नोटबंदी की तरह ‘अग्निपथ’ के पीएम मोदी के मौलिक चिंतन से युवाओं के सपनों की हत्या : शिवानंद तिवारी

आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा- किसानों की हालत कैसे बदले और देश बेरोजगारी से मुक्ति की दिशा में कैसे आगे बढ़े, इसका जवाब अब तक देश की राजनीति के किसी कोने से नहीं मिल रहा

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बिहार में अग्निपथ योजना के विरोध में युवाओं ने हिंसक प्रदर्शन किया और ट्रेन में आग लगा दी.
पटना:

केंद्र सरकार की सेना (Army) में भर्ती की नई योजना अग्निपथ (Agneepath) का देश भर में विरोध हो रहा है. युवाओं ने आज देश भर में हिंसक प्रदर्शन किए और सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया. इस मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RLD) के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) ने आज कहा कि ''युवाओं द्वारा फौजी बहाली की नई नीति का उग्र विरोध गंभीर बीमारी का लक्षण है. बीमारी तो सुरसा की तरह बढ़ती हुई बेरोजगारी है. कुछ ही दिन पूर्व रेलवे की बहाली में गड़बड़ी की आशंका में युवाओं का इसी तरह का उग्र विरोध हमने देखा था. हालांकि उसके दायरे का फैलाव इतना नहीं था.''

उन्होंने कहा कि ''2014 में मोदी जी को सत्ता में बैठाने में युवाओं ने अहम भूमिका निभाई थी. देश के दो विशाल तबके को बहुत ही ठोस आश्वासन उन्होंने दिया था. युवाओं को प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार और 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना कर देने का आश्वासन. मोदी जी को सत्ता में आए आठ वर्ष बीत गए. लेकिन मोदी जी की सरकार वायदा पूरा करने की दिशा में नहीं बल्कि उलटी दिशा में चलती हुई दिखाई दे रही है.''

शिवानंद तिवारी ने कहा कि ''मोदी जी की विकास दृष्टि में मानव श्रम पिछड़ेपन और धीमे विकास की निशानी है. इसलिए उनके शासन अवधि में मानव श्रम रोज़-रोज़ विस्थापित हो रहा है. तरह-तरह की तकनीक मनुष्य के काम का स्थान ले रही है. अब तो एक-एक खेत में मोदी जी ड्रोन पहुंचाने जा रहे हैं.''

उन्होंने कहा कि ''सेना, पुलिस, रेल आदि की नौकरियों का सपना पालने वाले गरीब तथा अति सामान्य परिवार के बच्चे जहां जगह मिल रही है वहीं तैयारी में लगे दिखाई देते हैं. दो वर्षों से फ़ौज में बहाली नहीं हुई. कुछ जगहों पर बहाली फंसी हुई है. ऐसे में नोटबंदी की तरह अचानक ‘अग्नि पथ' का मौलिक चिंतन मोदी जी ने पेश कर दिया है. इससे अनवरत तैयारी में जुटे युवाओं को महसूस हो रहा है जैसे उनके सपनों की हत्या कर दी गई हो. इसका नतीजा हमारे सामने है.''

आरजेडी नेता ने कहा कि ''देश की हालत अत्यंत खराब है. अमीरी-गरीबी दोनों में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है. मोदी जी के शासनकाल में पहले से चली आ रही आर्थिक गैरबराबरी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. लोग समस्याओं को बर्दाश्त करते रहें इसके लिए सांप्रदायिकता का नशा अब तक कारगर साबित हुआ है. युवाओं का यह उग्र विरोध और नारे की शक्ल में मोदी जी को दी जाने वाली गालियां बता रही हैं कि मोदी जी का व्यमोह अब टूटने लगा है.''

शिवानंद तिवारी ने कहा कि ''किसानों की हालत कैसे बदले और देश बेरोजगारी से मुक्ति की दिशा में कैसे आगे बढ़े, इसका जवाब अब तक देश की राजनीति के किसी कोने से नहीं मिल रहा है.'' 

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