"IT ऐक्ट की रद्द हो चुकी धारा 66A के तहत केस दर्ज न करना राज्यों की जिम्मेदारी", केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में माना

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा है कि पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था भारत के संविधान के अनुसार राज्य के विषय हैं, और अपराधों का पता लगाकर इसकी रोकथाम, जांच व अभियोजन और पुलिसकर्मियों की क्षमता निर्माण मुख्य रूप से राज्यों की जिम्मेदारी है.

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केंद्र ने कहा- IT ऐक्ट की रद्द हो चुकी धारा 66A के तहत केस दर्ज न करना राज्यों की जिम्मेदारी.
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा-66 ए प्रावधान को रद्द करने के बाद इसके तहत दर्ज मामलों को बंद करना राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्राथमिक कर्तव्य है. राज्य सरकारों के तहत कानून का पालन करने वाली एजेंसियों को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि आईटी एक्ट की धारा-66ए के तहत कोई नया मामला दर्ज न हो.

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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था भारत के संविधान के अनुसार राज्य के विषय हैं, और अपराधों का पता लगाकर इसकी रोकथाम, जांच व अभियोजन और पुलिसकर्मियों की क्षमता निर्माण मुख्य रूप से राज्यों की जिम्मेदारी है.

केंद्र सरकार ने यह हलफनामा गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पीयूसीएल की उस याचिका पर दिया है, जिसमें यह कहा गया है कि धारा-66ए को रद्द किए जाने के बावजूद इसके तहत मामले दर्ज किए जा रहे हैं. निरस्त किए जाने के वक्त इस कानून के तहत 11 राज्यों में 229 मामले लंबित थे. 

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लेकिन इसके बाद भी इन राज्यों में इस प्रावधान के तहत 1307 नए मुकदमे दर्ज किए गए. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र से जवाब मांगा था.

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