LG या दिल्ली सरकार, MCD में एल्डरमैन की नियुक्ति कौन करेगा? 5 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट का फैसला

दिल्ली सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि पिछले 30 साल से एल्डरमैन को दिल्ली सरकार नियुक्त करती रही है. एलजी सिर्फ सलाहकार की भूमिका मे थे.

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नई दिल्ली:

एल्डरमैन की नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार का या LG का है, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनाएगा फैसला. सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि एल्डरमैन की नियुक्ति पर किसका अधिकार है. 17 मई 2023 को CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था. सुनवाई के दौरान CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था.  क्या स्थानीय निकाय में विशिष्ट ज्ञान रखने वाले लोगों का नामांकन केंद्र सरकार के लिए इतनी बड़ी चिंता है? 

LG को यह अधिकार दिया गया तो वह लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई एमसीडी को अस्थिर कर सकते हैं. वहीं LG ने एल्डरमैन की नियुक्ति को सही ठहराया है. सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि एल्डरमैन की नियुक्ति दिल्ली सरकार नहीं बल्कि उनके अधिकार क्षेत्र में है.

पूरा नियम समझें 

ये मामला निगम ऐक्ट के तहत आता है, इसमें अनुच्छेद 239 AA के तहत केबिनेट की सलाह की जरूरत नहीं. इस मामले में संविधान का अनुच्छेद 243 लागू होता है.

दिल्ली सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि पिछले 30 साल से एल्डरमैन को दिल्ली सरकार नियुक्त करती रही है. एलजी सिर्फ सलाहकार की भूमिका मे थे.लपहली बार एलजी ने एल्डरमैन नियुक्त किया है जो नियम के खिलाफ है.  2 जनवरी 2023 को नोट जारी किया जाता है, जिस पर मंत्रालय द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं और वह सीधे कहते हैं कि एलजी नॉमिनेट करेंगे. यह पहला ऐसा मौका है जब सीधे एलजी ने नॉमिनेट किया है. दिल्ली सरकार ने कहा पहले भी कई बार दिल्ली और केंद्र में अलग सरकार रही है लेकिन तब भी LG ने दिल्ली सरकार की सलाह को माना था.

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पावर किसके पास?

कोर्ट ने ASG से पूछा कि कौन से पॉवर एलजी के है जिसके तहत एलजी ने एल्डरमैन नियुक्त किए . ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या संविधान के GNCT एक्ट का 239 AA ये पॉवर देता है?  LG की ओर से ASG संजय जैन ने कहा कि अनुच्छेद 243 (E) और (Q) के तहत ये अधिकार है.ये मामला दिल्ली सरकार नहीं बल्कि निगम ऐक्ट के तहत आता है. 

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सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने  कहा था कि उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के मंत्रिपरिषद की सलाह पर दिल्ली नगर निगम में 10 एल्डरमेन को नामित करना चाहिए.भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह टिप्पणी एमसीडी में  एल्डरमेन के नामांकन को चुनौती देने वाली आप सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान की. 

दरअसल संविधान पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन को चलाने वाले उपराज्यपाल के अधिकारों को सीमित किया था. संविधान पीठ ने कहा था कि उपराज्यपाल, मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करेंगे. सुनवाई के दौरान उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश वकील ने   सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनज़र पहले के जवाब को वापस करने की अनुमति मांगी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया.

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दिल्ली सरकार ने एमसीडी में सदस्यों को मनोनीत करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती दी है. आप सरकार ने आरोप लगाया है कि मंत्रिपरिषद की 'सहायता और सलाह' के बिना ऐसा किया गया. याचिका में एल्डरमैन  के नामांकन को रद्द करने की मांग के अलावा एलजी के कार्यालय को दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा- 3 (3) (बी) (आई) के तहत सदस्यों को एमसीडी में नामित करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

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