धनबाद में जज की हत्या में मामले में दो दोषियों को मौत तक आजीवन कारावास की सजा

झारखंड के धनबाद जिले में तैनात अतिरिक्त जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद की इस साल जुलाई में एक ऑटोरिक्शा द्वारा कुचलकर कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी

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धनबाद में पिछले साल जुलाई में जज उत्तम आनंद की आटो रिक्शा से टक्कर मारकर हत्या कर दी गई थी, घटना का सीसीटीवी फुटेज मिला था (फाइल फोटो).
धनबाद:

धनबाद की विशेष सीबीआई अदालत (Special CBI court) ने धनबाद (Dhanbad) के न्यायाधीश उत्तम आनंद (Uttam Anand) की हत्या के मामले में शनिवार को दो दोषियों को मृत्य तक आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई. इससे पहले 28 जुलाई को कोर्ट ने दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया था. अधिवक्ता कुमार विमलेन्दु ने कहा, "दोनों आरोपियों को 28 जुलाई को दोषी ठहराया गया था और आज सजा सुनाई गई. न्यायाधीश ने इसे दुर्लभ से दुर्लभतम मामला नहीं बताया बल्कि उन्हें जीवन समाप्त होने तक के आजीवन कारावास की सजा सुनाई."

झारखंड के धनबाद जिले में तैनात अतिरिक्त जिला न्यायाधीश उत्तम आनंद की पिछले साल जुलाई में एक ऑटोरिक्शा द्वारा कुचलकर कथित तौर पर हत्या कर दी गई थी. कथित हत्या में शामिल दो लोगों को झारखंड पुलिस ने गिरफ्तार किया था और अपराध के लिए इस्तेमाल किए गए वाहन को जब्त कर लिया गया था.

झारखंड में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 28 जुलाई को धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद हत्याकांड मामले में एक ऑटोरिक्शा चालक और एक अन्य व्यक्ति को दोषी करार दिया था. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत के न्यायाधीश रजनीकांत पाठक ने पिछले साल 28 जुलाई को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आनंद की हत्या के मामले में ऑटोरिक्शा चालक लखन वर्मा और उसके सहायक राहुल वर्मा को दोषी ठहराया था.

आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), 201 (अपराध के सबूतों को गायब करना, या अपराधी को बचाने के लिए झूठी जानकारी देना) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोप तय किए गए थे. 

न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या के मामले में सुनवाई इसी साल फरवरी में शुरू हुई थी. अदालत ने सुनवाई के दौरान 58 गवाहों के बयान दर्ज किए थे. सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से पता चला था कि न्यायाधीश आनंद धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर एक सड़क के एक तरफ सैर कर रहे थे, तभी ऑटो रिक्शे ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी जिससे उनकी मौत हो गई और आरोपी मौके से फरार हो गए.

मामले की जांच के लिए शुरू में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था, लेकिन बाद में झारखंड सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल न्यायाधीश के ‘‘दुखद निधन'' पर स्वत: संज्ञान लिया था और झारखंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से इस मामले में स्थिति रिपोर्ट मांगी थी. 

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सीबीआई के अतिरिक्त लोक अभियोजक अमित जिंदल ने कहा कि अदालत ने पाया कि दोनों आरोपी नशे में नहीं थे. जिंदल ने कहा कि अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि यह जानबूझकर की गई हत्या का मामला है.  हालांकि, बचाव पक्ष के वकील कुमार बिमलेंदु ने मीडियाकर्मियों से कहा था कि ‘‘सीबीआई ने हत्या की मनगढ़ंत कहानी रची.'' उन्होंने कहा कि लखन और राहुल फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे.
(इनपुट भाषा से भी)

धनबाद में जज उत्तम आनंद को जानबुझकर ऑटो से टक्कर मारी गयी थी : CBI सूत्र

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