केरल सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर लगाया स्पेशल सेस, BJP ने की फैसला वापस लेने की मांग

केरल के वित्त मंत्री ने पेट्रोल-डीजल पर विशेष सेस लगाने के ऐलान करते हुए कहा कि इससे 750 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजस्व की कमाई होगी. इसका इस्तेमाल सोशल सिक्योरिटी सीड फंड के लिए किया जाएगा.

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प्रतीकात्मक फोटो.
तिरुवनंतपुरम:

केरल सरकार ने पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel Price) पर 2 रुपये प्रति लीटर के रेट से स्पेशल सेस (Cess Rate)लगाने का ऐलान किया है. केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने इस साल का बजट पेश करते हुए केरल विधान सभा में शुक्रवार को ये ऐलान किया. बीजेपी ने इसका विरोध करते हुए सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है.

केरल के वित्त मंत्री ने पेट्रोल-डीजल पर विशेष सेस लगाने के ऐलान करते हुए कहा कि इससे 750 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजस्व की कमाई होगी. इसका इस्तेमाल सोशल सिक्योरिटी सीड फंड के लिए किया जाएगा. हालांकि, केरल बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने इसे जनता विरोधी फैसला करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की है.

एनडीटीवी से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा, 'केंद्र सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है. ऐसे समय पर केरल सरकार द्वारा पेट्रोल-डीजल पर सेस लगाने का फैसला यह दर्शाता है कि उनका एजेंडा कितना खोखला है.  

क्या केरल के वित्त मंत्री को इस फैसले को वापस लेना चाहिए? इस सवाल के जवाब में मुरलीधरन ने कहा, "बिल्कुल. केरल की जनता का जो आक्रोश है वो आने वाले दिनों में दिखेगा. केरल के वित्तीय स्थिति को मैनेज करने में राज्य की सरकार फेल हो गई है."

वहीं, राज्यसभा में सीपीआई के सांसद बिनॉय विश्वम ने एनडीटीवी से कहा, 'अगर भारत सरकार केरल को GST की हिस्सेदारी का बकाया फंड जारी कर दे, तो हम आम लोगों को राहत देने के बारे में जरूर सोचेंगे". 

वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई कहते हैं, "राज्य सरकारों के पास जब पैसे नहीं होते, तो वह पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा देते हैं. राज्य सरकारों को ज्यादा रेवेन्यू धनी वर्ग और बड़ी कंपनियों से इकट्ठा करना चाहिए". ज़ाहिर है कि केरल सरकार के प्रस्ताव ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर फिर एक बड़ी बहस छेड़ दी है. 

Cess क्या होता है?
Cess का हिंदी में अर्थ होता है उपकर. यह टैक्स के ऊपर टैक्स की तरह काम करता है. इसे सरकार, किसी खास उद्देश्य के लिए ही वसूल करती है और सिर्फ उसी काम पर उसे खर्च कर सकती है. अगर उसमें से कुछ रकम बच भी जाती है, तो उसे किसी दूसरे काम में खर्च नहीं किया जा सकता. बल्कि, आगे आने वाले वर्ष में फिर उसी उद्देश्य पर ही खर्च कर सकते हैं.

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