जम्मू-कश्मीर : 2 लोकल बॉडी सीट पर फिर होगा मतदान, पाकिस्तान के नागरिकों ने लड़ा था चुनाव

करीब 350 पाकिस्तानी महिलाओं ने कश्मीरी पुरुषों से शादी की है. इन कश्मीरी भारतीय पुरुषों ने आतंकवाद में शामिल होने के लिए पीओके में हथियारों के प्रशिक्षण के लिए 1990 के दशक की शुरुआत में नियंत्रण रेखा पार की थी.

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(फाइल फोटो)
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद की दो सीटों पर पाकिस्तानी नागरिकों के चुनाव लड़ने के कारण सोमवार को फिर से मतदान होगा. यहां दो साल पहले चुनाव हुए थे.  कुपवाड़ा जिले में द्रुगमुल्ला और बनीदपोरा जिले में हाजिन महिलाओं के लिए आरक्षित सीट हैं. दोनों सीटों पर दो पाकिस्तानी नागरिक दिसंबर 2020 में हुए डीडीसी का चुनाव लड़ने में कामयाब रहे थे.

हालांकि, रिजल्ट घोषित होने के कुछ घंटे पहले, सोमिया सदफ और शाज़िया बेगम की विवादित राष्ट्रीयता के बारे में शिकायतों ने चुनाव अधिकारियों को चुनाव परिणामों को घोषित करने से रोक दिया. पूरे मामले की जांच के बाद राज्य चुनाव आयोग ने चुनावों को अमान्य घोषित कर दिया था. दोनों महिलाएं पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की रहने वाली पाई गईं थीं.

उन्होंने दो पूर्व आतंकवादियों से शादी की थी और 2010 में आत्मसमर्पण करने वाले आतंकवादियों के लिए सरकार की पुनर्वास नीति के तहत अपने जीवनसाथी के साथ अवैध रूप से कश्मीर में प्रवेश किया था. 

करीब 350 पाकिस्तानी महिलाओं ने कश्मीरी पुरुषों से शादी की है. इन कश्मीरी भारतीय पुरुषों ने आतंकवाद में शामिल होने के लिए पीओके में हथियारों के प्रशिक्षण के लिए 1990 के दशक की शुरुआत में नियंत्रण रेखा पार की थी. लेकिन वहां पहुंचने के बाद उनका मन बदल गया और उन्होंने आतंकवादी नहीं बनने का फैसला किया. उनमें से कुछ ने वहां पाकिस्तानी महिलाओं से शादी कर ली.

सरकार द्वारा पुनर्वास नीति की घोषणा के बाद, ये लोग अपने परिवारों के साथ पीओके से भाग निकले और नेपाल के रास्ते भारत में प्रवेश कर गए. लेकिन कश्मीर पहुंचने के बाद महिलाओं को पहचान के संकट का सामना करना पड़ रहा है. नियमों के अनुसार, वे अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गए. नियंत्रण रेखा (LOC) पर निर्दिष्ट सीमा बिंदुओं के माध्यम से कश्मीर में प्रवेश करने के बजाय, वे नेपाल से प्रवेश कर गए. 

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पूछताछ के दौरान इन लोगों ने कहा था कि उन्होंने जाने के लिए नेपाल का रास्ता चुना था. पाकिस्तानी सेना और उनकी एजेंसियों से बचने के लिए, जिन्होंने उन्हें आत्मसमर्पण के लिए एलओसी पार करने की अनुमति नहीं दी होगी.

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अधिकारियों का कहना है कि सोमिया सदफ और शाजिया बेगम का नाम हटाने के बाद अब द्रुगमुल्ला सीट पर 10 और हाजिन डीडीसी सीट पर पांच उम्मीदवार मैदान में हैं. दिलचस्प बात यह है कि पिछले दो वर्षों में कुछ उम्मीदवारों ने अपनी पार्टी बदल दी है, लेकिन उनका चुनाव चिन्ह अपरिवर्तित है.

इस कारण अजीब स्थिति पैदा हो गई है. द्रुगमुल्ला सीट पर महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी का हिस्सा रहे उम्मीदवार अब सज्जाद लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस में शामिल हो गए हैं. पीडीपी का चुनाव चिन्ह स्याही का बर्तन और कलम है.

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लिहाजा अब पीपल्स कांफ्रेंस पीडीपी के सिंबल पर वोट मांग रही है, जबकि पीडीपी लोगों को उसके खिलाफ वोट करने के लिए राजी करने पर मजबूर है. 

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