गुजरात में सूत्रों की मानें तो आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए उनके विधायकों का एक वर्ग बीजेपी की ओर देख रहा है. उन्ही में से एक भूपत भायाणी ने इस बात से इंकार किया है कि वह आधिकारिक रूप से पार्टी से बाहर जाने का रास्ता देख रहे हैं, लेकिन उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि इस मामले पर 'जनता की राय' मायने रखती है.
यह टिप्पणी आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल के इस दावे से अलग है कि "मेरा कोई भी हीरा बिक्री के लिए नहीं है". इसके जरिए उन्होंने दावा किया था कि उनका कोई भी नेता दल बदल नहीं करेगा.
भायाणी ने एनडीटीवी को दिए एक विशेष इंटरव्यू में कहा कि मैं भाजपा में शामिल नहीं हुआ हूं, लेकिन मैं जनता से पूछूंगा कि क्या मुझे बीजेपी में शामिल होना चाहिए या नहीं." दरअसल, कमजोर विपक्ष के रूप में बेंच पर बैठने से वे उन लोगों के लिए कुछ नहीं कर पाएंगे, जिन्होंने उन्हें वोट दिया है.
मेरी सीट किसानों वाले क्षेत्र की है. मुझे उनकी सिंचाई संबंधी समस्याओं को हल करना है. इस क्षेत्र में कई व्यापारी भी हैं, मुझे उनकी भी मदद करनी है. अगर सरकार के साथ संबंध ठीक नहीं होंगे तो मैं उनके लिए कुछ नहीं कर पाऊंगा. मैंने अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा है. पोजिटिव रिस्पांस मिला है. अब मैं जनता और नेताओं की सलाह लूंगा.
उन्होंने ये भी कहा कि गुजरात के लोगों ने नरेंद्र मोदी और बीजेपी को रिकॉर्ड जनादेश दिया है. मैं इसका सम्मान करता हूं. मैं पहले बीजेपी के साथ था और नेताओं के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं.
बता दें कि भायाणी पहले बीजेपी में थे और बागी होकर आप में शामिल हो गए थे. उन्होंने जूनागढ़ जिले के विसावदर निर्वाचन क्षेत्र ने अपनी जीत का श्रेय बीजेपी विधायक के रूप में किए गए अपने काम को दिया. उन्होंने कहा कि लोग मुझे जानते हैं. दलबदल विरोधी कानून के लागू होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर भायाणी ने इसे खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोगों के लिए काम करना मेरा अधिकार है."