मालदीव के नए राष्ट्रपति बने मोहम्मद मुइज़्ज़ू का भारत विरोधी रुख़ जगज़ाहिर है. लेकिन चीन के पांच दिवसीय दौरे से लौटने के बाद उनकी भाषा और सख़्त हो गई है. इसके पीछे मुख्य तौर पर दो कारण नज़र आता है. एक तो चीन के साथ मालदीव के हुए 20 समझौते और दूसरा लक्षद्वीप-मालदीव को लेकर भारत के साथ पैदा हुआ विवाद.
मुइज़्ज़ू जब चीन के दौरे पर निकलने वाले थे, ठीक उससे पहले लक्षद्वीप और मालदीव में टूरिज़्म को लेकर सोशल मीडिया पर एक विवाद छिड़ गया. मालदीव के तीन मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक पोस्ट कर दिए. इसके बाद मालदीव की विपक्षी पार्टियों ने मुइज़्ज़ू सरकार को घेर लिया. इधर भारत से मालदीव जाने वाले सैलानियों ने बुकिंग कैंसिल कराना शुरू किया. चौतरफ़ा दबाव पड़ता देख मालदीव सरकार ने अपने तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया, उनमें से दो मुइज़्ज़ू के बहुत क़रीबी हैं.
ज़ाहिर है कि मुइज़्ज़ू को ये बात नागवार गुज़री और चीन से लौटते ही भारत का नाम लिए बग़ैर ऐसे बयान दिए जो सीधे भारत के ख़िलाफ़ नज़र आता है. उन्होंने कहा कि उनका देश छोटा बेशक है, लेकिन इससे किसी को धौंस दिखाने का लाइसेंस नहीं मिल जाता.
चीन के दौरे पर मुइज़्ज़ू को रेड कारपेट वेलकम तो मिला ही, चीन-मालदीव के बीच 20 अहम समझौते भी हुए. चीन ने 130 मिलियन डॉलर का मदद दिया है, जो मालदीव की विकास परियोजनाओं पर खर्च होगा. 20 समझौतों में टूरिज़्म सेक्टर को बढ़ावा देने का समझौता भी शामिल है.
कोविड महामारी से पहले मालदीव में सबसे ज़्यादा चीनी सैलानी आते थे. पिछले साल सबसे अधिक सैलानी भारत से गए, जिसमें अब भारी गिरावट आना लाज़िमी है. मालदीव की अर्थव्यवस्था टूरिज़्म आधारित है. ऐसे में टूरिज़्म के क्षेत्र में चीन के साथ समझौता होने से मुइज़्ज़ू का आत्मविश्वास बहुत अधिक बढ़ा नज़र आ रहा है.
हालांकि माले के मेयर चुनाव में उनको बड़ा झटका भी लगा है और उनके उम्मीदवार की हार हो गई है. राष्ट्रपति बनने से पहले वे माले के मेयर थे. उनके इस्तीफ़े के बाद मेयर का पद खाली हुआ था. इसके लिए हुए चुनाव में उनकी पार्टी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार ऐशांथ अज़िमा शकूर की हार हो गई. मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के एडम अज़ीम ने ये चुनाव जीता. इसे भारत के साथ पैदा किए गए विवाद के परिपेक्ष्य में भी देखा जा रहा है. ज़ाहिर है मुइज़्ज़ू को ये बात भी परेशान कर रही होगी.