के. वी. विश्वनाथन का आरके पुरम के एक कमरे से सुप्रीम कोर्ट के जज बनने तक का सफर...

केवी विश्‍वनाथन के पिता केवी वेंकटरमण कोयम्बटूर में सरकारी वकील रहे हैं. जस्टिस विश्वनाथन के सफर की शुरुआत हुई, जब वह 1988 में सुप्रीम कोर्ट में वकील के रूप में पैरवी करने की इच्छा से दिल्ली आए.

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केवी विश्‍वनाथन के पिता केवी वेंकटरमण कोयम्बटूर में सरकारी वकील रहे
नई दिल्‍ली:

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और वरिष्ठ अधिवक्ता कल्पति वेंकटरमन विश्वनाथन को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के तौर पर पद की शपथ दिलाई. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शीर्ष अदालत के सभागार में आयोजित शपथ-ग्रहण समारोह में नये न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई. न्यायमूर्ति विश्वनाथन 11 अगस्त, 2030 को न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला के सेवानिवृत्त होने के बाद भारत के प्रधान न्यायाधीश बनेंगे और 25 मई, 2031 तक इस पद पर रहेंगे. के. वी. विश्वनाथन का सुप्रीम कोर्ट के जज तक का बेहद कठिनाइयों भरा रहा है.

तमिलनाडु में ही की पढ़ाई...
सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर शपथ लेने वाले जस्टिस के. वी. विश्वनाथन का सफर कोई आसान नहीं था. 1988 में तमिलनाडु से दिल्ली आकर आर के पुरम के एक कमरे से सुप्रीम कोर्ट में वकालत की शुरुआत करने वाले जस्टिस विश्वनाथन 2030 में देश के मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगे. वह तीसरे तमिल हैं जो CJI बनेंगे, जबकि बार से चौथे हैं, जो देश के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे. जानकारी के मुताबिक, जस्टिस के.वी. विश्वनाथन तमिलनाडु से हैं. वह 57 साल के हैं और कोयंबटूर के पास पोलाची के रहने वाले हैं. उन्‍होंने सभी स्कूली शिक्षा पोलाची आरोग्यमाता मैट्रिकुलेशन स्कूल में की. फिर अमरावती सैनिक स्कूल, और फिर उथगई सुसैयप्पार हाई स्कूल में पढ़े. कोयंबटूर लॉ कॉलेज में पांच साल का इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स किया. 

आरके पुरम में एक कमरा लेकर रहे, किराया था...
केवी विश्‍वनाथन के पिता केवी वेंकटरमण कोयम्बटूर में सरकारी वकील रहे हैं. जस्टिस विश्वनाथन के सफर की शुरुआत हुई, जब वह 1988 में सुप्रीम कोर्ट में वकील के रूप में पैरवी करने की इच्छा से दिल्ली आए. यहां वो केंद्र सरकार आवास में आरके पुरम सेक्टर 1 में एक कमरा लेकर किराए पर रहे. इस कमरे का किराया 200 रुपये था. यहां वह एक दोस्त के साथ रहते थे. दरअसल, उस समय केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आवंटित सरकारी घरों में एक कमरा किराए पर लेने की प्रथा थी. और उस इलाके में तमिल लोग ज्यादा रहते थे, तो घर तुरंत किराए पर मिल जाता था. यहां एक मुरुगन मंदिर भी है और जस्टिस विश्वनाथन पास की ही महालिंगम मेस में खाना खाते थे. लेकिन बाद में वो मोहम्मदपुर गांव में रहने गए, जहां वो तीन और लोगों के साथ रहे.  

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इन वरिष्‍ठ वकीलों के जूनियर के तौर पर भी किया काम
दिल्ली में किसी सीनियर वकील के पास जूनियर के तौर पर काम भी करना होता है. ऐसे में विश्वनाथन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सी एस  वैद्यनाथन के पास रहे.  वैद्यनाथन बाद में अयोध्या मामले में भगवान रामलला के लिए पेश हुए थे. वह 1988 से 90 तक वैद्यनाथन के जूनियर रहे और सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और निचली   अदालतों में पेश हुए. 1990 से 1995 तक वरिष्ठ वकील  केसी वेणुगोपाल से जूनियर रहे. 

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केवी विश्वनाथन का एक दिलचस्‍प किस्‍सा
साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील केवी विश्वनाथन ने केंद्र सरकार के लिए एक अतिरिक्त सॉलिसिटर के रूप में भी काम किया है.एक दिलचस्प किस्सा ये है कि 1991 में, कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की लिट्टे ने श्रीपेरंबुदूर के पास हत्या तक दी थी. जस्टिस एमसी जैन की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन कर हत्या के पीछे की साजिश की जांच करने को कहा गया. जैन आयोग की सुनवाई दिल्ली के विज्ञान भवन एनेक्सी में हुई. तमिलनाडु के राजनीतिक दल के नेता करुणानिधि, वाइको और कई अन्य आयोग के सामने पेश हुए और बयान दिए. विश्वनाथन AIADMK के लिए आयोग के समक्ष पेश हुए. तमिलनाडु के राजनीतिक दल के नेता आयोग में अंग्रेजी में अपना पक्ष रख रहे थे. लेकिन जब डीएमके नेता करुणानिधि ने तमिल में बात की, तो जस्टिस जैन को समझ नहीं आया कि क्या किया जाए. उन्होंने विश्वनाथन से पूछा, "क्या आप मेरे लिए करुणानिधि का अनुवाद कर सकते हैं?" विश्वनाथन ने कहा कि मैं AIADMK की वकालत कर रहा हूं. जस्टिस जैन ने तुरंत पूछा कि क्या किसी को अनुवाद पर कोई आपत्ति है? लेकिन करुणानिधि सहित अन्य लोगों ने कहा कि किसी को कोई आपत्ति नहीं है. विश्वनाथन ने तुरंत करुणानिधि की हर बात का अंग्रेजी में अनुवाद किया और न्यायाधीश को बताया. उन्होंने  सुप्रीम कोर्ट में कई अहम मामलों की पैरवी की है. कई अत्यधिक संवेदनशील मामलों में उन्हें अदालत के एमिकस क्यूरी  के रूप में नियुक्त किया गया है. 

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विश्वनाथन 2030 में मुख्य न्यायाधीश बनेंगे
तमिलनाडु से तीसरे सीजेआई होंगे. जस्टिस के वी विश्वनाथन तमिलनाडु से तीसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे. तमिलनाडु से अब तक भारत के दो मुख्य न्यायाधीश हुए हैं. 1951 से 1954 तक जस्टिस एम. पतंजलि शास्त्री ने मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है. 2013 में जस्टिस पी सदाशिवम इस पद पर करीब 9 महीने तक रहे. बार से चौथे CJI होंगे. जस्टिस के वी विश्वनाथन ऐसे चौथे CJI होंगे, जो बार से देश के मुख्य न्यायाधीश होंगे. इनसे पहले जस्टिस एस एम सीकरी, जस्टिस यू यू ललित बार से बतौर जज और फिर CJI बने थे, जबकि जस्टिस पीएस नरसिम्हा बार से मई 2028 में भारत के मुख्य न्यायाधीश भी बनने की कतार में हैं. जस्टिस, विश्वनाथन 12 अगस्त 2030 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे.

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