कर्नाटक विधानसभा में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ. बीजेपी सदस्य लंच के लिए रुके बिना सदन की कार्यवाही संचालित करने के स्पीकर यूटी खादर के फैसले से नाराज हो गए. उन्होंने स्पीकर के आसन की ओर कागज फेंके और हंगामा किया. इसके बाद स्पीकर ने बीजेपी के 10 विधायकों को बाकी विधानसभा सत्र से निलंबित कर दिया. अब कर्नाटक विधानसभा सत्र से बीजेपी के विधायकों को सत्र के लिए निलंबित किए जाने के बाद बीजेपी और जेडीएस ने स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया है.
कर्नाटक में विधानसभा सत्र 3 जुलाई से शुरू हुआ, जो 21 जुलाई तक चलेगा. बुधवार को हंगामे करने पर स्पीकर ने बीजेपी विधायक डॉ. सीएन अश्वथ नारायण, वी सुनील कुमार, आर अशोक, अरागा ज्ञानेंद्र (सभी पूर्व मंत्री), डी वेदव्यास कामथ, यशपाल सुवर्ण, धीरज मुनिराज, ए उमानाथ कोटियन, अरविंद बेलाड और वाई भरत शेट्टी को निलंबित कर दिया है.
विधानसभा में बुधवार बीजेपी के कुछ विधायकों ने राज्य सरकार द्वारा आईएएस अधिकारियों के कथित 'दुरुपयोग' के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. बीजेपी सदस्यों ने स्पीकर के फैसले से नाराज होकर विधेयकों और एजेंडे की कॉपियां फाड़ दी. स्पीकर के आसन की ओर कागज फेंके गए. बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दो दिवसीय एकता बैठक के सिलसिले में आईएएस अधिकारियों के एक ग्रुप को तैनात किया गया था. ये बैठक मंगलवार को खत्म हुई.
कांग्रेस विधायकों ने बीजेपी विधायकों के अनियंत्रित व्यवहार पर आपत्ति जताई. इसके बाद डिप्टी स्पीकर ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने निलंबन के लिए अपील दायर की थी. इसमें कहा गया था: "मैं यह प्रस्ताव पेश कर रहा हूं...मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस दिन कर्नाटक विधानसभा प्रक्रिया नियमों की धारा 348 के तहत इन सदस्यों को सदन से निलंबित कर दिया जाना चाहिए. उनके अशोभनीय और अपमानजनक आचरण के लिए कर्नाटक विधानसभा के शेष सत्र तक सदन में प्रवेश पर रोक लगाई जानी चाहिए.''
इसके बाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा गया. बाद में विधायकों को निलंबित करते हुए स्पीकर ने कहा, "मैं 10 विधायकों के अशोभनीय और अपमानजनक आचरण के कारण ये फैसला ले रहा हूं."
ये भी पढ़ें:-
कर्नाटक विधान सभा की सुरक्षा बढ़ाने की कवायद शुरू, अध्यक्ष और पुलिस कमिश्नर ने परिसर का किया मुआयना
कर्नाटक में दुविधा में फंसी BJP, इन कारणों से नहीं कर पा रही नेता विपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का फैसला