भारत और चीन संबंध बेहतर बनाने में क्या-क्या हैं चुनौतियां, एनडीटीवी के मंच पर एस जयशंकर ने बताया

जयशंकर ने आगे कहा, 'इसलिए यदि दो पड़ोसी देश एक ही समय सीमा में एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धा में खड़े हो जाते हैं तो यह आसान नहीं है. इस दोहरी बढ़ती समस्या के हल के लिए बहुत कौशल, गहराई से समझ और कूटनीति की आवश्यकता होगी'. 

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एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर.
नई दिल्ली:

S Jaishankar on India China Relations : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एनडीटीवी के वर्ल्ड समिट कार्यक्रम में कई सारी बातें खुल कर कहीं. काफी लंबे अरसे बाद किसी चैनल के मंच पर कई सारे अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर एक साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इतने विस्तार से देश की विदेश नीति, उसकी चुनौतियां, पड़ोसी देशों से संबंध और कूटनीति पर सीधे संवाद किया. दुनिया में इस समय जिस तरह के संगठन और गठबंधन बन रहे हैं उससे पूरी दुनिया में असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

ढाई सालों से रूस-यूक्रेन में जारी युद्ध के अंत के आसार नहीं दिख रहे हैं. इधर, इजरायल के हमले गाज़ा और लेबनान में जारी हैं.  साथ ही ईरान के साथ युद्ध के आसार बने हुए हैं. दुनिया के देश गुटों में बंटते जा रहे हैं ऐसे में अगर कोई  देश सभी देशों के साथ शानदार तालमेल बनाए दिख रहा है वह केवल भारत है. 

कुछ ही दिन पहले चीन के साथ भारत ने पिछले 5 सालों से चले आ रहे सीमा विवाद पर मामला काफी हद सुलझाया है ऐसे में चीन पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का एनडीटीवी के मंच पर दिया बयान काफी अहम हो जाता है. 

चीन के साथ संबंधों की सबसे बड़ी चुनौती

पड़ोसी देश चीन से संबंधों और आने वाली चुनौतियों पर एस जयशंकर ने वर्तमान से लेकर भविष्य तक के आकलन पर कई बातें कहीं. उन्होंने कहा, 'यदि आप इस सदी की भविष्यवाणी कर रहे हैं तो निश्चित रूप से आप भारत और चीन को उस समीकरण से बाहर नहीं छोड़ सकते, हम (भारत और चीन) बहुत प्रमुख हैं. लेकिन यहां हमारे लिए चुनौती है, हम पड़ोसी हैं. हमारे पास अनसुलझे सीमा के मुद्दे हैं. वे (मुद्दे) बढ़ रहे हैं, हम भी बढ़ रहे हैं'.

चीन से प्रतिस्पर्धा भी 

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा, 'इसलिए यदि दो पड़ोसी देश एक ही समय सीमा में एक-दूसरे के प्रतिस्पर्धा में खड़े हो जाते हैं तो यह आसान नहीं है. इस दोहरी बढ़ती समस्या के हल के लिए बहुत कौशल, गहराई से समझ और कूटनीति की आवश्यकता होगी'. 

क्या है समस्या

इसी बात को आगे समझाते हुए एस जयशंकर ने कहा, 'सच तो यह है कि हमारी क्षमताएं बदल जाएंगी, हमारी महत्वाकांक्षाएं बदल जाएंगी, हम दोनों स्वाभाविक रूप से बड़ा और अधिक प्रभावी बनना चाहेंगे, तो हम अपने रिश्ते में संतुलन कैसे बनाएं'. 

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एस जयशंकर ने चीन और भारत के लिए कहा, 'मुझे लगता है कि यह हमारे और उनके लिए एक बड़ा मुद्दा है'. 

सीमा पर तनान हुआ कम

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव कम करने और रोकने के लिए एक समझौते पर सहमति हुई है. इस समझौते के तहत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हटेंगे. इसके साथ ही LAC पर दोबारा पेट्रोलिंग शुरू की जा सकेगी. 

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "चीन के साथ धैर्य की रणनीति के कारण ये कामयाबी मिली. हम सितंबर 2020 से बातचीत करते आ रहे हैं. उस समय मॉस्को में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के बाद मुझे लगा था कि हम शांति और 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ सकेंगे. बातचीत की बहुत जटिल प्रक्रिया रही. उम्मीद है कि हम शांति की ओर बढ़ रहे हैं."

जयशंकर ने कहा, "भारत और चीन के बीच सहमति बहुत सकारात्मक है. दोनों देश 2020 में गलवान झड़प से पहले वाली स्थिति में जा रहे हैं."
 

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