"आप जो चाहें करने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन ...": समलैंगिक विवाहों के मुद्दे पर कानून मंत्री

समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाली याचिकाओं का केंद्र सरकार ने विरोध किया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर सभी 15 याचिकाओं का विरोध किया

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
नई दिल्ली:

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि विवाह एक ऐसी व्यवस्था है जो संसद द्वारा बनाए गए कुछ कानूनों से निंयत्रित है. जो लोगों की इच्छा को दर्शाता है. लोकमत राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्होंने कहा कि शादी एक संस्था है, इसकी पवित्रता है और इसे कानून द्वारा समर्थित होना चाहिए जो हमारी परंपराओं, हमारे लोकाचार, हमारी विरासत को ध्यान में रखता है. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को यह बात सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का विरोध किए जाने के कुछ दिनों के बाद कही.  

उन्होंने कहा कि एक सरकार के रूप में हम एक नागरिक के द्वारा की गई किसी भी तरह की गतिविधियों के विरोध में नहीं हैं. एक नागरिक के रूप में, जब तक आप देश के कानून का पालन करते हैं, आप जो कुछ भी करना चाहते हैं, करने के लिए स्वतंत्र हैं.उन्होंने कहा कि किसी भी लिंग का व्यक्ति एक अपने हिसाब से जीवन जीने का विकल्प चुन सकता है जो उसके लिए उपयुक्त हो.

गौरतबल है कि समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाली याचिकाओं का केंद्र सरकार ने विरोध किया है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर सभी 15 याचिकाओं का विरोध किया है. केंद्र ने कहा समलैंगिक विवाह को मंजूरी नहीं दी जा सकती . ये भारतीय परिवार की अवधारणा के खिलाफ है. परिवार की अवधारणा पति-पत्नी और उनसे पैदा हुए बच्चों से होती है. भागीदारों के रूप में एक साथ रहना और समान-लिंग वाले व्यक्तियों के साथ यौन संबंध रखना पति, पत्नी और बच्चों की भारतीय परिवार इकाई की अवधारणा के साथ तुलनीय नहीं है, जो अनिवार्य रूप से एक जैविक पुरुष को एक 'पति', एक जैविक महिला को एक 'पत्नी' और दोनों के मिलन से पैदा हुए बच्चे के रूप में मानती है. जिन्हें जैविक पुरुष द्वारा पिता के रूप में और जैविक महिला  द्वारा  माँ के रूप में पाला जाता है.

Advertisement

ये भी पढ़ें- 

Featured Video Of The Day
Asaduddin Owaisi Exclusive: Trump Tariff से लेकर Gandhi तक ओवैसी ने NDTV से क्या-क्या कहा?
Topics mentioned in this article