लद्दाख के मशहूर पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk)ने आरोप लगाया है कि केंद्र शासित क्षेत्र (UT)का प्रशासन उनकी आवाज को दबाना चाहता है क्योंकि वह क्षेत्र की पारिस्थितिकी को नष्ट करने और अस्थिर विकास के विरोध में लंबा उपवास कर रहे हैं. क्षेत्र के गंभीर पर्यावरणीय 'शोषण' के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने पांच दिवसीय उपवास के तीसरे दिन सोनम ने NDTV के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें अपने संदेश को फैलाने और लोगों तक पहुंचने से रोकने के लिए लद्दाख प्रशासन एक बांड (bond)पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है.उन्होंने एक कॉपी भी ट्वीट की जिसके बारे में उनका दावा है कि यह वह बांड है जिस पर उन्हें उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए दस्तखत करने को कहा गया था कि वे एक माह तक कोई बयान नहीं देंगे या किसी सार्वजनिक बैठकों में भाग नहीं लेंगे.
बर्फ से आच्छादित पहाड़ों के बीच कंबल में लिपटे बांगचुक ने एक वीडियो में NDTV को बताया, "मैं घर में नजरबंद हूं यह वास्तव तें इससे भी अधिक बुरा है. यदि आप घर में नजरबंद होते हैं तो आप साफ तौर पर नियमों को जानते हैं और इसके खिलाफ कानूनी तरीके तलाश सकते हैं लेकिन फिलहाल मुझे अपने संस्थान में रखा गया है और 'मूवमेंट' को रोक दिया गया है." उन्होंने स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की स्थापना की है जिसके मैदान पर वे उपवास कर रहे हैं.वांगचुक पहले खारदुंग ला दर्रा (Khardung La Pass) में उपवास की योजना बना रहे थे जहां तापमान -40 डिग्री सेल्यियस तक पहुंच जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन उन्हें खारदुंग ला दर्रा पास पहुंचने से उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, "लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश चाहता है कि मैं इस बांड पर तब भी हस्ताक्षर करूं जब केवल उपवास और प्रार्थना हो रही हो। कृपया सलाह दें, यह कितना सही है? क्या मैं खुद को चुप रखूं? मुझे गिरफ्तारी से फर्क नहीं पड़ता."
बता दें, सोनम वांगचुक वर्ष 2018 में प्रतिष्ठित मैग्सेसे अवार्ड हासिल कर चुके हैं. उनके कैरेक्टर से भी प्रभावित होकर काल्पनिक पात्र फुंगसुक बांगडू की कल्पना की गई थी जिसे वर्ष 2009 की बॉलीवुड फिल्म '3 ईडियट्स' में एक्टर आमिर खा ने निभाया था. उन्होंने कहा है कि रोकथाम के उपायों के बिना लद्दाख ने अस्थिर उद्योग, पर्यटन और वाणिज्य लद्दाख में पनपते रहेंगे और आखिरकार इस क्षेत्र को खत्म कर देंगे. उन्होंने कहा, ""कश्मीर यूनिवर्सिटी और अन्य शोध संगठनों के हाल के अध्ययनों से निष्कर्ष निकला है कि यदि ठीक से देखरेख नहीं की गई तो लेह-लद्दाख में दो-तिहाई ग्लेशियर खत्म हो जाएंगे."
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