लालू यादव के सहयोगी ने रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में हासिल किए कई भूखंड : ईडी

आरोप है कि 2004 से 2009 तक, कई लोगों को भारतीय रेल के विभिन्न जोन में ‘ग्रुप डी’ के पदों पर नियुक्त किया गया, और इसके बदले में इन लोगों ने अपनी भूमि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद एवं ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की थी.

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नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोप लगाया है कि रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले में हाल में गिरफ्तार किये गए अमित कात्याल नाम के शख्स ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख एवं पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद की ओर से उम्मीदवारों से कई भूखंड हासिल किये थे. केंद्रीय एजेंसी ने 11 नवंबर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत कात्याल को पहले हिरासत में लिया और बाद में गिरफ्तार कर लिया था. दिल्ली की एक अदालत ने बाद में उन्हें 16 नवंबर तक एजेंसी की हिरासत में भेज दिया.

ईडी ने दावा किया कि इसकी जांच में पाया गया कि कात्याल ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी के निदेशक थे, जब उम्मीदवारों से एक भूखंड लालू प्रसाद की ओर से कंपनी ने हासिल किया था.

एजेंसी ने सोमवार को जारी एक बयान में आरोप लगाया, "कंपनी का पंजीकृत पता डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नयी दिल्ली है. यह मकान लालू और उनके परिवार के सदस्यों से संबद्ध है. लालू के रेल मंत्री रहने के दौरान उन्हें अनुचित लाभ देने के एवज में उक्त कंपनी में कात्याल द्वारा कई अन्य भूखंड भी हासिल किये गए थे."

इसमें कहा गया है कि भूमि हासिल करने के लिए इस कंपनी के शेयर 2014 में लालू परिवार के सदस्यों को हस्तांतरित किये गए थे. कात्याल के परिसरों में एजेंसी ने मार्च में छापेमारी की थी, जब लालू प्रसाद, उनके छोटे बेटे एवं बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राजद प्रमुख की बेटियों और अन्य के परिसरों में तलाशी ली गई थी.

ईडी के अनुसार, कात्याल राजद प्रमुख के करीबी सहयोगी हैं और मामले में पूछताछ के लिए समन से करीब दो महीनों से बच रहे थे.

ईडी ने पूर्व में दावा किया था कि ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड मामले में कथित तौर पर एक लाभार्थी कंपनी है और इसका पंजीकृत पता दक्षिण दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित एक परिसर में है, जिसका इस्तेमाल तेजस्वी यादव करते हैं.

कथित घोटाला उस अवधि का है जब लालू संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 सरकार में रेल मंत्री थे. यह आरोप है कि 2004 से 2009 तक, कई लोगों को भारतीय रेल के विभिन्न जोन में ‘ग्रुप डी' के पदों पर नियुक्त किया गया, और इसके बदले में इन लोगों ने अपनी भूमि तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद एवं ए.के. इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की थी.

ईडी का मामला, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज एक शिकायत से उपजा है.

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