केरल के शिक्षा मंत्री ने ‘मार्क्स जिहाद’ टिप्पणी करने वाले प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

शिवनकुट्टी के कार्यालय ने कहा कि मंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र भेजा है.

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‘मार्क्स जिहाद’ टिप्पणी पर केरल के शिक्षा मंत्री ने विरोध जताया. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
तिरुवनंतपुरम:

केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने राज्य शिक्षा बोर्ड के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के एक प्रोफेसर की ‘अंक जिहाद' जैसी विवादित टिप्पणी को ‘नस्लवादी बयान' करार देते हुए शनिवार को उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े शिक्षक निकाय नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के सदस्य राकेश कुमार पांडेय ने केरल बोर्ड से बड़ी संख्या में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण छात्रों द्वारा उच्च शिक्षा के लिए डीयू के कॉलेजों में आवेदन किये जाने के बाद, शिक्षा बोर्ड की आलोचना की थी. उन्होंने केरल से अधिक संख्या में विद्यार्थियों के डीयू आने को एक ‘साजिश' करार देते हुए इसे ‘मार्क्स जिहाद' अर्थात अंक जिहाद करार दिया था.

शिवनकुट्टी के कार्यालय ने कहा कि मंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र भेजा है. मंत्री ने कहा, ‘‘प्रोफेसर ने केरल के छात्रों के खिलाफ नस्लवादी और सांप्रदायिक बयान दिये हैं. इस तरह के बयान से छात्रों में नफरत फैल सकती है.'' शिवनकुट्टी ने प्रोफेसर के खिलाफ आपराधिक और विभागीय कार्रवाई किये जाने की भी मांग की. सात अक्टूबर को केरल में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) और विपक्षी कांग्रेस के सांसदों ने राज्य के शिक्षा बोर्ड के खिलाफ ‘मार्क्स जिहाद' टिप्पणी को ‘हास्यास्पद' करार दिया था और केंद्र सरकार से इसकी निंदा करने की मांग की थी.

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस तरह के बयान को ‘‘हास्यास्पद'' बताया था, वहीं माकपा के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास ने धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर पांडेय के खिलाफ अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया था. पांडेय ने गत छह अक्टूबर को जारी एक बयान में कहा था कि केरल बोर्ड के छात्रों के 100 प्रतिशत अंकों के साथ डीयू में सीटों पर कब्जा जमाने को ‘अनियोजित' नहीं माना जा सकता है. उन्होंने इसे ‘अंक जिहाद' करार देते हुए कहा था, ‘‘यह कुछ ऐसा संकेत देता है, जिसकी जांच की जानी चाहिए. केरल बोर्ड से इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के डीयू पहुंचने को सामान्य रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता. इनमें से अधिकांश छात्र न तो हिंदी में और न ही अंग्रेजी में सहज हैं. इन सभी छात्रों के पास 11 वीं कक्षा में 100 प्रतिशत अंक नहीं हैं.''

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सूत्रों ने बुधवार को बताया था कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने केरल बोर्ड के 100 से अधिक छात्रों के अंकों को लेकर भ्रम की स्थिति के बाद उनके प्रवेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन अधिकारियों द्वारा बोर्ड से संपर्क किये जाने के बाद मामला सुलझा लिया गया था. केरल बोर्ड से बहुत बड़ी संख्या में शत-प्रतिशत अंक हासिल करने वाले छात्रों के डीयू कॉलेजों में आवेदन करने के बाद उनकी मार्कशीट को लेकर सवाल उठने के कारण विश्वविद्यालय की प्रवेश शाखा ने कॉलेजों को नामांकन रोक देने का निर्देश दिया था.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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