INS विक्रांत (INS Vikrant) को बचाने के मामले में बीजेपी नेता किरीट सोमैया (BJP Leader Kirit Somaiya) और उनके बेटे नील पर मुंबई पुलिस ने पिछले दिनों 58 करोड़ रुपये के गबन का मामला दर्ज किया था. सेशन कोर्ट ने सौमैया की अग्रिम जमानत की अर्जी आज खारिज कर दी है. दरअसल, वरिष्ठ वकील ऋषिकेश मुंदरगी ने किरीट सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया की तरफ से पैरवी की. इस दौरान उन्होंने कोर्ट को बताया कि साल 2013 में INS विक्रांत को बचाने के लिए जो मुहिम शुरू की गई थी, उसके तहत सिर्फ 11 हजार रुपये ही इकट्ठा किए गए थे.
मुंदरगी ने बताया कि तब आईएनएस विक्रांत को बचाने में राज्य सरकार और बीएमसी भी शामिल थी. अब 9 साल बाद उसमें मामला दर्ज किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस मामले में 58 करोड़ वसूली की बात गलत है. उन्होंने आरोप लगाया कि ये मामला राजनीतिक मकसद से दायर किया गया है लेकिन हम जांच में सहयोग करने को तैयार हैं. उन्होंने अदालत से गिरफ्तारी से राहत देने की भी मांग की. मुंदरगी ने कहा कि इस तरह की मुहिम अकेले की नहीं बल्कि पार्टी की होती है. उन्होंने कहा कि हमने पार्टी के पास पैसा जमा कर दिया था.
"ये बता पैसा किधर गया?", INS विक्रांत को बचाने तब BJP नेता के साथ राष्ट्रपति भवन गए थे संजय राउत
विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरात ने कहा कि अपराध अपराध होता है, वो चाहे एक हजार का ही क्यों ना हुआ हो? लेकिन सवाल ये है कि राज्यपाल ने राशि जमा की या नही? या उस राशि का क्या किया गया? घरात ने कहा कि तब लोगों को बताया गया था कि आईएनएस विक्रांत की मरम्मत के लिए पैसे चाहिए. ऐसे में अगर इसका इस्तेमाल आईएनएस विक्रांत के लिए नहीं किया गया तो ये बड़ा अपराध है. उन्होंने पूछा कि सवाल है कि पैसे जमा करने के लिए क्या कोई इजाजत ली गई थी?
घरात ने कहा कि मामले में शिकायतकर्ता पूर्व सैनिक हैं. उन्होंने तब इस मुहिम में 2000 रुपए दिए थे. एक और ब्रिगेडियर सुधीर सावंत ने 500 रूपये दिए थे. क्या हम भरोसा कर सकते हैं कि जब सिर्फ 2 लोगों ने 2500 रूपये दिए थे तो क्या सिर्फ 11 हजार रुपए जमा हुआ होगा ? इसलिए हिरासत में लेकर पूछताछ जरूरी है.
घरात ने कहा कि अगर ये कहते हैं कि पार्टी को पैसे दिए तो पार्टी को भी बताना चाहिए कि पैसे कहां गए? अगर पार्टी नहीं बता पाती है तो पार्टी भी आरोपी बन सकती है. उन्होंने कहा, "पैसा जमा हुआ लेकिन जहां जाना चाहिए, वहां नही गया. मतलब कहीं और गया. मतलब ये मनी लांड्रिंग का मामला भी बनता है."
शिकायतकर्ता के वकील ने ध्यान दिलाया कि किरीट सोमैया ने तब एक ट्वीट किया था कि आईएनएस को बचाने के लिए 140 करोड़ रुपए जमा करेंगे. फिर क्या सिर्फ 11 हजार रुपए ही जमा हुए होंगे? मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है. कोर्ट आज ही फैसला सुनाएगी.
किरीट सोमैया के वकील ने कोर्ट को यह भी बताया कि जब राज्यपाल के पास गए थे लेकिन तब राज्यपाल के पास ऐसा कोई अकाउंट नहीं था जिसमें आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए पैसे इस्तेमाल हो सके. आज भी नहीं है. इसलिए अपनी पार्टी में पैसे जमा कर दिए.