झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand Chief Minister Hemant Soren) पर लगे अवैध उत्खनन (Illegal Mining) के आरोप के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर है. बीजेपी के साथ-साथ निर्दलीय विधायक सरयू राय (MLA Saryu Rai) ने भी ट्वीट कर सीएम हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास दोनों पर एक साथ निशाना साधा है.
सरयू राय ने अपने ट्वीट में लिखा, "#ED असमंजस में है. @HemantSorenJMM सरकार की मंज़िल तक पहुँचने के लिए जितने रास्ते तलाशती है, सभी @dasraghubar सरकार के हवा महल तक पहुँच जाते हैं. दिल्ली से पैनी नज़र रख रहे #ED के दिमाग़ी लाल सप्रेम बाई-पास की तलाश में हैं, पर “जहां जाइएगा हमें पाइएगा” से परेशान हैं. @BJP4Jharkhand"
एक दिन पहले ही अपने ऊपर 80 डिसीमल जमीन में पत्थर उत्खनन कराने की लीज लेने को लेकर लगे आरोप पर हेमंत सोरेन ने सफाई दी थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में हम जैसे ‘छोटो लोगों' को कम जगह मिल पाती है. लेकिन पानी की धारा को कोई रोक नहीं सकता है. हां, रोकने की कोशिश भले ही होती है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्रवाई बीजेपी की तरफ से की जा रही है. जब से हमने झारखंड में उनसे सत्ता छीनकर मजबूत सरकार बनाई है, तब से उनको तकलीफ है. ईडी की कार्रवाई किस संदर्भ में हुई है, ये सबको मालूम है. 2007-08 का मामला है, तब मैं राजनीति में भी नहीं था. आपको शाहरुख खान के बेटे के बारे में तो पता ही होगा.
सीएम बोले, “ डी मनरेगा की जांच कर रही है. लेकिन केस को लेकर टीम उन जिलों तक गई भी नहीं है. वे मनरेगा के रास्ते कहीं और जाना चाहते हैं. मोहनजोदड़ो की खुदाई की तरह हर जगह खुदाई हो रही है. देखते हैं यह कहां तक जाना चाहते हैं. उनकी मंशा कुछ और दिखती है.”
हेमंत सोरेन ने कहा कि ''लगता है चुनाव आयोग को ही जल्दीबाजी है, असंवैधानिक है. बातों को मुस्तैदी के साथ रखेंगे. पीएआईएल कौन फाइल कर रहा है जिसने मेरे पिताजी के खिलाफ भी किया था. उसकी विश्वसनीयता तो देखें. पर्सनल इंटरेस्ट है, मूद्दे को भटका रहे है. इसको लेकर हम कोर्ट में आए. बीजेपी को जवाब नहीं देंगे, कोर्ट को जवाब देंगे. भोंपू लगाकर घूम रहे हैं. मनरेगा का केस 2008 का है, उस वक्त मैं एमएलए भी नहीं था.''
उन्होंने कहा कि ''हेमंत सोरेन 80 डिसमिल के लिए घोटाला करेगा? क्या बात करते हैं. उनके पेट मे दर्द होता है. पीएसयू कितना घोटाला कर रही है इनको नही दिखता है. कोयला में नहीं हो रहा, बालू में, स्टोन में हो रहा है. सब इनके रिजीम पर है.''
उन्होंने कहा कि ''हम काम करते हैं, इसलिए दिखता है. हम बैठने वाले नहीं हैं. 2024 में और हालात खराब होंगे. तकलीफ तो बहुत होगी, माटी का बेटा आज राज चला रहा है. हमें पता है, आदिवासी संघर्ष नहीं करेगा तो बचेगा नहीं. सत्ता में रहकर संघर्ष जारी है. 2024 में गले की हड्डी बनूंगा.''
सोरेन ने कहा कि ''पूजा सिंघल मामले में राज्य में ईडी की एंट्री हुई है. 2008 का मामला है, उस समय कौन था. चार करोड़ का घोटाला, क्या मिला है अब तक. दो जिले में जहां ईडी गई भी नहीं. ये रास्ता खोज रहे हैं. सरकार को बदनाम कर रहे हैं. षडयंत्र कर रहे हैं, 200 फीसदी नाकाम होंगे. पूजा सिंघल के यहां छापेमारी हुई, सीए के पास पैसा मिला. ईडी ने यूपी में छापा मारा 300 करोड़ मिला, कहां गए वो पैसे.''
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उन्होंने कहा कि ''आदिवासियों को बेवकूफ नहीं बना सकते. हमारा एक ही आदमी 100 के बराबर होता है. गीदड़ भभकी देना बंद करें.'' उन्होंने कहा कि ''इफको का उदघाटन किया, उनके पदाधिकारी पर केस है. उन्हीं से गुलदस्ता लेने वाली देश की सरकार सबसे बड़ी ड्राई क्लीनर है.''
खनिज संपदा पर गिद्ध की तरह नजर
उन्होंने कहा, “ खनिज निगम के चैयरमेन बीजेपी नेता हैं. इनके लिए झारखंड ऐसा राज्य रहा है, जहां से आर्थिक ताकत मिलती थी. केंद्र सरकार पर राज्य का एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है. हमने इसकी मांग करते हुए कई बार पत्र लिखा, लेकिन उसमें से भीख के रूप में 200-300 करोड़ रुपये मिलते हैं. राज्य की खनिज संपदा पर वे गिद्ध की तरह नजर लगाए बैठे हैं और हम पर आरोप लगाते हैं. मुख्यमंत्री क्या इतने कम के लिए घोटाला करेगा.”
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जेएमएम नेता बोले, “ झारखंड को बिहार से अलग हुए 20 साल हो गए, लेकिन यहां का किसी ने विकास नहीं किया. आज विकास के पैमाने पर राज्य निचले पायदान पर है. ऐसे में देश के बड़े उद्योग राज्य में लगे. पिछले शासन में आदिवासियों-दलितों को विस्थापित किया गया. बीजेपी और डबल इंजन की सरकार ने कभी जानने की कोशिश नहीं की, कि क्यों आदिवासियों को दो वक़्त का अनाज तक नहीं मिला. राज्य के पिछड़ापन का कारण जनता नहीं, बड़े दल के लोग हैं, जिन्होंने झारखंड को चारागाह बना दिया है.
हेमंत सोरेन ने कहा कि डबल इंजन की सरकार के समय आंदोलन होते थे. लेकिन अब नहीं होते क्योंकि वहां की जनमानस को हमारी सरकार पर बहुत भरोसा है. उन्होंने कहा कि देश में आदिवासियों को अलग दर्जा मिले, जातिगत जनगणना में अलग दर्जा मिले, ये ही हमारी मांग है. नहीं तो आदिवासी विलुप्त हो जाएंगे.