों के साथ ही राम मंदिर के निर्माण का प्रभाव भी इन क्षेत्रों में पड़ सकता है.

अमेठी में क्यों कठिन है कांग्रेस की डगर
रायबरेली के बगल में ही सीट है अमेठी. यहां गांधी परिवार को पिछले चुनाव में हार झेलनी पड़ी तो इस चुनाव में राहुल ने अमेठी से किनारा कर लिया है. के एल शर्मा मैदान में हैं. सवाल यह है कि कक्या राहुल के ना लड़ने से स्मृति ईरानी को मतदान से पहले ही मनोवैज्ञानिक बढ़त मिल गई है. क्या राहुल ने ना लड़ने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा. अगर पिछले तीन चुनाव परिणाम को भी देखा जाए तो कांग्रेस के लिए वापसी आसान नहीं दिख रही है. 

Advertisement
2009 के चुनाव में राहुल गांधी ने 72 प्रतिशत वोट शेयर के साथ चुनाव में जीत दर्ज की थी. 2014 में उनका वोट शेयर घटकर महज 47 प्रतिशत रह गया था. 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने 50 प्रतिशत वोट प्राप्त कर चुनाव में शानदार जीत दर्ज की. 

लखनऊ में बीजेपी का बढ़ता रहा है वोट शेयर
पांचवें चरण के चुनाव में लखनऊ एक ऐसी सीट है.  जिसपर सबकी नजर है. ये भी वाआईपी सीट है. सवाल ये है कि क्या राजनाथ सिंह जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे. राम मंदिर निर्माण के बाद जो सेंटिमेंट बना है. क्या वो  लखनऊ में राजनाथ सिंह की राह को और आसान बनाएगा. इस सीट पर कभी अटल बिहारी वाजपेयी भी चुनाव जीतते रहे थे. 

पिछले तीन चुनाव के आंकड़ों को अगर देखें तो बीजेपी के वोट शेयर में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है. 2009 के चुनाव में बीजेपी के लालजी टंडन को 35 प्रतिशत वोट मिले थे.  2014 में राजनाथ सिंह को 54 प्रतिशत वोट मिले थे. 2019 के चुनाव में उनका वोट शेयर बढ़कर 57 तक पहुंच गया. 

फैजाबाद पर पूरे देश की है नजर
फैजाबाद लोकसभा सीट वो सीट है जिसपर पूरे देश की नजर है. फैजाबाद के अतंर्गत ही अयोध्या आता है. इस सीट पर बीजेपी का लंबे समय से पकड़ रहा है. हालांकि 2009 के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार इस सीट पर जीतने में सफल रहे थे.  2014 के चुनाव में बीजेपी नेता लल्लू सिंह ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली थी. लल्लू सिंह को 2014 के चुनाव में 48 प्रतिशत वोट मिले थे. 2019 में उनके वोट शेयर में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. 2019 के चुनाव में लल्लू सिंह को 49 प्रतिशत वोट मिले थे. 

कैसरगंज में बृजभूषण शरण सिंह की साख दांव पर
कैसरगंज की सीट भी खूब सुर्खियों में रही है. हालांकि इस बार यहां से ब्रजभूषण शरण सिंह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. उनके बेटे को मैदान में उतारा गया है. यहां के समीकरण क्या इशारा करते है. ब्रजभूषण शरण सिंह पर तमाम सवाल उठे हैं. पिछले एक साल में महिला पहलवानों के द्वारा किए गए आंदोलनों के कारण बृजभूषण शरण सिंह काफी विवादों में रहे हैं. हालांकि अपने चुनाव क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ रही है. 

बृजभूषण शरण सिंह लगातार चुनाव जीतते रहे हैं. हर चुनाव में उनका वोट शेयर भी बढ़ता रहा है. 2009 में जहां उन्हें 35 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं 2014 में 40 प्रतिशत और 2019 के चुनाव में उन्होंने 59 प्रतिशत वोट पाया था. 

ये भी पढे़ें-:

Featured Video Of The Day
Champions Trophy 2025 Update: भारत किस देश में खेलेगा चैंपियंस ट्रॉफी, PCB ने लिया फैसला
Topics mentioned in this article