Explainer: आईएनएस इंफाल ब्रह्मोस मिसाइल से लैस, दुश्मन देशों में खौफ फैलना तय

इंफाल युद्धपोत पोत का वजन 7,400 टन और कुल लंबाई 164 मीटर है. यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और पोत विध्वंसक मिसाइलों तथा टॉरपीडो से लैस है.

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पहला युद्धपोत जिसका नाम उत्तरपूर्व के शहर पर रखा गया है.
नई दिल्‍ली:

सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस स्वदेश निर्मित स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक ‘आईएनएस इंफाल' को मंगलवार को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल किया जा रहा है. आईएनएस इंफाल से हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत की समुद्री क्षमता मजबूत होगी.
यह पहला युद्धपोत है जिसका नाम पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसी शहर के नाम पर रखा गया है. राष्ट्रपति ने अप्रैल 2019 में इसकी मंजूरी दी थी.

अधिकारियों ने कहा कि युद्धपोत को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में मुंबई स्थित नौसेना की गोदी (डॉकयार्ड) में आयोजित एक समारोह में शस्त्र बल में शामिल किया जाएगा. उन्होंने कहा कि युद्धपोत का नाम मणिपुर की राजधानी के नाम पर रखा जाना राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है. इस पोत का वजन 7,400 टन और कुल लंबाई 164 मीटर है। यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और पोत विध्वंसक मिसाइलों तथा टॉरपीडो से लैस है.

आईएनएस इंफाल की ताकत...

  • आईएनएस इंफाल ब्रह्मोस मिसाइल से लैस युद्धपोत
  • पहला युद्धपोत जिसका नाम उत्तरपूर्व के शहर पर रखा गया है.
  • स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर, देश मे बना है युद्धपोत.
  • इंफाल, 7400 टन वजनी, 163 मीटर लंबा, 75 फीसदी सामग्री स्वदेशी.
  • इंफाल 56 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार से चल सकता है.
  • इसमें सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल लगी हैं. 
  • मॉडर्न सर्विलांस राडार, देश मे विकसित रॉकेट लॉन्चर, टारपीडो लांचर से लैस.
  • परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के हालात में कारगर. 
  • इसी युद्धपोत से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण.
  • डिस्ट्रॉयर से दुश्मन देशों में खौफ फैलना तय.

बंदरगाह और समुद्र दोनों में व्यापक परीक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद आईएनएस इंफाल 20 अक्टूबर को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था. इसके बाद, पोत ने पिछले महीने विस्तारित-रेंज वाली सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो नौसेना में शामिल किए जाने से पहले किसी भी स्वदेशी युद्धपोत के लिए इस तरह का पहला परीक्षण था.

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