कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा है कि रोहिंग्या (Rohingyas) को भारत से वापस भेजने की फिलहला उसकी कोई योजना नहीं है. अपने हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि बेंगलुरु में 72 रोहिंग्या विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, उन्हें निर्वासित करने की तत्काल कोई योजना नहीं है. कर्नाटक सरकार ने SC में ये हलफनामा रोहिंग्याओं को वापस भेजने की मांग करने वाली भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका पर दाखिल की गई है.
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हलफनामे में उपाध्याय की याचिका को खारिज करने की मांग की गई है. जिसमें कर्नाटक सरकार ने कहा कि हमारे अधिकार क्षेत्र में किसी भी शिविर या कैंप में कोई रोहिंग्या नहीं है. 72 रोहिंग्याओं की विभिन्न क्षेत्रों में काम करने की पहचान की गई है. पुलिस की उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई या निर्वासन के लिए कोई तत्काल योजना नहीं है.
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बता दें कि सितंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिसमें बांग्लादेश से आए सभी अवैध प्रवासियों को एक साल के भीतर तत्काल निर्वासित करने की मांग की गई थी. यह जनहित याचिका भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. याचिका में कहा गया था कि देश में रोहिंग्याओं का होना सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा होगा. बांग्लादेशी से अवैध घुसपैठ की गई है. याचिका में अवैध प्रवास और घुसपैठ को संज्ञेय गैर-जमानती और गैर-शमनीय अपराध बनाने के लिए संबंधित कानूनों में संशोधन की भी मांग की गई है.
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