India's HDI: भारत में मानव विकास और लिंगानुपात में सुधार, कमाई-औसत उम्र में भी इजाफा

पिछले कुछ वर्षों में मानव विकास के पैमानों पर भारत ने उल्लेखनीय तरक्की की है.1990 के बाद बीते लगभग 34 साल में जीवन प्रत्याशा भी बेहतर हुई है. 1990 में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा लगभग 58 साल थी. अब 9.1 वर्ष बढ़कर आयु 67.7 साल हो चुकी है.

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भारत के ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित साल भी 4.6 वर्ष बढ़ गए हैं.
नई दिल्ली:

भारत में लोगों के जीवन स्तर (India Life Expectancy) में सुधार आया है. पुरुषों और महिलाओं के बीच लैंगिग असमानता भी सुधरी है. संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक (United Nation Human Development Index) यानी HDI के ताजा आंकड़ों में भारत 193 देशों की लिस्ट में 134वें नंबर पर है. ये इंडेक्स साल 2022 के आंकड़ों पर आधारित है. भारत को कुल 0.644 पॉइंट दिए गए हैं. इस पॉइंट के आधार पर भारत को 'मिडियम ह्यूमन डेवलपमेंट' यानी मध्यम गति से मानव विकास करने वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है. दूसरी तरफ भारत के प्रति व्यक्ति आय में भी इजाफा हुआ है. यानी लोगों की कमाई बढ़ी है.

संयुक्त राष्ट्र की 2023/24 की रिपोर्ट- 'ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक: रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड' नाम से प्रकाशित हुई है. इसमें दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, भारत में औसत जीवन प्रत्याशा (Average Life Expectancy) 2022 में 67.7 साल थी. ये एक साल पहले 62.7 साल दर्ज की गई थी. संयुक्त राष्ट्र के मानव विकास सूचकांक (HDI) रिपोर्ट ने स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों में बढ़ोतरी (प्रति व्यक्ति 12.6 तक) का भी संकेत दिया है. कुल मिलाकर 2022 में भारत का ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स स्कोर 0.644 है. HDI में स्विटजरलैंड टॉप पर है.

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1990 में भारत का ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स 0.434 था. इससे 2022 के स्कोर में करीब 49 फीसदी का पॉजिटिव चेंज आया है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की भारत प्रतिनिधि केटलिन विसेन ने कहा, "भारत ने पिछले कुछ सालों में ह्यूमन डेवलपमेंट (मानव विकास) में अच्छी तरक्की की है. 1990 के बाद से जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 9.1 साल बढ़ गई है. स्कूली शिक्षा के अपेक्षित साल भी 4.6 वर्ष बढ़ गए हैं. स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष में 3.8 साल का इजाफा हुआ है. भारत की व्यक्तिगत पूंजी में लगभग 287 प्रतिशत की वृद्धि हुई है."

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मानव विकास (Human Development) को तीन प्रमुख आयामों स्वस्थ लंबा जीवन, शिक्षा तक पहुंच और जीवन गुणवत्ता के आधार पर मापा जाता है. इसे जीवन प्रत्याशा, औसत स्कूली शिक्षा, स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय पर तय किया जाता है.

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लैंगिक असमानता रिपोर्ट (Gender Inequality Index)
2022 में भारत का लैंगिक असमानता सूचकांक यानी (GII) 0.437 रहा. इस इंडेक्स में भारत ने अच्छा परफॉर्म किया है. अगर हम वैश्विक औसत 0.462 और दक्षिण एशियाई देशों के औसत 0.478 से तुलना करें, तो इसमें भी भारत का परफॉर्मेंस अच्छा हुआ है. GII (Gender Inequality Index)लिस्ट में तीन प्रमुख चीजों- प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तीकरण और श्रम बाजार भागीदारी पर देशों की रैंकिंग की जाती है. भारत 166 देशों की लिस्ट में 108वें स्थान पर है. भारत में प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल 'मिडियम HDI' श्रेणी में है, जो अन्य देशों की तुलना में बेहतर है. 

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केटलिन विसेन ने कहा, "यह समय के साथ अपने नागरिकों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए देश की प्रतिबद्धता को उजागर करता है. लेकिन इसमें सुधार की गुंजाइश है. महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास पर नए सिरे से फोकस करने के साथ, भारत सामाजिक-आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ा सकता है. साथ ही विकास के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है."

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सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income)
इसी तरह देश में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय से जुड़े आंकड़ों को देखें, तो यह 6,542 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 6,951 अमेरिकी डॉलर हो गई है. भारतीय करेंसी में यह राशि लगभग 5.75 लाख रुपये होती है. यानी पिछले वर्ष की तुलना में प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय में इजाफा दर्ज किया गया है. 

सरकार ने निर्णायक एजेंडे, दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास के उद्देश्य से नीतिगत पहल, महिला सशक्तीकरण को इन सुधारों की वजह माना है.

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