ना बिजली, ना मोबाइल नेटवर्क... कोटा के इस गांव में नहीं हो रही लड़कों की शादी

मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में कोलीपुरा गांव स्थित है लेकिन यह गांव टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. इस वजह से गांव के लोग यहां अपनी मर्जी से बुनियादी सुविधाएं नहीं विकसित करवा सकते हैं. (शाकिर अली की रिपोर्ट)

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कोटा:

देशभर में इन दिनों शादियों की धूम है. सैकड़ों युवा-युवती परिणय सूत्र में बंध रहे हैं. गांव हो या शहर सभी जगह शहनाइयां बज रही हैं लेकिन राजस्थान के कोटा का कोलीपुरा गांव ऐसा है, जहां शादियों की खुशी से लोग महरूम है. यहां पर शहनाइयां नहीं बज रही हैं क्योंकि आज भी यह गांव बिजली और मोबाइल नेटवर्ट जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंछित है. यहां लड़कों का रिश्ता ही नहीं हो पाता है. 

टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है ये गांव

दरअसल, मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में कोलीपुरा गांव स्थित है लेकिन यह गांव टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है. इस वजह से गांव के लोग यहां अपनी मर्जी से बुनियादी सुविधाएं नहीं विकसित करवा सकते हैं और न ही वन्य जीव विभाग यहां पर उन्हें किसी भी तरह के विकास कार्य कराने की अनुमति देता है. बड़ी बात तो यह है कि आजादी के इतने सालों बाद भी इस गांव में बिजली नहीं पहुंची है और न ही यहां मोबाइल नेटवर्क आते हैं. साथ ही यहां पर ग्रामीण अपने घरों का निर्माण भी नहीं करवा सकते हैं क्योंकि गांव को विस्थापित किया जाना है. 

संकंट में बच्चों की पढ़ाई और युवाओं की शादी

हालांकि, इन सब चीजों के बीच डिजिटल युग में बच्चों की पढ़ाई से लेकर युवाओं के रिश्ते तक संकट आ गए हैं. जवान युवकों को शादी के लिए रिश्ता तय नहीं हो रहा है. परिजन जहां भी बात करते हैं लड़की वाले यह कहकर इनकार कर देते हैं कि हमारी लड़की बिना लाइट और बिना मोबाइल नेटवर्क के गांव में कैसे जिंदगी गुजार सकती है. इस गांव के लोगों का कहना है कि बच्चों के रिश्ते भी नहीं हो रहे और कोई रिश्तेदार भी हमसे मिलने नहीं आता क्योंकि बिजली और मोबाइल नेटवर्क आज जिंदगी का बड़ा हिस्सा बन गया है. 

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न बिजली न मोबाइल नेटवर्क से बढ़ रही है लोगों की परेशानी

डिजिटल युग में जहां 5G नेटवर्क धड़ाधड़ चलता वहीं आज भी देश में ऐसे गांव मौजूद हैं जहां नेटवर्क किसी संजीवनी का कम नही हैं. मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में मौजूद गांव कोलीपुरा में 500 से अधिक घरों की आबादी है. यहां मोबाइल फोन तो सबके पास है लेकिन घंटी सिर्फ एक के मोबाइल पर बजती है और उस नेटवर्क का जुगाड़ भी कैसे किया गया है जो ग्रामीणों के लिए तो मददगार बन रहा है, साथ ही पूरे गांव का दर्द भी बयां कर रहा है. (शाकिर अली की रिपोर्ट)

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