कर्नाटक: धर्मांतरण विरोधी बिल विधानसभा में पास लेकिन इसके कानून बनने में करना होगा इंतजार, यह है कारण..

मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई RSS-BJP बैकग्राउंड से नहीं हैं,ऐसे में बीजेपी के अंदर उनके मुख्यमंत्री  बनाए जाने पर शुरू से विरोध होता रहा है

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धर्मांतरण विरोधी बिल कर्नाटक विधानसभा में पास हो गया है (प्रतीकात्‍मक फोटो)
बेंगलुरु:

कर्नाटक विधानसभा मे धर्मांतरण रोकथाम विधेयक पास तो हो गया लेकिन अभी इसके क़ानून बनने में थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा. विधानसभा के संयुक्त अधिवेशन में अब इस बिल को अगले साल पेश किया जाएगा क्योंकि फिलहाल परिषद में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को बहुमत नही है लेकिन जनवरी में नए सदस्यों के शपथ लेते ही बीजेपी को साधारण बहुमत मिल जाएगा. धर्मांतरण रोकथाम बिल, जिस दिन कर्नाटक विधान सभा में पास हुआ उसी दिन की दो घटनाओं ने हर किसी का सोचने पर मजबूर कर दिया. चिकबालपुर में एक चर्च पर हमला हुआ और मंड्या में एक स्कूल में दक्षिणपंथी संगठन के कार्यकर्ताओं ने यह कहते हुए हंगामा खड़ा कर दिया कि वहां सिर्फ ईसाई समुदाय से जुड़े त्‍यौहार मनाए जाते हैं, हिंदुओं के त्‍यौहार नहीं.

इसकी आशंका बेंगलुरु के आर्च बिशप ने पहले ही जताई थी.आर्च बिशप बेंगलुरु पीटर मचाडो ने कहा था,' इस कानून के बिना ही जब इस तरह से हम लोगों को परेशान किया जा रहा है तो कानून बनने के बाद इसकी एक कॉपी है, जिसे लोग जेब में रखेंगे और हमारा जीना मुश्किल कर देंगे.' ईसाई के साथ-साथ कई स्‍वयंसेवी संस्‍थाएं भी इस बिल का विरोध कर रही हैं. विधान परिषद में फिलहाल बीजेपी के पास बहुमत नही हैं, ऐसे में सरकार, अब इस बिल को परिषद में जनवरी में होने वाले विधानसभा के संयुक्त अधिवेशन में लाएगी क्योंकि नए सदस्‍यों के शपथ लेते ही पार्टी को साधारण बहुमत मिल जाएगा. बीजेपी का कहना है कि ऐसे और भी कानून बनाए जाएंगे. 

राज्‍य के पंचायती राज्‍यमंत्री केएस ईश्वरप्पा कहते हैं, 'हम अपने धर्म को बचाएंगे.  हम किसी भी हिंदू को कन्वर्ट नहीं होने देंगे.न हम दूसरों के मामलों में हस्तक्षेप करते हैं, न ही हम इसे बर्दाश्त करेंगे. जो ऐसा करने की कोशिश करेगा उसको हम छोड़ेंगे नहीं.' धर्मांतरण रोकथाम कानून के बाद अब बोम्मई सरकार लव जिहाद पर भी कानून बनना चाहती है.  गौरतलब है कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई RSS-BJP बैकग्राउंड से नहीं हैं,ऐसे में बीजेपी के अंदर उनके मुख्यमंत्री  बनाए जाने पर शुरू से विरोध होता रहा है. मौजूदा हालात में वे संघ से समर्थन जुटाने का कोई मौका खोना नहीं चाहते और ये सारी कवायद इसी प्रयास की कड़ी है. 

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