दिल्ली हाई कोर्ट ने इस साल की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) या JEE (मेन) की 'रैंक लिस्ट' में कैंडिडेट्स के कथित दोहराव का पता लगाने और उसे हटाने के लिए निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया है. न्यायमूर्ति संजीव नरूला (Justice Sanjeev Narula)nने कहा कि दोहराव को हटाने से अंतराल पैदा होगा और इस तरह पूरी सूची नये सिरे से तैयार करनी होगी, जिससे चयन की पूरी प्रक्रिया प्रभावित होगी और अंतहीन समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि इस तरह का ‘कठोर कदम' उस वक्त उठाया जा सकता है जब कथित गलतियां इतनी बड़ी हों कि यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि पूरी सूची त्रुटिपूर्ण है.
अदालत का आदेश जेईई की एक उम्मीदवार की याचिका के संबंध में अंतरिम राहत का अनुरोध करने वाली एक अर्जी पर आया है. जेईई उम्मीदवार ने दावा किया है कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (National Testing Agency) की साझा रैंक लिस्ट त्रुटिपूर्ण है क्योंकि इसमें उम्मीदवारों का दोहराव है और यदि सूची दुरूस्त कर दी जाती है तो वह जेईई (एडवांस्ड) के लिए योग्य हो जाएगी.
अदालत ने उल्लेख किया कि ऑनलाइन प्रणाली जेईई(मेन) के दो सत्रों के लिए प्रति उम्मीदवार कई पंजीकरण को रोकने में सक्षम नहीं है और इसलिए कुछ उम्मीदवारों का पंजीकरण संभवत: द्वितीय सत्र के लिए एक नये आवेदन नंबर से हो गया. इससे उम्मीदवारों ने दोनों सत्रों में ‘कट-ऑफ' हासिल कर लिया जो रैंक सूची में दो बार प्रदर्शित हो रहा है. याचिकाकर्ता ने 13 अंकपत्र (स्कोर कार्ड) पेश किये जिनमें कथित तौर पर दोहराव हुआ है. उसने दलील दी कि ऐसे उदाहरण हजारों की संख्या में हैं. वहीं, एनटीए ने दावा किया कि उसके मानदंडों के अनुसार दोहराव के ऐसे मामले केवल 10 हैं.
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की यह दलील कि दोहराव हजारों की संख्या में है, बगैर किसी साक्ष्य के किया गया दावा है लेकिन वह मुद्दे की और पड़ताल करने के लिए सहमत है. अदालत ने याचिकाकर्ता को एनटीए के दावे का जवाब दाखिल करने के लिए वक्त दिया और एनटीए को अपने दावे के समर्थन में पूरा विवरण/आंकड़े देने का निर्देश दिया.
अदालत ने 26 अगस्त के अपने आदेश में कहा, ‘‘ दोहराव को हटाने से अंतराल पैदा होगा और इस तरह पूरी सूची नये सिरे से तैयार करनी होगी. अदालत का मानना है कि इससे परीक्षा के आयोजन की पूरी प्रक्रिया और चयन प्रक्रिया पर असर पड़ेगा, इसलिए इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. साथ ही, अदालत के पास लाभ को सिर्फ याचिकाकर्ता तक सीमित करने की कोई वजह नहीं है.'' अदालत ने अंतरिम राहत के लिए दायर की गई अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि काल्पनिक त्रुटियां और एनटीए द्वारा स्वीकार किये गये कुछ छिटपुट मामले ‘कट-ऑफ स्कोर' को पुनर्निर्धारित करने की लंबी कवायद शुरू करने तथा चयनित उम्मीदवारों की सूची नये सिरे से तैयार करने के लिए आधार नहीं हो सकते हैं.