अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार शाम जानकारी दी कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीजफायर पर सहमत हो गए हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल'पर लिखा, ''अमेरिका की मध्यस्थता में हुई एक लंबी बातचीत के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान ने पूर्ण और तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई है.'' भारत के विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त प्रेस ब्रीफिंग में संघर्ष विराम पर भारत की सहमति की पुष्टी की. इस संघर्ष विराम की पुष्टि पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी की है.हालांकि भारत ने इस संघर्ष विराम में किसी तीसरे देश की भूमिका होने से इनकार किया है. उसका कहना है कि इसकी पहल पाकिस्तान की ओर से की गई है. आइए जानते हैं कि पिछले दो दिनों में कैसे घटित हुआ यह घटनाक्रम.
अमेरिका की मध्यस्थता के दावे में कितना दम
भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच शुक्रवार सुबह अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरोलिन लेविट ने एक प्रेस कॉन्फेंस की थी. इसमें उन्होंने कहा था,''इस मामले में विदेश मंत्री और अब हमारे एनएसए मार्को रुबियो भी शामिल हैं. राष्ट्रपति ने कहा है कि वह चाहते हैं कि यह तनाव जल्द से जल्द कम हो जाए. वह समझते हैं कि ये दोनों देश दशकों से एक-दूसरे के साथ मतभेद रखते हैं. हालांकि, उनके दोनों देशों के नेताओं के साथ अच्छे संबंध हैं. विदेश मंत्री मार्को रुबियो दोनों देशों के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में हैं और इस संघर्ष को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं.''
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि ये तनाव खत्म हो. दोनों ही देशों से उनके अच्छे संबंध हैं.उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप की भारत-पाकिस्तान के नेताओं से बातचीत की योजना के सवाल पर कहा था, "अगर ऐसा होता है तो मैं आपको जरूर बताऊंगी." अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान से लगा कि सीमा पर तनाव के बीच भारत और पाकिस्तान ने बातचीत चल रही है.
गोलाबारी और मिसाइल हमले के बीच बातचीत
शुक्रवार शाम से शनिवार सुबह तक पाकिस्तान की तरफ से जिस तरह सीमा पार से गोलाबारी की गई और भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया, उससे लगा कि यह तनाव अगले चरण की ओर जा रहा है.पाकिस्तान ने पूरी रात गोलाबारी की और मिसाइल और ड्रोन से हमला किया. भारत के सशस्त्र बलों ने इसका माकूल जवाब दिया.सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के पांच एयरबेस पर हमला कर, वहां भारी नुकसान पहुंचाया.
भारत के जवाबी हमलों से तिलमिलाए पाकिस्तान ने शनिवार सुबह नेशनल कमांड अथॉरिटी की बैठक बुलाई. यह पाकिस्तान सेना और सरकार की एक कमेटी है. यही कमेटी सुरक्षा संबंधी बड़े फैसले लेती है. परमाणु बमों के इस्तेमाल पर फैसला भी यह कमेटी लेती है. इस बीच खबर आई कि अमेरिका के विदेश मंत्री मार्क रुबियो ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से बात की. अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए यह एक बहुत बड़ी घटना थी. अमेरिकी विदेश मंत्री ने नागरिक सरकार को दरकिनार कर सीधे सेना से बात की.
रुबियो की हरकत से हरकत में आई शरीफ सरकार
रुबियो और मुनीर के बीच हुई बातचीत के बाद पाकिस्तान की शाहबाज शरीफ सरकार भी हरकत में आई. पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने एक टीवी चैनल से कहा कि अगर भारत अपनी कार्रवाई को रोक लेता है, तो पाकिस्तान भी ऐसा ही करेगा. रुबियो के कदम और डार के इस बयान से यह साफ होने लगा कि पर्दे के पीछे की गतिविधियां तेज हो गई हैं.
पाकिस्तान पर की गई सैन्य कार्रवाई की शनिवार को जानकारी देतीं कर्नल सोफिया कुरैशी.
डार के इस बयान से पहले भारत के विदेश मंत्रालय और सेना ने एक प्रेस ब्रीफ्रिंग में शुक्रवार शाम से शनिवार सुबह तक की गतिविधियों की जानकारी दी. सेना ने बताया कि पाकिस्तान की कार्रवाई से हमें कितना नुकसान पहुंचा है और जवाब कार्रवाई में पाकिस्तान को कितना नुकसान पहुंचाया गया है.
पाकिस्तान ने भारत को मिलाया फोन
शनिवार को भी भारत-पाकिस्तान सीमा पर दिन भर तनाव बना रहा. इस बीच दोपहर में खबर आई कि भारत ने कहा है कि किसी भी आतंकी हमले को युद्ध माना जाएगा और उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. इस बयान से लगा कि पर्दे के पीछे चल रही बातचीत सही दिशा में जा रही है. इसके बाद शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि भारत-पाकिस्तान तुरंत प्रभाव से संघर्ष विराम पर सहमत हो गए हैं. इसके बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एक प्रेस ब्रीफिंग में इस संघर्ष विराम की पुष्टि की.उन्होंने कहा कि शनिवार शाम तीन बजकर 35 मिनट पर पाकिस्तान के डीजीएमओ का फोन आया था. इसी बातचीत में संघर्ष विराम पर सहमति बनी. उन्होंने बताया कि भारत-पाकिस्तान के सैन्य अभियान के महानिदेशक (डीजीएमओ) 12 मई की एक बार फिर बातचीत करेंगे.
विक्रम मिसरी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि इस संघर्ष विराम में किसी तीसरे देश ने मध्यस्थता नहीं की है. मंत्रालय के मुताबिक इस बातचीत की पहल पाकिस्तान के डीजीएमओ की ओर से की गई है. इसके साथ ही यह भी साफ कर दिया गया है कि दोनों देशों के डीजीएमओ की अभी कोई बाचतीत प्रस्तावित नहीं है.
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा है कि संघर्ष विराम के लिए किसी तीसरे देश ने मध्यस्थता नहीं की है.
अमेरिका का इतिहास
अमेरिका ने इससे पहले 20वीं सदी में अंत में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए करगिल युद्ध के दौरान भी कूटनीतिक प्रयास कर युद्ध का बंद करवाया था.इसके बाद फरवरी 2019 में जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी तो दोनों देश युद्ध के मुहाने पर आ गए थे. उस समय भी अमेरिका ने कूटनीतिक प्रयास से युद्ध के खतरे को टालने का दावा किया था.
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