भारत को अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की वैक्सीन (Moderna ) की 75 लाख खुराक लेने की पेशकश कोवैक्स कार्यक्रम के तहत की गई है. वहीं भारत में मॉडर्ना को आपातकालीन इस्तेमाल के तहत मंजूरी भी मिल गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने यह जानकारी दी है. डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक (दक्षिण पूर्व एशिया) डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने यह जानकारी दी है. मॉडर्ना की वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए भारत ने पहले ही मंजूरी दे दी है. नीति आयोग (NITI Aayog ) के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने हाल ही में कहा था कि सरकार मॉडर्ना और फाइजर से कोविड-19 वैक्सीन को लेकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर रही है, इसमें किसी भी कानूनी कार्यवाही से छूट का मुद्दा भी शामिल है.
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पॉल का कहना है कि सरकार इन कंपनियों के संपर्क में है और उनसे वार्ता कर रही है. पॉल ने कहा था कि कांट्रैक्ट और कमिटमेंट से जुड़े मुद्दों का समाधान निकालना आवश्यक है और यह प्रक्रिया चल रही है. इस घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने एएनआई को बताया कि मॉडर्ना ने 75 लाख खुराक की पेशकश की है.
जून में अमेरिकी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी मॉडर्ना ने ऐलान किया था कि भारत ने उसकी वैक्सीन को देश में आयात के लिए मंजूरी दे दी है, ताकि आपातकालीन इस्तेमाल में इसे लाया जा सके. हालांकि फाइजर ने अभी तक भारत में अपनी कोविड वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए अनुमति भी नहीं मांगी है.
हालांकि मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन भारत में दिए जाने में सबसे पड़ा पेंच है कि दोनों ही अमेरिकी कंपनियां इनडेमनिटी (indemnity) यानी वैक्सीन दिए जाने पर किसी मरीज को होने वाली शारीरिक परेशानियों को लेकर कानूनी कार्रवाई से छूट मांग रही हैं. इसको लेकर दोनों पक्षों में वार्ता चल रही है. भारत में अब तीन तरह की कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है.
इसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन कोविशील्ड, भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन और रूस की वैक्सीन स्पूतनिक शामिल है. भारत सरकार कुछ अन्य देशों के टीकों को देश में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए तहत मंजूरी देने के प्रयास में जुटी है, ताकि टीकाकरण की रफ्तार को औऱ तेज किया जा सके.