‘लैंड फॉर जॉब घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता हैं लालू यादव’: ED ने चार्जशीट में किया दावा

चार्जशीट में ईडी ने दावा किया कि तत्कालीन रेलवे मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने रेलवे में नौकरी देने के नाम पर लोगों से रिश्वत के तौर पर जमीन के टुकड़े लिए थे. अपराध से अर्जित इस जमीन पर लालू यादव के परिवार का कब्जा है.

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नौकरी के बदले जमीन घोटाले में ED ने चार्जशीट में लालू यादव को मुख्य साजिशकर्ता बताया है (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट में दावा किया गया है कि लैंड फॉर जॉब घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) हैं. चार्जशीट में ईडी ने दावा किया कि तत्कालीन रेलवे मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने रेलवे में नौकरी देने के नाम पर लोगों से रिश्वत के तौर पर जमीन के टुकड़े लिए थे. चार्जशीट में आरोप है कि अपराध से अर्जित जमीन पर लालू प्रसाद यादव के परिवार का कब्जा है.

प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया है कि लालू प्रसाद यादव ने घोटाले की साजिश इस तरह रची कि अपराध से अर्जित जमीन पर कंट्रोल तो उनके परिवार का हो लेकिन जमीन सीधे उनसे और परिवार से लिंक न हो पाए. चार्जशीट के मुताबिक प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी अपराध से अर्जित आय को खपाने के लिए कई इकाइयां (शैल कंपनियां) खोली गईं और उनके नाम पर जमीन दर्ज कराई गई.

ईडी के मुताबिक, साजिश की तफ्तीश के दौरान खुलासा हुआ कि रेलवे में नौकरी के नाम पर रिश्वत के तौर पर जमीन लेना लालू प्रसाद यादव खुद तय कर रहे थे, इसमें उनका साथ उनका परिवार और करीबी अमित कत्याल दे रहे थे. लिए गए कई जमीन के टुकड़े ऐसे हैं जो कि लालू प्रसाद यादव के परिवार की जमीन के ठीक बराबर में स्थित हैं और जिन्हे कौड़ियों के दाम पर खरीद लिया गया.

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लालू के परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों के पास सात जमीनें

अपराध की आय से लालू के परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों के पास करीब सात जमीनें आई हैं जो कि पटना के महुआ बाग में स्थित हैं. इनमें से चार जमीनें परोक्ष रूप से राबड़ी देवी से जुड़ी हुई हैं. लालू प्रसाद यादव का दानापुर के महुआ बाग गांव से पुराना नाता है. यह पटना के राजकीय पशु चिकित्सा महाविद्यालय के पास स्थित है, जहां लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के अन्य सदस्य 1976 में रहा करते थे.

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लालू प्रसाद यादव व्यक्तिगत रूप से जुलूमधारी राय (हजारी राय के भाई), किशुन देव राय (राबड़ी देवी को जमीन का टुकड़ा बेचने वाले), श्लाल बाबू राय और अन्य व्यक्तियों से परिचित थे, जो कि इस गांव के पुराने निवासी थे. इसके अलावा, लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों का नाता इस तथ्य के मद्देनजर स्पष्ट है कि राबड़ी देवी ने वर्ष 1990 में बिक्री विलेख संख्या 1993 के तहत महुआ बाग में प्लॉट संख्या 1547 में एक टुकड़ा खरीदा था. इस जमीन के टुकड़े को समेकित करने और व्यावसायिक लाभ हासिल करने के लिए लालू प्रसाद यादव ने अपने ओएसडी भोला यादव के माध्यम से आसपास की जमीनों की पहचान की और इन जमीनों के मालिकों के परिवारों के सदस्यों को भारतीय रेलवे में नियुक्ति देने के बदले में जमीन औने-पौने दामों पर बेचने के लिए राजी किया.

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यह जमीनें या तो सीधे तौर पर लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं या अप्रत्यक्ष तौर पर मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर या फिर राबड़ी देवी के स्टाफ सदस्यों यानी हृदयानंद चौधरी और ललन चौधरी के नाम पर हस्तांतरित की गई हैं.

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लालू प्रसाद यादव के ओएसडी थे भोला यादव

भोला यादव ने पीएमएलए, 2002 की धारा 50 के तहत दिए गए अपने बयान में स्वीकार किया है कि वह तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के ओएसडी थे. इसके अलावा भोला यादव ने कहा कि उपरोक्त गिफ्ट डीड लालू प्रसाद के पटना आवास (10, सर्कुलर रोड, पटना) पर हुई थी. रेल मंत्री के ओएसडी के रूप में भोला यादव की नियुक्ति की पुष्टि रेल मंत्रालय द्वारा जारी विभिन्न आदेशों के साथ-साथ सीबीआई की चार्जशीट से भी हुई.  

लालू प्रसाद यादव से जब उनकी बेटी को करोड़ों रुपये की जमीन गिफ्ट के तौर पर मिलने को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने इस पर टिप्पणी करने से साफ इनकार कर दिया. राबड़ी देवी के कार्यकर्ताओं द्वारा जमीन के टुकड़े खरीदे गए और बाद में वे लालू की बेटी को उपहार में दिए गए. लालू प्रसाद यादव के निजी कर्मचारी गिफ्ट डीड में गवाह के रूप में मौजूद थे. ईडी ने कहा है कि, यह लालू प्रसाद यादव द्वारा अपने परिवार के सदस्यों के लिए पीओसी यानी अपराध से अर्जित आय (जमीन) हासिल करने के लिए रची गई आपराधिक साजिश साबित करता है.

इस लेनदेन को दूर के रिश्तेदारों से मिले गिफ्ट के रूप में पेश किया गया था. हालांकि दावे के विपरीत मीसा भारती ने 25 मार्च 2023 को अपने बयान के दौरान तथाकथित रिश्तेदारों हृदयानंद चौधरी और लल्लन चौधरी को जानने से इनकार कर दिया. 

कंपनी के सारे शेयर राबड़ी देवी और तेजस्वी को ट्रांसफर किए 

ईडी ने कहा है कि, साजिश के तहत कंपनी एके इन्फोसिस्टम्स में अचल संपत्तियों के अधिग्रहण के बाद, अमित कत्याल ने 13 जून 2014 को क्रमशः लालू की पत्नी राबड़ी देवी (85%) और पुत्र तेजस्वी प्रसाद यादव (15%) को 100% शेयरहोल्डिंग हस्तांतरित कर दी. इससे वे दोनों मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के पास मौजूद भूमि के मालिक बन गए. इस कंपनी की संपत्ति 1.89 करोड़ रुपये (कंपनी की बैलेंस शीट के अनुसार) है. इसको "अपराध की आय" के अंतिम लाभार्थियों यानी लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों ने एक लाख रुपये की मामूली कीमत देकर अपने कब्जे में ले लिया.

लालू प्रसाद यादव ने पूछताछ में बताया कि उन्हें मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा खरीदी गई किसी भी भूमि के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. साथ ही लालू ने बताया कि उनकी पत्नी, बेटे और बेटियों सहित उनके परिवार के सदस्य अमित कत्याल को नहीं जानते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने अमित कत्याल से जुड़ी विभिन्न कंपनियों में निदेशक-शेयरधारकों के रूप में अपने परिवार के सदस्यों की नियुक्ति के बारे में भी कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया. 

लालू प्रसाद यादव ने यह भी बताया कि मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड का नाम भी उन्होंने कभी नहीं सुना है और उन्हें इस कंपनी के संबंध में कोई जानकारी नहीं है. लालू ने एके इन्फोसिस्टम्स की शेयरधारिता को अपने परिवार के सदस्यों, यानी राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को हस्तांतरित करने के बारे में भी कोई जानकारी होने से इनकार किया. 

जमीन के बदले नौकरी घोटाले की जांच में ईडी के निष्कर्ष :

लालू प्रसाद यादव से जब भारतीय रेलवे में ग्रुप डी की नियुक्ति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संबंधित रेलवे जोन के महाप्रबंधक को भर्ती की पूरी प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए अपनी भूमिका को छिपाया. लालू प्रसाद यादव ने अपने परिवार के सदस्यों/सहयोगियों राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और अमित कत्याल के साथ मिलकर प्रोसीड ऑफ क्राइम, यानी अपराध  से अर्जित आय के लिए मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के इस्तेमाल या अपने स्टाफ सदस्यों जैसे हृदयानंद चौधरी या ललन चौधरी के माध्यम से जमीन की खरीद या लेनदेन में अपनी संलिप्तता को छिपाने की साजिश रची.

नौकरी के लिए जमीन घोटाले में अपनी संलिप्तता को छिपाने का प्रयास करते हुए लालू यादव ने 29 जनवरी 2024 को अपने बयान के दौरान दावा किया कि भोला यादव ने उनके कार्यकाल के दौरान कभी भी उनके ओएसडी के रूप में काम नहीं किया जबकि भोला यादव ने अपने बयान में उनका ओएसडी होना कबूल किया था.

तेजस्वी प्रसाद यादव का मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख शेयरधारक और मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड के शेयरधारक के तौर पर बयान पीएमएलए, 2002 की धारा 50 के तहत 11 अप्रैल 2023 को और 30 जनवरी 2024 को दर्ज किए गए. इसमें तेजस्वी यादव ने कहा कि, मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां किसी भी व्यावसायिक गतिविधियों में शामिल नहीं हैं. उन्हें इनमें से किसी भी कंपनी से कभी वेतन नहीं मिला है. तेजस्वी ने बताया कि वे अमित कत्याल को 2007 से जानते हैं. उनकी मुलाकात नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह और आईपीएल पार्टियों में हुई थी.

दोनों कंपनियों में कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं

तेजस्वी से बोर्ड मीटिंग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दोनों कंपनियों में कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं है और उन्हें पिछले 8 वर्षों से बोर्ड मीटिंग का कोई विवरण याद नहीं है. उनसे पूछा गया कि 10 मार्च 2023 को सर्च और जब्ती अभियान के दौरान मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित पंजीकृत पते यानी डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली, पर एक भी व्यवसाय से संबंधित दस्तावेज क्यों नहीं मिला? इसके बारे में तेजस्वी ने जांच एजेंसी को खुलकर कुछ नहीं बताया.

जब उनसे फिर से पूछा गया कि उनका परिवार डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली में रह रहा है, जो वास्तव में मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का आधिकारिक पता है, तो उन्होंने कंपनियों के मामलों के बारे में जानकारी न होने की बात कहते हुए जवाब देने से इनकार किया.

ईडी द्वारा दोनों कंपनियों के वर्तमान निदेशक शरीकुल बारी के साथ संबंधों के बारे में पूछे जाने पर तेजस्वी ने कहा कि वह उन्हें अपने पिता लालू प्रसाद यादव के जरिए लंबे समय से जानते हैं जो राजनीति में सक्रिय थे. हालांकि, उन्होंने कंपनी में अपनी नियुक्ति के संबंध में उनके साथ किसी भी तरह के संवाद से इनकार किया. उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने ही 2011 में सुमन कुमार नायक को मेसर्स एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का वैधानिक लेखा परीक्षक नियुक्त किया था, लेकिन उन्हें मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड में वैधानिक लेखा परीक्षक के रूप में उनकी नियुक्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

दिल्ली में स्थित भवन को लेकर सवाल

चार्जशीट में ED ने बताया कि तेजस्वी प्रसाद यादव ने जानबूझकर इन कंपनियों का इस्तेमाल अपराध से अर्जित आय प्राप्त करने के लिए किया और डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी भी इसी का हिस्सा है. तेजस्वी प्रसाद यादव ने पूछताछ में खुद कबूल किया कि उन्होंने डी-1088, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली के निर्माण और अन्य खर्चों में पैसों का निवेश किया है. लालू प्रसाद यादव ने अपने परिवार के सदस्यों/सहयोगियों राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और अमित कत्याल के साथ मिलकर प्रोसीड ऑफ़ क्राइम यानी अपराध  से अर्जित आय के लिए मेसर्स एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड का इस्तेमाल किया, अपने स्टाफ सदस्यों जैसे हृदयानंद चौधरी या ललन चौधरी के माध्यम से जमीन खरीद या लेनदेन में अपनी संलिप्तता को छिपाने की साजिश रची.

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