मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से जुड़े कथित भूमि घोटाले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को कर्नाटक हाई कोर्ट से राहत मिली है. मैसूर की लोकायुक्त और बेंगलुरु की जन प्रतिनिधि अदालत में भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों के तहत दर्ज मामलों में अदालती कार्रवाई पर अगले आदेश तक कर्नाटक हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों के तहत मुकदमा चलाने की इजाजत दी है, जिसे सिद्धारमैया ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है.
इस मामले में सोमवार को सुनवाई के पहले दौर के बाद न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने मामले की सुनवाई 29 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी और कहा, "चूंकि मामले की सुनवाई इस अदालत में हो रही है और दलीलें अभी पूरी नहीं हुई हैं, इसलिए अगली सुनवाई तक संबंधित अदालत अपनी कार्यवाही स्थगित कर दे और मामले को अगली सुनवाई तक लंबित न रखे."
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दर्ज करवाया है मुकदमा
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218 के तहत सामाजिक कार्यकर्ता टीके अब्राहम, स्नेहमई कृष्णा और एसपी प्रदीप कुमार ने मुकदमा दर्ज करवाया है. यह मुकदमे मैसूर की लोकायुक्त अदालत और बेंगलुरु के जन प्रतिनिधि अदालत में दर्ज करवाए गए थे.
हालांकि मुख्यमंत्री या दूसरे मंत्रियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल की इजाजत की जरूरत होती है, ऐसे में तीनों सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत से इजाजत मांगी थी. राज्यपाल ने इजाजत दे दी है. ऐसे में मुकदमा चलाए जाने की प्रक्रिया शुरू होने ही वाली थी, लेकिन उस पर फिलहाल हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है.
सिद्धारमैया की पत्नी को प्लॉट देने पर घमासान
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को बीजेपी की बसवराज बोम्मई सरकार ने 2023 में मैसूर के विजय नगर में 14 प्लॉट्स MUDA की 50/50 स्कीम के तहत दिए थे. भाजपा का आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पिछले तीन दशकों से प्रभावशाली पदों पर रहे हैं और इसीलिए ये प्लॉट्स उनकी पत्नी को दिए गए.
इन आरोपों के जवाब में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि प्लॉट्स बीजेपी सरकार ने दिए और बीजेपी ही आरोप लगा रही है. साथ ही सिद्धारमैया ने साफ कर दिया है कि वो इस्तीफा नहीं देंगे. वहीं बीजेपी, सीबीआई जांच और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के इस्तीफे पर अड़ी है.
मैंने कोई गलत काम नहीं किया : सिद्धारमैया
राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के कुछ घंटों बाद मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मेरी अंतरात्मा बिल्कुल साफ है.'' मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मुझे न्यायपालिका पर भरोसा है. मुझे अदालत से राहत मिलने का पूरा भरोसा है, क्योंकि मैंने कोई गलत काम नहीं किया है.'' मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि वह पहली बार 40 साल पहले 17 अगस्त 1984 को मंत्री बने थे और उनके राजनीतिक जीवन में ‘‘एक भी काला धब्बा'' नहीं है.
साथ ही उन्होंने कहा था, ‘‘मेरा राजनीतिक जीवन एक खुली किताब है. मैंने कोई गलत काम नहीं किया है, न ही कोई गलत काम करूंगा. राजभवन का इस्तेमाल करते हुए भाजपा और जद(एस) ने मेरी छवि खराब करने की साजिश रची है.''
राज्यपाल के आदेश को राजनीति से प्रेरित बताया
सिद्धारमैया ने राज्यपाल के आदेश को ‘‘राजनीति से प्रेरित'' करार देते हुए कहा कि वह इसका राजनीतिक और कानूनी तरीके से मुकाबला करेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘हम कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे, हम राजनीतिक लड़ाई भी लड़ेंगे. राजनीतिक लड़ाई के दौरान मुझे अधिक जोश आता है. मैं लगातार सामना करता रहा हूं. मैंने पहले भी ऐसा किया है, अब भी कर रहा हूं और भविष्य में भी करूंगा.''
अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अर्जी पर सुनवाई 29 अगस्त को होगी. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का पक्ष जाने-माने वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने रखा, जबकि राज्यपाल थावरचंद गहलोत का पक्ष देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा.