- भारतीय सेना को अमेरिका से तीन अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स की पहली खेप 21 जुलाई को मिलने वाली है, जो पश्चिमी सीमा पर तैनात किए जाएंगे.
- अपाचे हेलीकॉप्टर्स अत्याधुनिक टारगेटिंग, नाइट विज़न नेविगेशन, कम्युनिकेशन, नेविगेशन, सेंसर और हथियार प्रणालियों से लैस हैं.
- भारतीय वायुसेना के पास पहले से 22 अपाचे हेलीकॉप्टर्स हैं, जिनकी दो स्क्वॉड्रन पठानकोट और जोरहाट में सक्रिय हैं.
लगभग एक साल की देरी के बाद भारतीय सेना को अमेरिका से तीन अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर्स की पहली खेप 21 जुलाई को मिलने जा रही है. ये हेलीकॉप्टर सेना की आक्रामक क्षमता और टोही अभियानों को बड़ी मजबूती देंगे. रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़े सूत्रों ने एनडीटीवी इंडिया को इसकी पुष्टि की है कि ये हेलीकॉप्टर पश्चिमी सीमा यानी पाकिस्तान बॉर्डर पर तैनात किए जाएंगे.
मार्च 2024 में ही रिपोर्ट आई थी कि राजस्थान के जोधपुर में एक स्क्वॉड्रन खड़ी की जा रही है, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में बाधा और वैश्विक भू-राजनीतिक हालातों में तेजी से आए बदलाव के चलते हेलीकॉप्टर्स की तैनाती टलती रही.
2020 में जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत आए थे, तब दोनों देशों के बीच भारतीय सेना के लिए 6 अपाचे हेलिकॉप्टर्स खरीदने का 600 मिलियन डॉलर का सौदा हुआ था. इसके तहत पहली खेप मई-जून 2024 तक भारत आनी थी. इस सौदे से पहले भारतीय वायुसेना पहले ही 22 अपाचे हेलिकॉप्टर खरीद चुकी थी. यह सौदा 2015 में अमेरिकी सरकार और बोइंग कंपनी के साथ हुआ था.
अपाचे हेलिकॉप्टर्स अत्याधुनिक टारगेटिंग सिस्टम्स से लैस है, जो दिन-रात और हर मौसम में लक्ष्य का सटीक डेटा मुहैया कराते हैं. इनके पास नाइट विज़न नेविगेशन सिस्टम भी है, जिससे सेना की आक्रामक क्षमताएं और भी प्रभावशाली होंगी. इसके अलावा इनमें नवीनतम कम्युनिकेशन, नेविगेशन, सेंसर और हथियार प्रणालियां भी शामिल हैं. ये हेलीकॉप्टर न केवल हमले में बल्कि सुरक्षा, टोही और शांति अभियानों में भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. भारतीय वायुसेना की दो स्क्वॉड्रन पहले ही सक्रिय हैं. एक पठानकोट में और दूसरी जोरहाट में. वहीं वायुसेना को सभी 22 अपाचे हेलीकॉप्टर्स जुलाई 2020 तक मिल चुके हैं.