जम्मू-कश्मीर: अदालत के आदेश के बाद पंजाब से वापस लाए जाएंगे पाकिस्तान निर्वासित किए जाने वाले लोग

परिवार के नौ सदस्य उन दो दर्जन से अधिक लोगों में शामिल हैं, जिन्हें पुंछ, राजौरी और जम्मू जिलों के अधिकारियों ने निर्वासन नोटिस जारी किए थे. इनमें से अधिकतर लोग पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
जम्मू:

जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एक पुलिस कर्मी और उनकी पांच बहनों समेत आठ भाई-बहनों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें पाकिस्तान भेजने पर बुधवार को रोक लगा दी. इस रोक के बाद उन्हें पंजाब से वापस जम्मू-कश्मीर लाया जाएगा. पाकिस्तान निर्वासित करने के लिए उन्हें बुधवार सुबह जम्मू-कश्मीर से पंजाब ले जाया गया था. हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस कदम के खिलाफ उनकी याचिका स्वीकार कर ली थी और उन्हें अस्थायी राहत दे दी थी.

परिवार के नौ सदस्य उन दो दर्जन से अधिक लोगों में शामिल हैं, जिन्हें पुंछ, राजौरी और जम्मू जिलों के अधिकारियों ने निर्वासन नोटिस जारी किए थे. इनमें से अधिकतर लोग पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से हैं.

अधिकारियों ने बताया कि उनमें से कुछ को पहले ही निर्वासित किया जा चुका है, जिनमें जम्मू-कश्मीर के निवासियों से विवाहित पाकिस्तानी महिलाएं भी शामिल हैं, जबकि कई अन्य अभी भी अटारी और वाघा सीमाओं पर इंतजार कर रहे हैं. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने कई कदमों की घोषणा की थी, जिनमें पाकिस्तान के साथ हुई सिंधु जल संधि को निलंबित करना, इस्लामाबाद के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करना और अल्पकालिक वीजा पर आए सभी पाकिस्तानियों को 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने या कार्रवाई के लिए तैयार रहने का आदेश शामिल था.

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पाकिस्तानी नागरिकों को बसों में पंजाब ले जाया गया, जहां उन्हें बुधवार को पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा. इन लोगों में से कई लोग दशकों से जम्मू क्षेत्र में रह रहे थे.

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पुलिसकर्मी इफ्तखार अली (45) और 42 से 56 वर्ष की आयु की उनकी पांच बहनों समेत कुल आठ भाई-बहनों को उस समय राहत मिली जब जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली. याचिका में उन्होंने दावा किया कि वे पाकिस्तानी नागरिक नहीं हैं और पीढ़ियों से सलवाह गांव में रह रहे हैं.

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न्यायमूर्ति राहुल भारती ने अली की याचिका पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ताओं को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर छोड़ने के लिए न कहा जाए और न ही मजबूर किया जाए. हालांकि, दूसरा पक्ष इस निर्देश पर आपत्ति जता सकता है.” अली पिछले 27 वर्षों से पुलिस विभाग में सेवारत हैं और फिलहाल वैष्णो देवी मंदिर के कटरा आधार शिविर में तैनात हैं.

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राजस्व अभिलेखों से प्रथम दृष्टया यह स्थापित होता है कि वे जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के वास्तविक निवासी हैं. इन अभिलेखों द्वारा समर्थित अली की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने सरकारी वकीलों से दो सप्ताह में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 20 मई को निर्धारित कर दी.

इस बीच, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता सफीर चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, 'अदालत के आदेश पर अली और उसके भाई-बहनों का निर्वासन रोक दिया गया है. अधिकारियों ने उन्हें रिहा कर दिया है और उन्हें पंजाब से वापस लाया जा रहा है.'

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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