दिल्ली सरकार के थिंक टैंक डीडीसीडी के उपाध्यक्ष जैस्मीन शाह ने उन्हें दायित्व निर्वहन से रोकने तथा उनके कार्यालय को सील करने के उपराज्यपाल के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. शाह के वकील ने कहा कि उन्होंने उपराज्यपाल के आदेश को चुनौती दी है तथा इस फैसले पर रोक लगाने की अंतरिम राहत की भी मांग की है. शाह की ओर से यह अर्जी वकील चिराग मदान ने दायर की है और उसे मंगलवार को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सामने सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.
उपराज्यपाल के आदेश के बाद बतौर संवाद एवं विकास आयोग (डीडीसीडी) उपाध्यक्ष शाह को मिली सुविधाएं वापस ले ली गयी हैं. शाह ने 18 नवंबर को (उपराज्यपाल के) इस फैसले को ‘बिल्कुल गैरकानूनी'' एवं ‘‘अंसवैधानिक'' करार दिया था. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से ‘राजनीतिक उद्देश्यों' के लिए अपने पद का दुरूपयोग करने के आरोपों को लेकर शाह को डीडीसीडी के उपाध्यक्ष पद से हटाने को भी कहा था.
दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी इलेक्ट्रिक वाहन नीति के पीछे शाह का ही योगदान है. वह फूड ट्रक नीति, इलेक्ट्रोनिक नीति, शॉपिंग फेस्टिवल समेत आप शासन की विभिन्न पहलों की रूपरेखा बनाने में लगे थिंकटैंक डीडीसीडी के उपाध्यक्ष हैं. शाह को कैबिनेट रैंक प्राप्त है और वह दिल्ली सरकार के मंत्री के समान विभिन्न अधिकारों एवं अन्य सुविधाओं के हकदार हैं. मंत्री की भांति उन्हें सरकारी आवास, कार्यालय, वाहन एवं निजी कर्मी दिए गए. डीडीसीडी कार्यालय को ‘‘शाह द्वारा राजनीतिक फायदे के लिए उसका कथित दुरूपयोग' करने से रोकने के लिए सील कर दिया गया था.
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