झारखंड विधानसभा चुनाव में इन दिनों राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से लगी हुई हैं. झारखंड में सत्तारूढ़ जेएमएम-कांग्रेस-आरडेजी और वामदलों का गठबंधन अपनी सरकार की वापसी के लिए काम कर रहा है.वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए इस सरकार को सत्ता से हटाने के लिए दिन-रात एक किए हुए है. आदिवासी बहुल इस राज्य में बीजेपी की सबसे बड़ी चुनौती कोल्हान का इलाका है. इस इलाके में बीजेपी काफी कमजोर है.हालत यह है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में उसे कोल्हान में एक सीट भी नहीं मिली थी.आइए देखते हैं कोल्हान के लिए बीजेपी की रणनीति क्या है.
कोल्हान का समीकरण क्या है
कोल्हान में पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावा जिले शामिल हैं. इन तीनों जिलों में विधानसभा की 14 सीटें हैं. साल 2019 के चुनाव में यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 11, कांग्रेस ने दो और एक सीट निर्दलीय ने जीती थीं. लेकिन बीजेपी का खाता भी नहीं खुल पाया था. इसे बीजेपी ने काफी गंभीरता से लिया. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोल्हान का इस बार दो बार दौरा कर चुके हैं. सितंबर में पीएम मोदी पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर आए थे. उस दौरान पीएम ने छह वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रनों को हरी झंडी दिखाई. इसके अलावा उन्होंने 660 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी थी.
वहीं लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले साल चाईबासा में विजय संकल्प रैली को संबोधित किया था. लेकिन अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित चाईबासा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने जीत ली थी. बीजेपी झारखंड में चाईबासा के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी.इस हार ने बीजेपी की चिंता और बढ़ा दी थी. इसके बाद से बीजेपी ने कोल्हान में जीत की राह आसान बनाने की कोशिशों में जुट गई.
कितना चमकेंगे चंपाई सोरेन
कोल्हान जीतने की राह को आसान बनाने के लिए ही बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा से तोड़ा था.सोरेन को कोल्हान टाइगर के नाम से जाना जाता है.बीजेपी की कोशिश कोल्हान में दो-तीन सीटें जीतने की है. कोल्हान जीतने के लिए बीजेपी ने कई तरह की रणनीतियां बनाई हैं.इनमें से एक है उम्मीदवार बदलने की. इसके अलावा बीजेपी ने राज्य की हेमंत सोरेन सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा बनाया है. वो बेरोजगारी और चंपाई सोरेन को उनके पद से हटाने को भी चुनावी मुद्दा बना रही है.
इसी कोशिश में बीजेपी इस बार जिन 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहां उसने अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं.जिन लोगों को टिकट दिए गए हैं, वे दूसरे दलों से आए नेता और बड़े नेताओं के रिश्तेदार हैं.कोल्हान में बीजेपी की सहयोगी ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन तीन और जनता दल (यूनाइटेड) एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को पोटका और ओडिशा के राज्यपाल और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का बहू पूर्णिमा दास साहू को जमशेदपुर ईस्ट से उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर रघुवर दास को 2019 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. घाटशिला सीट पर बीजेपी ने चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल को उम्मीदवार बनाया है.
जगन्नाथपुर में राज्य के पूर्व मुंख्यमंत्री मधु कोडा की पत्नी गीता कोड़ा बीजेपी की उम्मीदवार हैं.वो लोकसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुई हैं. वो 2019 के लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गई थीं. लेकिन इस लोकसभा चुनाव में उन्हें सिंहभूम सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की जोबा मांझी ने मात दे दी थी.
कोल्हान में कौन मजबूत है?
साल 2019 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कोल्हान में 11, कांग्रेस ने दो और एक सीट निर्दलीय ने जीती थीं.जेएमएम ने अपने 9 विधायकों को टिकट दिया है.वहीं कांग्रेस ने अपने दोनों विधायकों बन्ना गुप्ता को जमशेदपुर पश्चिम और सोनाराम सिंकु को जगन्नाथपुर से फिर उम्मीदवार बनाया है. वहीं जमशेदपुर ईस्ट में कांग्रेस ने अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार को मैदान में उतारा है. साल 2019 के चुनाव में जमशेदपुर पूर्व में बीजेपी के बागी सरयू राय ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने उस समय के मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराया था.इस सीट पर बीजेपी ने इस बार रघुवर की पुत्रवधू पूर्णिमा दास साहू को उम्मीदवार बनाया है.वहीं पिछली बार जीते सरयू राय इस साल जदयू में शामिल हो गए हैं. वो इस बार जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ रहे हैं.
झारखंड में इस बार दो चरण में विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं. इसके तहत पहले चरण का मतदान 13 नवंबर और दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को कराया जाएगा. मतों की गिनती का काम 23 नवंबर को होगा.
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