हाईकोर्ट में लगाई 'केमिस्ट्री की क्लास' काम न आई, महिला प्रोफेसर को पति की हत्या के जुर्म में उम्रकैद

पति की हत्या के मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए 60 वर्षीय प्रोफेसर ममता पाठक ने जबलपुर हाईकोर्ट में ऐसे-ऐसे वैज्ञानिक तर्क दिए कि जज ने भी हैरान होकर पूछ लिया- आप प्रोफेसर हैं क्या? इसे हालिया दौर के सबसे अनोखे मामलों में से एक बताया जा रहा है.

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  • मध्य प्रदेश के छतरपुर की प्रोफेसर ममता पाठक को पति की हत्या के जुर्म में उम्रकैद हुई थी.
  • हाईकोर्ट में अपील के दौरान प्रोफेसर ने थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न के बीच का अंतर खुद समझाया.
  • जज ने भी हैरान होकर पूछा था- आप प्रोफेसर हैं क्या? हालांकि कोर्ट ने उम्रकैद की सजा कायम रखी.
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एक बुजुर्ग प्रोफेसर, जो कॉलेज में केमिस्ट्री के जटिल विषय पढ़ाती थीं. जब पति की हत्या के मामले में अपनी बेगुनाही साबित करने की बारी आई तो उसने अदालत में ऐसे-ऐसे वैज्ञानिक तर्क दिए कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज ने भी हैरान होकर पूछ लिया- आप प्रोफेसर हैं क्या? हालांकि 60 वर्षीय प्रोफेसर ममता पाठक की दलीलें उन्हें सजा से नहीं बचा पाईं. हालिया दौर के सबसे अनोखे मामलों में से एक बताए जा रहे इस केस में हाईकोर्ट ने प्रोफेसर की उम्रकैद की सजा कायम रखने का आदेश दिया है. 

सरकारी डॉक्टर रहे पति की हत्या का आरोप

मामला मध्य प्रदेश के छतरपुर का है. प्रोफेसर ममता पाठक पर आरोप है कि उन्होंने 29 अप्रैल 2021 को अपने पति नीरज पाठक को पहले नींद की गोलियां दीं, उसके बाद बिजली का करंट लगाकर उनकी हत्या कर दी. सरकारी डॉक्टर रह चुके पति नीरज पाठक की हत्या के बाद प्रोफेसर ममता पाठक अपने बेटे को लेकर झांसी चली गईं. 

करंट से मौत का मामला हत्या का निकला

पुलिस पहले इस मामले की साधारण करंट लगने से मौत की तरह मान रही थी. इस बीच नीरज पाठक की एक वॉइस रिकॉर्डिंग मिली, जिसमें वह अपनी पत्नी पर प्रताड़ित करने का आरोप लगा रहे थे. प्रोफेसर ममता पाठक ने कथित तौर पर अपने ड्राइवर के सामने कबूला था कि उनकी बहुत बड़ी मिस्टेक को गई है. बस इसी को आधार बनाकर पुलिस ने जब गहराई से तहकीकात की और फोरेंसिक जांच कराई तो मामला हत्या का निकला. पता चला का पति-पत्नी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा था.

सेशन कोर्ट ने प्रोफेसर को दी उम्रकैद

इसके बाद सेशन कोर्ट में ममता पाठक पर साजिशन हत्या का मुकदमा चला. सुनवाई के बाद जिला अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुना दी. अदालत ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और अन्य सबूतों को सजा का आधार बनाया. इसके बाद ममता ने बच्चे की परवरिश के लिए हाईकोर्ट से पिछले साल जमानत मांगी. उन्हें जमानत मिल भी गई. उन्होंने उम्रकैद की सजा के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में अपील कर दी. 

कोर्ट में प्रोफेसर ने लगाई केमिस्ट्री की क्लास

हाईकोर्ट में अपील पर सुनवाई के दौरान ममता पाठक ने खुद अपनी दलीलें दीं. उन्होंने अदालत में कहा कि थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न के बीच के वैज्ञानिक अंतर का पोस्टमॉर्टम के दौरान पता नहीं लगाया जा सकता. उन्होंने बताया कि थर्मल बर्न (गर्मी से जलने) और इलेक्ट्रिक बर्न (करंट से जलने) के घाव एक जैसे दिखाई देते हैं. इनके बीच अंतर केवल रासायनिक विश्लेषण से ही स्पष्ट हो सकता है. 

प्रोफेसर ममता पाठक ने कोर्ट में विस्तार से बताया कि इलेक्ट्रिक करंट किस तरह से टिश्यूज से रिएक्ट करके असर डालता है. उन्होंने इस मामले को इस तरह आत्मविश्वास के साथ समझाया कि जज ने भी हैरान होकर पूछ लिया- क्या आप केमिस्ट्री की प्रोफेसर हैं? इसका वीडियो खूब वायरल हुआ. कई लोगों ने इसे हालिया दौर का बचाव पक्ष का सबसे अनोखा मुकदमा करार दिया. 

हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की बेंच के सामने 60 वर्षीय ममता पाठक की दलीलें काम नहीं आईं. सरकारी अधिवक्ता मानस मणि वर्मा ने एनडीटीवी को बताया कि अदालत ने ममता पाठक के मामले में हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए पैरवी के निर्देश दिए थे. 

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हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर और उपलब्ध तथ्यों को मद्देनजर रखते हुए 97 पेज का फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में प्रोफेसर ममता पाठक की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा और तुरंत सरेंडर करने का निर्देश दिए. 

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