अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. महिला से सामूहिक रेप के मामले में ये आरोपी हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि हमारे पास सीसीटीवी फुटेज व अन्य सबूत हैं कि आरोपी सबूत मिटाने की कोशिश कर रहा है. जिसके बाद CJI यू यू ललित ने कहा कि हम चार नवंबर को सुनवाई करेंगे. दरअसल कलकत्ता हाईकोर्ट की पोर्ट ब्लेयर सर्किट बेंच ने पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया था. साथ ही सामूहिक बलात्कार के आरोपों की जांच कर रही एसआईटी के सामने पेश होने के लिए कहा था. इसको अंडमान प्रशासन ने चुनौती दी है.
इससे पहले पुलिस के एक विशेष जांच दल (SIT) ने शनिवार को जितेंद्र नारायण से 21 वर्षीय युवती से कथित सामूहिक बलात्कार मामले में पूछताछ की थी. पीड़िता ने आरोप लगाया है कि उसे तत्कालीन मुख्य सचिव नारायण के घर सरकारी नौकरी देने का प्रलोभन देकर बुलाया गया और नारायण समेत शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया. मामले में दर्ज प्राथमिकी में श्रम आयुक्त आरएल ऋषि को भी महिला से दुष्कर्म करने का आरोपी बनाया गया है, जबकि पुलिस निरीक्षक और होटल मालिक को अपराध में साथ देने का आरोपी बनाया गया है.
नारायण के खिलाफ एक अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की गई थी जब उनका स्थानांतरण दिल्ली वित्त निगम के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पद पर किया गया था. सरकार ने 17 अक्टूबर को उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. युवती ने प्राथमिकी में दावा किया है कि मुख्य सचिव ने अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह प्रशासन के विभिन्न विभागों में ‘7800 उम्मीदवारों' की नियुक्ति बिना किसी ‘‘औपचारिक साक्षात्कार'' के केवल ‘सिफारिश के आधार' पर की है. पीड़िता का आरोप है कि उसे सरकारी नौकरी का प्रलोभन देकर मुख्य सचिव के आवास पर बुलाया गया और 14 अप्रैल एवं एक मई को दुष्कर्म किया गया.
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