इशरत जहां मुठभेड़ (Israt Jahan case) की जांच से जुड़े IPS सतीश चंद्र वर्मा को राहत नहीं मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने इशरत जहां मुठभेड़ गुजरात के आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को सेवा से बर्खास्तगी के केंद्र के आदेश को बरकरार रखा है. सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्खास्त करने के केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव सचदेवा की पीठ ने ये फैसला लिया है.
पीठ ने कहा, हमें रिट याचिका में कोई योग्यता नहीं मिली है. उसे खारिज किया जाता है. वर्मा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 30 अगस्त, 2022 को पारित आदेश को चुनौती दी थी जिसमें तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्तगी की गई थी. उन्हें 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त होना था. 22 सितंबर 2022 को इशरत जहां मुठभेड़ की जांच से जुड़े IPS सतीश चंद्र वर्मा को बर्खास्तगी से राहत नहीं मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार किया था, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई की तारीख में संशोधन किया था. कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को IPS वर्मा की याचिका पर 22 नवंबर 2022 को सुनवाई करने को कहा. अदालत ने हाईकोर्ट से दो महीने के भीतर मामले पर फैसला करने को कहा था. वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनकी बर्खास्तगी पर रोक नहीं लगाई थी.
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने आईपीएस सतीश चंद्र वर्मा की बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. जस्टिस संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर आठ हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएस सेवा से बर्खास्त किए गए सतीश चंद्र वर्मा को हाईकोर्ट में चुनौती देने का निर्देश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को इसका मौका देने के लिए केंद्र सरकार का बर्खास्तगी का आदेश एक सप्ताह के लिए स्थगित रखने का निर्देश दिया. वर्मा का कहना था कि 2004 में गुजरात के इशरत जहां एनकाउंटर केस की जांच के लिए उन्हें निशाना बनाया गया है. सतीश वर्मा 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त होने वाले थे. इससे पहले ही केन्द्र सरकार ने 30 अगस्त 2022 को सतीश वर्मा की सेवाएं समाप्त करने का आदेश दिया था. केन्द्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा था कि उनके खिलाफ विभागीय जांच पूरी हो चुकी है और दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि मीडिया से बात करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है.