भगवान के नाम पर.. हिमाचल में मंदिर को लेकर दो गुटों की कानूनी लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस नाथ ने कहा, "तलवार चलाइए वहां पर. भगवान के नाम पर और कुछ नहीं करना है, बस लड़ाई करना है! यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. पीठ ने वकील से त्योहारों के लिए मंदिर खोलने के बारे में निर्णय लेने के लिए विशेष आम बैठक (एसजीएम) से संपर्क करने को कहा.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

हिमाचल में मंदिर को लेकर दो गुटों की कानूनी लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर विचार करने पर सहमति जताई कि क्या धारा 482 CrPCके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत हाईकोर्ट मंदिर मामलों के प्रबंधन और मूर्तियों की स्थापना के संबंध में निर्देश पारित कर सकते हैं.

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें धारा 482 याचिका के तहत मामले की सुनवाई करते हुए सदियों पुरानी दुर्गा मूर्ति को नवनिर्मित मंदिर परिसर में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए गए थे.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के परमेश्वर ने पीठ को बताया कि हाईकोर्ट ने सदियों पुरानी मां दुर्गा की मूर्तियों से संबंधित विवाद में धारा 482 सीआरपीसी के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक आदेश पारित किया है, जिन्हें पुराने मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान एक अस्थायी मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया था. मंदिर समिति ने एक नया मंदिर बनाया और वहां नई मूर्तियां स्थापित की. कोर्ट के सामने 120 गांव हैं, जो 482 क्षेत्राधिकार के तहत नए बने मंदिर की प्रकृति को बदलने के लिए कहते हैं.

परमेश्वर ने आगे स्पष्ट किया कि मंदिर को संभालने वाले दो गुटों के बीच, दूसरे गुट (मंदिर समिति) के एक व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दुर्गा की प्राचीन मूर्ति चोरी हो गई है. पुराने मंदिर के तथाकथित मूल संस्थापकों और जिस समिति में हम हैं, उनके बीच लड़ाई है. उन्होंने बताया कि एक गुट ने शांति भंग करने के आरोप में मजिस्ट्रेट से संपर्क किया.

मजिस्ट्रेट ने कहा कि मंदिर प्रबंधन के मुद्दे पर कोई आपराधिक मामला नहीं चल सकता और उन्होंने सिविल मुकदमा दायर करने को कहा. इसके बाद, ग्रामीणों की सहमति से प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद एक नया मंदिर बनाया गया और वहां नई मूर्तियां रखी गईं. मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ शिकायतकर्ताओं ने हाईकोर्ट में 482 याचिका दायर क.- याचिका की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने इस तथ्य पर समझौता किया कि नई मूर्तियां नए मंदिर में बनी रहेंगी. जबकि प्राचीन मूर्तियों को भी 2023 के नवरात्रों में नए प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद उसी मंदिर में रखा जाएगा, जिसे 13 अक्टूबर, 2023 के अदालत के आदेश में भी दर्ज किया गया था. जबकि इसका अनुपालन करने के लिए सहमति जताते हुए एक हलफनामा दायर किया गया था, प्रतिवादियों ने 13 अक्टूबर, 2023 के पहले के समझौते और आदेश में संशोधन की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया.

हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि मुख्य मंदिर 'गर्भगृह' के खाली उत्तरी भाग में पहली मंजिल पर न्यूनतम 10x10 फीट लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई वाले एक अलग मंदिर का निर्माण नवनिर्मित मंदिर परिसर में किया जाए और नई तीन मूर्तियों, 13.10.2023 के आदेश के अनुसार उचित सम्मान के साथ वहां रखा जाए. 

Advertisement

उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2023 के आदेश को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसे 30 अप्रैल, 2024 को वापस ले लिया गया. हालांकि, दूसरे पक्ष के वकील ने दलीलों पर आपत्ति जताई और कहा कि वर्तमान पीठ के समक्ष रखे गए तथ्य विकृत हैं. उन्होंने कहा कि समिति के एक व्यक्ति ने नए मंदिर पर नियंत्रण पाने के लिए प्राचीन मूर्तियों को चुरा लिया और उनकी जगह नई मूर्तियां रख दी.

जस्टिस नाथ ने कहा, "तलवार चलाइए वहां पर. भगवान के नाम पर और कुछ नहीं करना है, बस लड़ाई करना है! यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. पीठ ने वकील से त्योहारों के लिए मंदिर खोलने के बारे में निर्णय लेने के लिए विशेष आम बैठक (एसजीएम) से संपर्क करने को कहा. पीठ ने 10 जनवरी को पारित फैसले पर अंतरिम रोक आदेश जारी रखने का भी निर्देश दिए. अब मामले की सुनवाई 20 मई को होगी. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Surya Grahan 2025: सूर्यग्रहण का असर, ज्योतिष Vs विज्ञान | Bharat Ki Baat Batata Hoon | Syed Suhail