मुंबई जेल में बंद शिवसेना के सांसद संजय राउत ने एक स्थानीय अदालत में जमानत याचिका दायर की है और दावा किया है कि पात्रा चाल धनशोधन मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है. राउत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का उनके खिलाफ यह मामला राजनीतिक बदले का ‘‘सटीक उदाहरण'' है. पात्रा चाल पुन: विकास से जुड़े कथित घोटाले के संबंध में ईडी ने एक अगस्त को राउत को गिरफ्तार किया था. वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं.
धनशोधन निषेध कानून (पीएमएलए) अदालत के विशेष न्यायाधीश एम. जी देशपांडे ने बृहस्पतिवार को केन्द्रीय एजेंसी को जमानत अर्जी पर 16 सितंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा.
ईडी के अनुसार, महाराष्ट्र आवासीय और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (महाडा) ने पात्रा चाल पुन:विकास परियोजना उपनगरीय क्षेत्र गोरेगांव में स्थित गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (जीएसीपीएल) को सौंपा था. जीएसीपीएल हाउसिंग डेवेलॉपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) से जुड़ी हुई कंपनी है.
ईडी ने कहा कि जीएसीपीएल को पुन:विकास के माध्यम से चाल में रहने वाले किराएदारों को फ्लैट मुहैया कराना था और बची हुई जमीन निजी डेवेलपर्स को बेचनी थी, लेकिन 14 साल बाद भी किराएदारों को कोई फ्लैट नहीं मिला है.
एजेंसी ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने उस जगह का पुन:विकास नहीं किया और उस जमीन को टुकड़ों में अन्य बिल्डरों को 1,034 करोड़ रुपये में बेच दिया तथा अपनी खुद की परियोजना शुरू कर दी. ईडी ने कहा कि संजय राउत के करीबी सहयोगी प्रवीण राउत और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन के अन्य निदेशकों ने महाडा को गुमराह किया।
जमानत याचिका में कहा गया है कि संजय राउत ‘‘किसी भी तरह गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन, एचडीआईएल या पात्रा चाल से जुड़े हुए नहीं हैं.''
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