किस मामले में फंस गए हैं दैतापति सेवक रामकृष्ण? मुख्य प्रशासक ने जारी किया कारण बताओ नोटिस

Shree Jaganath Mandir Case: भगवान जगन्नाथ के बीच भ्रम फैलाने के मामले में दैतापति सेवक रामकृष्ण को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक आईएएस अरबिंद ने ये नोटिस भेजा है. आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है.

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जगन्नाथ मंदिर के दैतापति सेवक को जारी कारण बताओ नोटिस

Notice to Daitapati Sevak: श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक आईएएस अरबिंद के. पढे ने दैतापति सेवक रामकृष्ण दास महापात्रा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के भक्तों और अनुयायियों में भ्रम पैदा करने और अपने विरोधाभासी बयानों के जरिए श्री मंदिर की गरिमा को धूमिल करने के उनके ऊपर आरोप लगे हैं. नोटिस मिलने के 7 दिन के अंदर उन्हें अपना स्पष्टीकरण पेश करने को कहा गया है.

दैतापति सेवक रामकृष्ण दास महापात्रा को कारण बताओ नोटिस जारी

मुख्य प्रशासक द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि रामकृष्ण दास महापात्रा ने पश्चिम बंगाल के दीघा में श्री जगन्नाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में भाग लिया था. बंगाली मीडिया को दिए गए उनके इंटरव्यू के आधार पर आरोप लगाया गया है कि श्री दास महापात्रा ने श्री मंदिर की चतुर्धा मूर्ति (चार देवताओं) के नवकलेवर अनुष्ठान के बचे हुए दारू (पवित्र लकड़ी) से बनी मूर्तियां दीघा मंदिर को प्रदान की थीं.

ओडिशा मीडिया के सामने खुद किया था खंडन

बंगाल मीडिया के सामने दिए बयान के बाद रामकृष्ण ने ओडिशा मीडिया में इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने अन्य नीम की लकड़ी का उपयोग करके मूर्तियों का निर्माण किया था और उन्हें व्यक्तिगत रूप से स्थापित किया था. परंपरा के अनुसार, नवकलेवर के दौरान एकत्र किए गए बचे हुए दरु को श्री मंदिर के दरुघर (लकड़ी के भंडारण) में संरक्षित किया जाना है और इसका उपयोग उचित समय पर केवल भगवान जगन्नाथ की जरूरतों के लिए किया जाना है.

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नोटिस में लगाए गए बड़े आरोप

रामकृष्ण को दिए नोटिस में कहा गया कि एक अनुभवी और वरिष्ठ दैतापति होने और इस नियम से पूरी तरह अवगत होने के बावजूद, श्री दास महापात्र के विरोधाभासी बयानों ने भगवान जगन्नाथ के भक्तों और अनुयायियों के बीच भ्रम पैदा कर दिया है. श्री दास महापात्र के विरोधाभासी बयानों ने न केवल भगवान जगन्नाथ के अनगिनत भक्तों और अनुयायियों को परेशान किया है, बल्कि उनकी धार्मिक भावनाओं को भी गहरी ठेस पहुंचाई है और श्री मंदिर की गरिमा और विरासत को कलंकित किया है.

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