सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ा डेटा चुनाव आयोग को उपलब्ध करवाया, जिसे 14 मार्च को आयोग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया. इसी डेटा को लेकर स्वतंत्र पत्रकार पूनम अग्रवाल ने दावा किया कि उनके नाम से बॉन्ड की खरीद गलत तारीख से दिखाई गई है. पूनम का कहना था कि डेटा गलत है, क्योंकि उन्होंने 1,000 रुपये कीमत वाले दो बॉन्ड अप्रैल, 2018 में खरीदे थे, जबकि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद डेटा में उनके नाम से यही खरीद अक्टूबर, 2020 में दिखाई गई है.
लेकिन इसके बाद पूनम अग्रवाल ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट X (अतीत में ट्विटर) पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा, मैंने अपना एक पुराना वीडियो देखा, जिसमें मैं बता रही हूं कि मैंने अक्टूबर, 2020 में ही बॉन्ड खरीदा था. यूनीक नंबर से मेरा संदेह दूर जाएगा. लेकिन तब तक SBI डेटा पर सवाल उठाना सही नहीं होगा. उन्होंने यह भी लिखा, यह मेरी कमज़ोर याददाश्त का दोष हो सकता है. यह कोविड साल था, बहुत सारी चीज़ें हो रही थीं, शायद इसलिए मुझे याद नहीं. मेरी कमज़ोर याददाश्त के लिए मुझे माफ़ करें.
इसी बीच, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने भी X (अतीत में ट्विटर) पर पूनम अग्रवाल पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया.