अंतरिक्ष जगत में भारत का बड़ा नाम है. भारत लगातार अंतरिक्ष में अपने अभियायों से नई इबारत लिख रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ (S Somanath) के अनुसार, भारत ने एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम पर अपनी नजरें जमा ली हैं, जिसका लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यात्री को उतारना है. साथ ही भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर कहा कि अंतरिक्ष पर खर्चे हर रुपये से भारत को 2.52 रुपये की कमाई होती है.
चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री को उतारने की योजना की घोषणा भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियों और अभूतपूर्व विकास के एक वर्ष के बाद की गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसरो के लिए रिकॉर्ड 31,000 करोड़ रुपये की फंडिंग को मंजूरी दी है और अगले 15 सालों तक देश के अंतरिक्ष प्रयासों के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है.
हमारे लिए शानदार रहा साल : इसरो प्रमुख
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में एनडीटीवी को बताया, "मेरा मानना है कि यह वर्ष उन मिशनों के संदर्भ में हमारे लिए बेहद शानदार रहा है, जिन्हें हमने पूरा किया है. साथ ही प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के आधार पर हमने अपने लिए भविष्य का रोडमैप भी तय किया है. उन्होंने कहा, "अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास में पहली बार है, जब हमने अगले 25 सालों के लिए एक दृष्टिकोण की घोषणा की है."
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना
इस रोडमैप के तहत भारत 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है. 2028 में एक अंतरिक्ष स्टेशन मॉड्यूल का प्रक्षेपण होगा, जो 2035 तक इसके पूरी तरह ऑपरेशनल होने के लिए मंच तैयार करेगा. इस दृष्टिकोण का चरम 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री की योजनाबद्ध लैंडिंग है.
डॉ. सोमनाथ ने एनडीटीवी को बताया, "जब हम अपनी आजादी के 100वें वर्ष का जश्न मनाएंगे तो एक भारतीय ध्वज चंद्रमा पर फहराया जाएगा और हमारा व्यक्ति उसे वापस रखेगा और सुरक्षित वापस आएगा. इसका लक्ष्य 2040 है."
इससे पहले शुरुआती मिशनों की एक श्रृंखला में चंद्रयान-4 भी शामिल है. यह एक लूनर सैंपल रिटर्न मिशन है, जिसे पहले ही मंजूरी मिल चुकी है.
शुक्र ग्रह के लिए भी मिशन की मिली मंजूरी
ह्यूमन स्पेस फ्लाइट और लूनर मिशन को सपोर्ट करने में सक्षम रियूजेबल, ग्रीनर और मॉड्यूलर रॉकेट को विकसित करने के लिए मंजूरी दे दी गई है. भविष्य के लिए तैयार लॉन्च व्हिकल भारत की विस्तारित पेलोड आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है. अंतरिक्ष कार्यक्रम के लाभ वैज्ञानिक उपलब्धियों से कहीं आगे तक हैं.
उन्होंने कहा कि 250 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप इनोवेशन और भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा दे रहे हैं. इनमें अग्निकुल कॉसमॉस ने लिक्विड-प्रोपेल्ड सब-ऑर्बिटल रॉकेट लॉन्च कर सुर्खियां बटोरीं. साथ ही कहा कि अंतरिक्ष पर खर्च प्रत्येक रुपये के लिए भारत को 2.52 रुपये का रिटर्न मिला है.
डॉ. सोमनाथ ने कहा, "शुक्र ग्रह के लिए एक एक्सप्लोरेशन मिशन को भी मंजूरी दे दी गई है."