पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का जाना लगभग तय हो गया है. गुरुवार से उनकी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी. उससे पहले बुधवार को वो राष्ट्र के नाम संबोधन करने वाले थे, लेकिन सेना प्रमुख जनरल बाजवा से मुलाक़ात के बाद उन्होंने ये संबोधन रद्द कर दिया. उधर विपक्षी दलों ने मिलकर एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और कहा ये देश के भविष्य का सवाल है. पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ 28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव रखा जा चुका है जिस पर गुरुवार यानी 31 मार्च से बहस शुरू होनी है. माना जा रहा है कि 3 अप्रैल तक इस पर मतदान हो जाएगा. जिस तरह की स्थितियां हैं उनमें साफ़ दिख रहा है इमरान काफ़ी कमज़ोर विकेट पर हैं और उनका विकेट गिरना तय है.
अब सवाल यह उठता है कि अगर पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार जाती है तो इसका भारत पर क्या असर पड़ेगा. क्या पाकिस्तान और भारत के बीच दोबारा से बातचीत का दौर शुरू होगा.
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'अगर शाहबाज़ शरीफ़ पाकिस्तान के अगले प्रधानमंत्री बनते हैं तो भारत के साथ बातचीत शुरू हो सकती है. क्योंकि इस वक्त पाकिस्तान की सेना चाहेगी कि उसकी भारतीय सीमा सुरक्षित हो जाए. ताकि, आने वाले समय में वे अफगानिस्तान पर फोकस कर सकें. उनके लिए इस वक्त कश्मीर से बड़ा मुद्दा अफगानिस्तान है. वे चाहते हैं कि किसी भी सूरत में अफगानिस्तान में तालिबान का शासन कंसोलिडेट हो जाए. तालिबान के हालात बिगड़ रहे हैं, रोजाना प्रदर्शन हो रहे हैं. उनकी एकता बिखर रही है, उनके लिए मुश्किल बढ़ती जा रही है. आने वाले समय में पाकिस्तान की सेना की कोशिश होगी कि अफगानिस्तान पर अपना ध्यान बढ़ाए. पहले भी देखा गया है कि जब-जब अफगानिस्तान से मामला बिगड़ा है, तब-तब पाकिस्तान भारत से बातचीत का दौर शुरू करता है.'
वहीं, पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार नुसरत अमीन ने बताया, 'पाकिस्तान और भारत के द्विपक्षीय संबंध अब मजाक बन गए हैं. पिछले 73 सालों में भारत और हिंदुस्तान दोनों ही मुल्कों में पता नहीं कितने सियासतदां आए और चले गए. लेकिन दोनों के संबंधों का कोई हल नहीं निकल सका है.'
कैसे बढ़ीं इमरान की मुश्किलें?
- नए पाकिस्तान का वादा कर हुकूमत में आए थे
- मुल्क़ के बाकी नेताओं को भ्रष्टाचारी बताकर संगीन आरोप लगाए थे
- हुकूमत में आने के बाद महंगाई बेतहाशा बढ़ी
- पीटीआई के 13 सांसदों ने घोषित तौर पर बग़ावत की
- इमरान की पार्टी के 20 से 30 सांसद असंतुष्ट बताए जा रहे हैं
शाहबाज़ शरीफ़ हो सकते हैं अगले वज़ीर-ए-आज़म?
- पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के छोटे भाई
- नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता
- पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष
- पिछले 4 दशक से पाकिस्तान की सियासत के बड़े चेहरे
- एक कुशल प्रशासक के तौर पर जाने जाते हैं
- तीन बार पंजाब सूबे के मुख्यमंत्री रहे
- पाकिस्तान के एक बड़े उद्योगपति भी हैं
- मनी लॉन्ड्रिंग के केस में जेल भी जा चुके हैं